
आर. अश्विन (फाइल फोटो)
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शुरुआत में तेज गेंदबाजी करते थे रविचंद्रन अश्विन
मां ने दी तेज गेंदबाज की बजाय स्पिनर बनने की सलाह
पढ़ाई के साथ अश्विन की क्रिकेट गतिविधियों पर भी मां ने रखी नजर
अश्विन के क्रिकेट को बढ़ाने में उनकी मां चित्रा का अहम योगदान रहा है. जूनियर स्तर पर खेलते हुए आर. अश्विन पहले बल्लेबाजी के साथ तेज गेंदबाजी करना पसंद करते थे. उनका रन अप भी खासा लंबा था. पढ़ाई के साथ-साथ अश्विन के क्रिकेट के विकास पर भी बारीक नजर रखने वाली मां चित्रा ने ही उन्हें स्पिन गेंदबाजी में हाथ आजमाने की सलाह दी थी. मां की इस सलाह पर अमल करते हुए अश्विन ने गंभीरता से स्पिन गेंदबाजी करने पर ध्यान केंद्रित किया. जल्द ही उन्होंने खुद को उच्च स्तर के स्पिन गेंदबाज के रूप में स्थापित कर लिया.
घरेलू क्रिकेट में स्पिनर के तौर पर खेलते हुए उन्होंने तमिलनाडु टीम के लिए खूब विकेट लेते हुए टीम इंडिया में स्थान बनाया और आज भारतीय टीम के प्रमुख गेंदबाज हैं. स्पिन अपनी गेंदबाजी से मशहूर बल्लेबाजों को भी चकमा देने में सक्षम हैं. 42 टेस्ट में ही वे 235 विकेट हासिल कर चुके हैं जिसमें 6 बार मैच में 10 या इससे अधिक और 22 बार पारी में पांच या इससे अधिक विकेट शामिल हैं. अपनी गेंदबाजी के अलावा बल्लेबाजी से भी इस समय टीम के लिए उपयोगी साबित हो रहे हैं.

सुनील गावस्कर को मैदान में लेकर जाती थीं मां मीनल
अश्विन की ही तरह टीम इंडिया को दो अन्य मशहूर खिलाड़ियों, क्रिकेटर सुनील गावस्कर और चेस प्लेयर विश्वनाथन आनंद के खेल को ऊंचाई देने में उनकी मां का योगदान कम नहीं रहा है. सुनील गावस्कर को उनकी मां मीनल की प्रारंभ में खेल के मैदान में ले जाती थीं. सुनील के पिता भी क्लब स्तर पर क्रिकेट खेल चुके हैं जबकि उनके अंकल माधव मंत्री राष्ट्रीय स्तर के क्रिकेटर रहे हैं. सुनील को बचपन से क्रिकेट खेलने का बहुत शौक था और वे अपनी मां के साथ भी क्रिकेट खेलते थे. एक बार मां के साथ क्रिकेट खेलते हुए सुनील ने स्ट्रेट ड्राइव शॉट खेला जो सीधे मां की नाक पर जाकर लगा और खून निकलने लगा. यह मां का प्रोत्साहन और 'सनी' की मेहनत ही थी कि उन्हें विश्व क्रिकेट का महानतम ओपनर माना जाता है.

मां सुशीला ने दी थी आनंद को चेस की शुरुआती शिक्षा
मीनल गावस्कर की ही तरह शतरंज के शातिर विश्वनाथन आनंद को भी मशहूर खिलाड़ी बनाने में उनकी मां सुशीला की महत्वपूर्ण भूमिका रही. सुशीला शतरंज के अच्छी खिलाड़ी थीं और उन्होंने ही आनंद को सुशीला ने ही इस खेल के शुरुआती जानकारी दी. सुशीला बचपन में आनंद को लेकर टूर्नामेंट आयोजन केंद्रों में जाती रहीं ताकि उनके बेटे को ज्यादा से ज्यादा खेलने का मौका मिल सके. भारत के पहले इंटरनेशनल मास्टर मैनुएल एरॉन ने सुशीला विश्वनाथन के बारे में कहा है, "वे हमेशा आनंद की मागर्दशक रहीं." सुशीला विश्वनाथन का पिछले साल ही 79 वर्ष की उम्र में चेन्नई में निधन हुआ है.
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