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This Article is From Jan 25, 2019

सकलैन मुश्‍ताक नहीं, विराट कोहली के कोच राजकुमार शर्मा की देन है 'दूसरा': किताब में दावा

एक नई किताब में दावा किया गया है कि विराट कोहली (Virat kohli) के बचपन के कोच राजकुमार शर्मा (Rajkumar sharma) ने 'दूसरा' गेंद का सबसे पहले उपयोग किया था.

सकलैन मुश्‍ताक नहीं, विराट कोहली के कोच राजकुमार शर्मा की देन है 'दूसरा': किताब में दावा
सकलैन मुश्‍ताक ने 'दूसरा' गेंद फेंकने में महारत हासिल कर इसे प्रसिद्धि दिलाई (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

पाकिस्‍तान के दिग्‍गज ऑफ स्पिनर सकलैन मुश्‍ताक (Saqlain Mushtaq) को क्रिकेट जगत में घातक गेंद‘दूसरा'(Doosra) का जनक माना जाता है लेकिन एक नई किताब में दावा किया गया है कि टीम इंडिया के कप्‍तान विराट कोहली (Virat kohli) के बचपन के कोच राजकुमार शर्मा (Rajkumar sharma) ने सबसे पहले ऑफ स्पिनरों की इस घातक गेंद का सबसे पहले उपयोग किया था. राजकुमार शर्मा ऑफ स्पिनर थे और उन्होंने दिल्ली की तरफ से 9 प्रथम श्रेणी मैच भी खेले हैं. हाल में प्रकाशित किताब ‘क्रिकेट विज्ञान' में कहा गया कि शर्मा ने 80 के दशक में ही ‘दूसरा' का उपयोग शुरू कर दिया था और 1987 में उन्होंने पाकिस्तान के बल्लेबाज एजाज अहमद को ऐसी गेंद पर आउट भी किया था.

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 वरिष्ठ खेल पत्रकार धर्मेंद्र पंत द्वारा लिखी गई इस किताब को नेशनल बुक ट्रस्ट ने प्रकाशित किया है. किताब में कहा गया है, ‘अमूमन ऑफ स्पिनर द्वारा इस्‍तेमाल की जाने वाली गेंद  'दूसरा' (Doosra) का जिक्र होता है तो सकलैन को इसका जनक कहा जाता है लेकिन उनसे भी पहले दिल्ली के ऑफ स्पिनर राजकुमार शर्मा ने इसका उपयोग करना शुरू कर दिया था.' इसकेअनुसार राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (NCA) ने शर्मा के इस दावे पर मुहर लगाई थी और बायोमैकेनिक्स विशेषज्ञ डा. रेने फर्नाडिस ने दूसरा करते समय राजकुमार के एक्शन को शत प्रतिशत सही पाया था. पुस्‍तक में कहा गया है, ‘राजकुमार यदि ‘दूसरा' (Doosra) के जनक थे तो इसे क्रिकेट जगत में ख्‍याति सकलैन मुश्‍ताक (Saqlain Mushtaq) ने दिलाई. पाकिस्तान के विकेटकीपर मोईन खान ने इसे 'दूसरा' नाम दिया. सकलैन (Saqlain Mushtaq) जब गेंदबाजी कर रहे होते थे तो मोईन विकेट के पीछे से चिल्लाते थे, ‘सकलैन 'दूसरा' फेंक 'दूसरा'.'' इस किताब में क्रिकेट के खेल के ‘क्रोकेट' से ‘क्रिकेट' बनने मतलब क्रिकेट के इतिहास, उसके हर पहलू से जुड़े विज्ञान, हर शॉट की उत्पति, हर शैली की गेंद की उत्पति और खेल के नियम की जानकारी रोचक किस्सों के साथ दी गई है.

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अगर 1770 से 1780 के आसपास खेलने वाले विलियम बेडले और जान स्माल ने बल्लेबाजों को ड्राइव करना सिखाया तो इसके लगभग 100 साल बाद आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच मार्च 1877 में जब पहला टेस्ट मैच खेला गया था तो तब ‘गुगली' और ‘स्विंग' जैसे शब्द क्रिकेट का हिस्सा नहीं हुआ करते थे. इस किताब में गुगली के 'क्रिकेट' से जुड़ने का रोचक किस्सा दिया गया। इसमें लिखा गया है, ‘‘टेस्ट क्रिकेट के जन्म के 20 साल बाद 1897 में इंग्लैंड के ऑलराउंडर बर्नार्ड बोसेनक्वेट ने बिलियर्ड्स के टेबल पर एक खेल ‘टि्वस्टी-ट्वोस्टी' खेलते हुए इस रहस्यमयी गेंद की खोज की थी.' इसी तरह से किताब में बताया गया है कि कैरम बॉल क्रिकेट जगह को श्रीलंका के रहस्यमयी स्पिनर अजंता मेंडिस की नहीं बल्कि दूसरे वर्ल्‍डवार में भाग लेने वाले एक फौजी की देन है. इसमें स्विंग के वैज्ञानिक पहलू पर भी विस्तार से चर्चा की गई है.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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