
- साल 2013 में पृथ्वी शॉ ने 14 वर्ष की उम्र में हैरिस शील्ड मैच में 546 रन की प्रभावशाली पारी खेली थी
- 2018 में वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट डेब्यू पर उन्होंने कम उम्र में शानदार शतक बनाकर सभी को चौंकाया था.
- 2019 में दूषित कफ सिरप के कारण बीसीसीआई ने उन्हें आठ महीने का डोपिंग प्रतिबंधित सजा दी थी
Prithvi Shaw : साल 2013 जब पृथ्वी शॉ महज 14 साल के थे, उन्होंने मुंबई के आजाद मैदान पर हैरिस शील्ड मैच में 546 रन की पारी खेली थी. अपनी इस पारी में पृथ्वी ने 85 चौके और 5 छक्के लगाए थे. यह वह समय था जब पृथ्वी शॉ की चर्चा शुरू हो गई थी. इस पारी कम दम पर पृथ्वी ने दुनिया को बताया था कि एक नया सुपरस्टार भारतीय क्रिकेट में कदम रखने वाला है. भारत के सबसे महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने एक सप्ताह पहले ही संन्यास लिया था और शॉ की तुलना इस पारी के बाद तुरंत ही इस महान क्रिकेटर से की जाने लगी थी.

कभी पृथ्वी शॉ को माना जाता था दूसरा सचिन तेंदुलकर
स्कूल क्रिकेट में इतनी बड़ी पारी खेलने के बाद पृथ्वी शॉ से उम्मीद बढ़ गई थी. घरेलू क्रिकेट में भी शॉ ने अच्छा परफॉर्मेंस किया था. अपनी तकीन से शॉ ने सभी को प्रभावित किया था. तेंदुलकर की तरह उन्हें भी प्रथम श्रेणी क्रिकेट में तेजी से जगह मिली और उन्होंने घरेलू रणजी और दुलीप ट्रॉफी में अपने पहले ही मैच में शतक जड़ दिया, जिससे दोनों के बीच तुलना और होने लगी. 2018 के अंत में, उन्हें वेस्टइंडीज़ के खिलाफ टेस्ट टीम में शामिल किया गया. शॉ ने सिर्फ़ 154 गेंदों पर 134 रन बनाए, जिसमें राइफल-शॉट ड्राइव,कट और पुल शामिल थे. वह मुश्किल से 19 साल के थे.
भारतीयों में सिर्फ़ तेंदुलकर ने ही कम उम्र में अपना पहला टेस्ट शतक लगाने वाले बल्लेबाज थे. तेंदुलकर और विराट कोहली के योग्य उत्तराधिकारी के रूप में उभरे शॉ के सामने दुनिया उनके कदमों में थी. लेकिन उसके बाद से वह एक फिसलन भरी राह पर चल दिए.

वक़्त बिगड़ते देर नहीं लगती
सनसनीखेज डेब्यू के 6 साल बाद, उन्होंने केवल चार और टेस्ट मैच खेले. 6 वनडे और एक मात्र टी20 इंटरनेशनल. यह उस बल्लेबाज के लिए सबसे निराशा भरा था जिसे भारत का सुपरस्टार माना जा रहा था. जिसकी प्रतिभा ने एक लंबे, चमकदार करियर का वादा किया था. एक दुर्भाग्यपूर्ण पैर की चोट, जिसके कारण उन्हें 2020 में ऑस्ट्रेलिया दौरे से वापस भेज दिया गया था, शॉ की समस्याओं की शुरुआत थी. उसी साल उनका प्रतिबंधित पदार्थ के लिए टेस्ट पॉजिटिव आया और वे भाग्यशाली रहे कि उन्हें हल्की सजा मिली. इसके बाद उनकी बल्लेबाजी फॉर्म में लगातार गिरावट आने लगी, और चयनकर्ताओं को प्रभावित करने के लिए वे बहुत कम ही अच्छा परफॉर्मेंस कर पाए .

असफलताएं और विवाद
डोपिंग बैन: साल 2019 में, उन्हें बीसीसीआई से डोपिंग उल्लंघन के लिए 8 महीने का बैन झेलना पड़ा, जिसका कारण एक दूषित कफ सिरप में मौजूद प्रतिबंधित पदार्थ था.
फिटनेस संबंधी समस्याएं, स्टेट टीम से कर दिया गया बाहर
इतना ही नहीं शॉ फिटनेस संबंधी समस्याओं से भी जूझते रहे जिससे उनकी वापसी मुश्किल होती गई. यही नहीं, फिटनेस संबंधी खामियों के कारण उन्हें मुंबई टीम से बाहर कर दिया गया.
मैदान के बाहर की घटनाओं ने दिया झटका
यही नहीं, शॉ कई सार्वजनिक घटनाओं में शामिल रहे हैं, जिनमें एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर, सपना गिल के साथ 2023 का विवाद भी शामिल है, जिसके कारण पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई थी.
इन घटनाओं के साथ-साथ घरेलू क्रिकेट में उनका परफॉर्मेंस निंरतर गिरता रहा, शॉ ने गलत फैसले लिए, शॉ ने ध्यान भटकने और गलत दोस्तों के कारण विचलित होने की बात स्वीकार की है, जिसके कारण उनकी प्राथमिकताओं और अनुशासन में बदलाव आया
आईपीएल में अनसोल्ड
2025 की आईपीएल नीलामी में उन्हें कोई खरीदार नहीं मिला, जो उनके शुरुआती करियर की सफलता के बिल्कुल विपरीत था.जो उनके करियर के लिए सबसे बड़ी चौंकाने वाली घटना रही.

महाराष्ट्र में स्थानांतरण
शॉ ने 2025-26 के घरेलू सत्र के लिए महाराष्ट्र टीम में शामिल होने के लिए मुंबई क्रिकेट संघ छोड़ दिया, और एक क्रिकेटर के रूप में आगे बढ़ने का अपना लक्ष्य बताया.
अब क्या कर रहे हैं पृथ्वी शॉ
अपने पिछले विवादों के बावजूद, शॉ ने हाल ही में अपनी क्षमता की झलक दिखाई है, साल 2025 टी20 मुंबई लीग मैच में 75 रनों की दमदार पारी खेलकर दिखाया है कि उनके अंदर एक बड़े क्रिकेटर बनने की काबिलियत बाकी है. लेकिन शॉ के लिए भारतीय क्रिकेट में वापसी करना आसान नहीं होगी.
टीम इंडिया में वापसी करना आसान नहीं होगा
पृथ्वी शॉ के लिए टीम इंडिया में वापसी करना आसान नहीं होगा. टीम इंडिया के पास इस समय ऐसे-ऐसे खिलाड़ी हैं जो अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. उदाहरण के लिए जायसवाल को अभी तक तीनों फॉर्मेट में खेलने का मौका नहीं मिल पाया है. ऐसे में अब के लिए शॉ के लिए एक ही मौका है कि वह घरेलू क्रिकेट में लगातार अच्छा खेलते रहे हैं और चयनकर्ताओं को यह विश्वास दिलाएं कि वो भी एक और मौके का हकदार हैं.

करुण नायर से सीखें
करुण नायर उनके सामने एक बड़ा उदाहरण है जिन्हें हाल ही में इंग्लैंड दौरे पर मौका मिला था. 8 साल बाद उन्हें टीम इंडिया में फिर से खेलने का मौैका मिला था. यानी शॉ के लिए भारतीय टीम के दरवाजे अभी बंद नहीं हुए हैं. उन्हें लगातार अपने खेल से दुनिया के प्रभावित करना होगा.
केविन पीटरसन-"खेल में वापसी की कुछ बेहतरीन कहानियां हैं. अगर पृथ्वी शॉ के आस पास अच्छे लोग हैं जो उनकी सफलता की परवाह करते हैं तो वे उन्हें सोशल मीडिया से दूर रहने और पूरी तरह से फिट होने के लिए ट्रेनिंग करने को कहेंगे. यह उसे सही रास्ते पर वापस ले आयेगा जहां पिछली सफलता वापस हासिल की जा सकती है. वह बहुत प्रतिभाशाली हैं."
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं