Aus vs Ind 1st Test: टीम इंडिया की नए साल की शुरुआत ही खासे विवाद के साथ शुरू हुई. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांचवा टेस्ट शुरू होने से पहले ही नियमित कप्तान रोहित शर्मा (Rohit Sharma) ने ऐसा फैसला ले लिया, जो भारतीय क्रिकेट इतिहास में बमुश्किल ही पहले कभी देखा गया. वास्तव में मेलबर्न टेस्ट में 184 रन से मिली हार के बाद ही रोहित मीडिया और हेड कोच गंभीर की नजरों में खासे चुभने लगे थे. वजह एकदम साफ थी कि भारतीय कप्तान खेले चार टेस्ट में सिर्फ 31 रन ही बना चुके थे और वह पूर्व क्रिकेटरों और मीडिया के निशाने पर थे. बहरहाल, अब छनकर आ रही खबरों के अनुसार, "बहुत ही प्रभावी प्रशासक" ने रोहित को XI में रखने का अनुरोध किया था, लेकिन गंभीर ने इसे ठुकरा दिया.
रिपोर्ट के अनुसार, "BCCI में बहुत ही ज्यादा सम्मानित और प्रभाव रखने वाले प्रशासक ने हेड कोच गौतम गंभीर से रोहित को XI में बनाए रखने की संभावना पर खासी बात की थी, लेकिन WTC फाइनल के टिकट के लिए सिडनी की अनिवार्य जीत को ध्यान में रखते हुए गंभीर ने इस अनुरोध को नहीं माना." सूत्रों के अनुसार', टीम के भीतर हालात कुछ इस स्तर पर पहुंच गए कि इस तमाम विषय पर रोहित ने गंभीर के बजाय चीफ सेलेक्टर अजित अगरकर और उप-कप्तान बुमराह के साथ ज्यादा सहजता से बात की.'
मेलबर्न की तरह रोहित शर्मा का नाम सिडनी में नेट अभ्यास के बल्लेबाजों में प्रमुखता से शामिल था, लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में गंभीर के रोहित के टीम में खेलने को लेकर पुष्टि न करने के बाद मामला अलग ही स्तर पर चला गया. गौतम ने कहा था, "हम पिच देखने के बाद XI के बारे में आखिरी फैसला लेंगे."
आखिर में रोहित को प्रबंधन ने बाहर बैठा ही दिया. और वह किसी दौर में इस तरह से ड्रॉप किए जाने वाले पहले कप्तान बन गए. लेकिन यह भी एक तथ्य ही है कि अगर हेड कोच गंभीर इस स्तर पहुंचे, तो इसके लिए खुद रोहित को ही दोष लेना होगा क्योंकि अगर दौर में रोहित टीम इंडिया के लिए बोझ ही ज्यादा साबित हुए हैं. भारतीय कप्तान वैसा योगदान नहीं दे सके जैसी उनसे उम्मीद थी और मैच दर मैच हालात बद से बदतर ही होते गए.
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