कभी सिद्धू के विरोधी कहे जाने वाले अजहर उनके बीमार होने पर हॉस्पिटल मिलने गए थे...
नवजोत सिंह सिद्धू जहां भी रहे, वहां अपनी अलग पहचान बनाई। क्रिकेट के मैदान पर 'सिक्सर सिद्धू' कहलाए, तो कमेंट्री चाहे वह हिन्दी में हो या इंग्लिश में, अपने जुमलों और कहावतों से दर्शकों को खूब गुदगुदाया। राजनीति में भी उनका पंजाब में दबदबा रहा और एक समय बीजेपी के स्टार प्रचारक रहे। पार्टी ने उनका उपयोग भीड़ खींचने के लिए खूब किया। टीवी शो में छाए और अब राज्यसभा सदस्यता से इस्तीफा देकर राजनीति में भी कुछ नया करने का संकेत दिया है। जाहिर है एक समय स्पिनरों को डराने वाले इस बल्लेबाज ने अब राजनीति में नए अंदाज में बैटिंग शुरू कर दी है, इससे उनकी पार्टी BJP और सहयोगी अकाली दल में खलबली मच गई है।
सिद्धू के क्रीज पर रहते कप्तान स्पिनरों को नहीं देते थे गेंद
नवजोत सिंह सिद्धू छक्के मारने के लिए मशहूर थे। सिद्धू की छक्के लगाने की दीवानगी के बारे में पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने एक कार्यक्रम में संस्मरण सुनाते हुए कहा था कि एक बार वह पंजाब गए थे, तो अभ्यास के दौरान उन्होंने देखा कि एक बल्लेबाज अलग-अलग तरह के स्पिनरों को अलग-अलग जगह गेंदे फेंकने के लिए कह रहा है और जैसे ही गेंद डाली जाती वह उसे छक्के के लिए उछाल देता था। बाद में उन्हें पता चला कि यह बल्लेबाज और कोई नहीं बल्कि सिद्धू थे। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वह छक्के के लिए नेट पर भी कितनी कड़ी मेहनत करते थे। सिद्धू ने साल 1987 के वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने पहले ही मैच में 79 बॉल में 73 रन बनाए, जिसमें उनके 5 छक्के शामिल थे। उनकी बल्लेबाजी से शेन वार्न, जॉन एंबुरी जैसे स्पिनर भी खौफ खाते थे। यहां तक कि एक दौर में तो सिद्धू के आउट होने तक विरोधी कप्तान स्पिनर को बॉलिंग में ही नहीं लगाते थे। उनकी छक्का लगाने की काबिलियत देखकर उनके फैन्स ने उन्हें 'सिक्सर सिद्धू' कहना शुरू कर दिया।
इंग्लैंड से दौरा बीच में छोड़कर लौट आए
क्रिकेट खेलने के समय सिद्धू बहुत कम बोलते थे, लेकिन उनका अंदाज दबंगों वाला था और वह किसी से झिझकते नहीं थे। बात 1996 के वर्ल्ड कप के बाद की है जब भारतीय टीम 3 टेस्ट मैचों की सीरीज के लिए जून में इंग्लैंड गई थी, पहले टेस्ट के बाद कप्तान अजहरुद्दीन से मनमुटाव के चलते नवजोत सिंह सिद्धू बेहद नाराज हो गए और दौरा बीच में ही छोड़कर वापस भारत आ गए थे। बाद में बीसीसीआई के पूर्व सचिव जयवंत लेले ने अपनी किताब में दावा किया कि अजहर ने सिद्धू के लिए हैदराबादी वाक्य का इस्तेमाल किया, जिसे सिद्धू ने अपमान मान लिया। फिर इस बारे में कुछ ठीक-ठीक नहीं कहा जा सकता।
जेटली को अपनी सीट दिए जाने पर थे नाराज
लोकसभा चुनाव 2014 में बीजेपी ने अमृतसर की सीट उनसे छीनकर अरुण जेटली को दे दी थी। इस पर सिद्धू खासे नाराज बताए जा रहे थे। तभी लग रहा था कि वह पार्टी छोड़ सकते हैं, लेकिन उन्होंने पार्टी में बने रहने का फैसला लिया था। खास बात यह कि जेटली यह सीट हार गए थे। उनकी पत्नी ने भी आलाकमान को इसके संकेत देने के लिए बीच-बीच में पार्टी विरोधी बयान दिए थे। आखिर में जब उन्हें लगा कि पंजाब में ज्यादा अवसर नहीं मिलने वाले तो उन्होंने राज्यसभा में मनोनीत किए जाने के बावजूद पार्टी से किनारा कर लिया।
बनेंगे नए समीकरण
सिद्धू का जाना बीजेपी और अकाली गठबंधन के लिए सिरदर्द साबित हो सकता है। वैसे भी आम आदमी पार्टी की पंजाब में पकड़ मजबूत बताई जा रही है। ऐसे में सिद्धू यदि 'आप' में शामिल हो जाते हैं, तो उनके लिए खतरा हो सकते हैं, क्योंकि उनकी पत्नी की पकड़ भी क्षेत्र में काफी अच्छी बताई जा रही है। तो फिर एक जमाने में स्पिनरों के लिए खौफ रहे सिद्धू अब राजनीति में बीजेपी और अकाली दल के लिए खतरा बनने जा रहे हैं...
सिद्धू के क्रीज पर रहते कप्तान स्पिनरों को नहीं देते थे गेंद
नवजोत सिंह सिद्धू छक्के मारने के लिए मशहूर थे। सिद्धू की छक्के लगाने की दीवानगी के बारे में पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने एक कार्यक्रम में संस्मरण सुनाते हुए कहा था कि एक बार वह पंजाब गए थे, तो अभ्यास के दौरान उन्होंने देखा कि एक बल्लेबाज अलग-अलग तरह के स्पिनरों को अलग-अलग जगह गेंदे फेंकने के लिए कह रहा है और जैसे ही गेंद डाली जाती वह उसे छक्के के लिए उछाल देता था। बाद में उन्हें पता चला कि यह बल्लेबाज और कोई नहीं बल्कि सिद्धू थे। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वह छक्के के लिए नेट पर भी कितनी कड़ी मेहनत करते थे। सिद्धू ने साल 1987 के वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने पहले ही मैच में 79 बॉल में 73 रन बनाए, जिसमें उनके 5 छक्के शामिल थे। उनकी बल्लेबाजी से शेन वार्न, जॉन एंबुरी जैसे स्पिनर भी खौफ खाते थे। यहां तक कि एक दौर में तो सिद्धू के आउट होने तक विरोधी कप्तान स्पिनर को बॉलिंग में ही नहीं लगाते थे। उनकी छक्का लगाने की काबिलियत देखकर उनके फैन्स ने उन्हें 'सिक्सर सिद्धू' कहना शुरू कर दिया।
इंग्लैंड से दौरा बीच में छोड़कर लौट आए
क्रिकेट खेलने के समय सिद्धू बहुत कम बोलते थे, लेकिन उनका अंदाज दबंगों वाला था और वह किसी से झिझकते नहीं थे। बात 1996 के वर्ल्ड कप के बाद की है जब भारतीय टीम 3 टेस्ट मैचों की सीरीज के लिए जून में इंग्लैंड गई थी, पहले टेस्ट के बाद कप्तान अजहरुद्दीन से मनमुटाव के चलते नवजोत सिंह सिद्धू बेहद नाराज हो गए और दौरा बीच में ही छोड़कर वापस भारत आ गए थे। बाद में बीसीसीआई के पूर्व सचिव जयवंत लेले ने अपनी किताब में दावा किया कि अजहर ने सिद्धू के लिए हैदराबादी वाक्य का इस्तेमाल किया, जिसे सिद्धू ने अपमान मान लिया। फिर इस बारे में कुछ ठीक-ठीक नहीं कहा जा सकता।
जेटली को अपनी सीट दिए जाने पर थे नाराज
लोकसभा चुनाव 2014 में बीजेपी ने अमृतसर की सीट उनसे छीनकर अरुण जेटली को दे दी थी। इस पर सिद्धू खासे नाराज बताए जा रहे थे। तभी लग रहा था कि वह पार्टी छोड़ सकते हैं, लेकिन उन्होंने पार्टी में बने रहने का फैसला लिया था। खास बात यह कि जेटली यह सीट हार गए थे। उनकी पत्नी ने भी आलाकमान को इसके संकेत देने के लिए बीच-बीच में पार्टी विरोधी बयान दिए थे। आखिर में जब उन्हें लगा कि पंजाब में ज्यादा अवसर नहीं मिलने वाले तो उन्होंने राज्यसभा में मनोनीत किए जाने के बावजूद पार्टी से किनारा कर लिया।
बनेंगे नए समीकरण
सिद्धू का जाना बीजेपी और अकाली गठबंधन के लिए सिरदर्द साबित हो सकता है। वैसे भी आम आदमी पार्टी की पंजाब में पकड़ मजबूत बताई जा रही है। ऐसे में सिद्धू यदि 'आप' में शामिल हो जाते हैं, तो उनके लिए खतरा हो सकते हैं, क्योंकि उनकी पत्नी की पकड़ भी क्षेत्र में काफी अच्छी बताई जा रही है। तो फिर एक जमाने में स्पिनरों के लिए खौफ रहे सिद्धू अब राजनीति में बीजेपी और अकाली दल के लिए खतरा बनने जा रहे हैं...
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