मुंबई:
वीवीएस लक्ष्मण के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की अचानक घोषणा कर देने के पीछे कहीं न कहीं कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को वजह बताया जा रहा था... अब इसमें कितनी सच्चाई है, यह तो कोई नहीं जानता, लेकिन मिल रही ख़बरों के मुताबिक अब सिर्फ खिलाड़ी ही नहीं, चयनकर्ता भी 'धोनी की चपेट में' आ रहे हैं... पिछले कुछ समय से माना जा रहा था कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की सेलेक्शन कमेटी के मौजूदा चेयरमैन कृष्णमाचारी श्रीकांत के बाद पूर्व क्रिकेटर मोहिन्दर अमरनाथ ही चेयरमैन बनेंगे, लेकिन ख़बरों के मुताबिक अब सेलेक्शन कमेटी से ही उनका पत्ता साफ होता दिख रहा है, क्योंकि भारतीय टीम के कप्तान को लेकर उनके विचार श्रीकांत से अलग हैं...
माना जा रहा है कि प्यार से 'जिमी' कहकर पुकारे जाने वाले 61-वर्षीय अमरनाथ को टीम इंडिया के कप्तान के तौर पर धोनी कतई मंज़ूर नहीं, जबकि श्रीकांत तथा अन्य सेलेक्टर माही को ही बेहतरीन कप्तान मानते रहे हैं... सो, ख़बरें ज़ोरों पर हैं कि जिमी अब सेलेक्शन कमेटी में भी शामिल नहीं हो सकेंगे, चेयरमैन बनना तो दूर की बात है... बताया जा रहा है कि उनकी जगह अन्य पूर्व क्रिकेटर रोजर बिन्नी को सेलेक्शन कमेटी का चेयरमैन बनाया जा सकता है, हालांकि इस मुद्दे पर अंतिम फैसला बोर्ड की 14 सितम्बर को होने जा रही अगली आम बैठक (एजीएम) में लिया जाएगा... भारत के लिए 69 टेस्ट मैच और 85 एक-दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके अमरनाथ को जब पिछले साल सेलेक्टर के तौर पर कमेटी में शामिल किया गया था, तब से यही अटकलें ज़ोरों पर रही हैं, कि सितम्बर, 2012 में श्रीकांत का कार्यकाल खत्म होने के बाद वही चेयरमैन बनाए जाएंगे...
हालांकि बीसीसीआई के किसी भी अधिकारी ने आधिकारिक रूप से इस मुद्दे पर कोई भी टिप्पणी नहीं की है, परन्तु विश्वसनीय सूत्रों से जानकारी मिली है कि टीम की कप्तानी और सेलेक्शन प्रक्रिया को लेकर श्रीकांत से अपने मतभेदों के कारण जिमी को सेलेक्टर के तौर पर भी एक्सटेंशन नहीं दिया जाएगा... बताया गया कि जिमी पिछले साल इंग्लैण्ड और ऑस्ट्रेलिया में भारत की करारी हार के बाद धोनी को टेस्ट कप्तानी से हटाने के पक्ष में थे...
दूसरी ओर, अमरनाथ ने हालांकि अन्य चयनकर्ताओं से अपने मतभेदों और बोर्ड की 14 सितम्बर को होने वाली अगली एजीएम में उन्हें पांच-सदस्यीय पैनल से हटाने के बारे चल रही अटकलबाजियों पर रोक लगाने की कोशिश करते हुए कहा, "मुझे चयन मसलों पर कोई समस्या नहीं थी... मुझे चयन समिति में मेरे भविष्य को लेकर किसी तरह की अटकलबाजी का कोई जानकारी नहीं है... मैं आपको कह सकता हूं कि कुछ चीजें होती हैं, जो निजी होती हैं और उन्हें इसी तरह रहने देना चाहिए..."
जब डीडीसीए महासचिव स्नेह बंसल से संपर्क किया गया, उन्होंने कहा, "मैं यह पुष्टि कर सकता हूं कि डीडीसीए को अमरनाथ को लेकर कोई आपत्ति नहीं है... यदि वह चयन पैनल में नहीं रहते तो पहले यह पता करने की जरूरत है कि उन्हें इसके लिए मजबूर किया गया, या वह स्वयं इसमें बने रहने के इच्छुक नहीं थे..."
अमरनाथ की जगह उत्तर क्षेत्र से जिस खिलाड़ी को चयन समिति में रखे जाने की चर्चा चल रही है, वह पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज चेतन चौहान हैं... यदि अमरनाथ का मसला उत्तर क्षेत्र के राज्यों के लिए दिलचस्पी का कारण बना हुआ है तो पूर्व क्षेत्र का चयन मसला भी कम दिलचस्प नहीं है... पूर्व विकेटकीपर दीप दासगुप्ता अब भी चयनसमिति में जाने के मुख्य दावेदार हैं, लेकिन इस 35-वर्षीय खिलाड़ी की राह आसान नहीं है, क्योंकि उनके करीबी प्रतिद्वंद्वी राज्य के पूर्व ऑलराउंडर अरूप भट्टाचार्य हैं, जिनके बारे में लोग बहुत कम जानते हैं... बंगाल के पूर्व कप्तान दासगुप्ता ने आठ टेस्ट और पांच एक-दिवसीय मैच तथा 83 प्रथम श्रेणी मैच खेले हैं, जबकि भट्टाचार्य के नाम पर केवल 48 प्रथम श्रेणी मैच दर्ज हैं... लेकिन साथ ही भट्टाचार्य के राजनीतिक संबंध हैं, जिससे उनका दावा मजबूत बन जाता है... भट्टाचार्य के करीबी रिश्तेदार पश्चिम बंगाल के शहरी विकास और नगर कल्याण मंत्री फिरहाद हकीम हैं, और उन्हें उनका पूरा सहयोग मिलने की उम्मीद है...
मध्य क्षेत्र से भी उम्मीदवार का चयन करना मुश्किल लगता है... राजस्थान क्रिकेट संघ का लगातार दो रणजी खिताब जीतने के बाद आत्मविश्वास बढ़ गया है, लेकिन बड़े खिलाड़ियों की कमी उसकी सबसे बड़ी समस्या है... उत्तर प्रदेश के ज्ञानेंद्र पांडेय के चयनकर्ता बनने की संभावना थी, लेकिन पता चला है कि पांडेय ने भारतीय क्रिकेट में कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों के जरिये जिस तरह से अपना मामला रखा था, उससे बीसीसीआई अधिकारी खफा हैं... मध्य क्षेत्र से दो अन्य व्यक्तियों के नाम पर भी चर्चा चल रही है। इनमें उत्तर प्रदेश के पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज सुनील चतुर्वेदी और बाएं हाथ के स्पिनर राजिंदर सिंह हैं... बीसीसीआई के वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि अब चयनकर्ताओं को अच्छा पैकेज मिलता है, (अध्यक्ष को प्रतिवर्ष 40 लाख तथा चयनकर्ताओं को 25 लाख रुपये) और इसीलिए प्रतिस्पर्धा काफी कड़ी हो गई है...
(इनपुट भाषा से भी)
माना जा रहा है कि प्यार से 'जिमी' कहकर पुकारे जाने वाले 61-वर्षीय अमरनाथ को टीम इंडिया के कप्तान के तौर पर धोनी कतई मंज़ूर नहीं, जबकि श्रीकांत तथा अन्य सेलेक्टर माही को ही बेहतरीन कप्तान मानते रहे हैं... सो, ख़बरें ज़ोरों पर हैं कि जिमी अब सेलेक्शन कमेटी में भी शामिल नहीं हो सकेंगे, चेयरमैन बनना तो दूर की बात है... बताया जा रहा है कि उनकी जगह अन्य पूर्व क्रिकेटर रोजर बिन्नी को सेलेक्शन कमेटी का चेयरमैन बनाया जा सकता है, हालांकि इस मुद्दे पर अंतिम फैसला बोर्ड की 14 सितम्बर को होने जा रही अगली आम बैठक (एजीएम) में लिया जाएगा... भारत के लिए 69 टेस्ट मैच और 85 एक-दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके अमरनाथ को जब पिछले साल सेलेक्टर के तौर पर कमेटी में शामिल किया गया था, तब से यही अटकलें ज़ोरों पर रही हैं, कि सितम्बर, 2012 में श्रीकांत का कार्यकाल खत्म होने के बाद वही चेयरमैन बनाए जाएंगे...
हालांकि बीसीसीआई के किसी भी अधिकारी ने आधिकारिक रूप से इस मुद्दे पर कोई भी टिप्पणी नहीं की है, परन्तु विश्वसनीय सूत्रों से जानकारी मिली है कि टीम की कप्तानी और सेलेक्शन प्रक्रिया को लेकर श्रीकांत से अपने मतभेदों के कारण जिमी को सेलेक्टर के तौर पर भी एक्सटेंशन नहीं दिया जाएगा... बताया गया कि जिमी पिछले साल इंग्लैण्ड और ऑस्ट्रेलिया में भारत की करारी हार के बाद धोनी को टेस्ट कप्तानी से हटाने के पक्ष में थे...
दूसरी ओर, अमरनाथ ने हालांकि अन्य चयनकर्ताओं से अपने मतभेदों और बोर्ड की 14 सितम्बर को होने वाली अगली एजीएम में उन्हें पांच-सदस्यीय पैनल से हटाने के बारे चल रही अटकलबाजियों पर रोक लगाने की कोशिश करते हुए कहा, "मुझे चयन मसलों पर कोई समस्या नहीं थी... मुझे चयन समिति में मेरे भविष्य को लेकर किसी तरह की अटकलबाजी का कोई जानकारी नहीं है... मैं आपको कह सकता हूं कि कुछ चीजें होती हैं, जो निजी होती हैं और उन्हें इसी तरह रहने देना चाहिए..."
जब डीडीसीए महासचिव स्नेह बंसल से संपर्क किया गया, उन्होंने कहा, "मैं यह पुष्टि कर सकता हूं कि डीडीसीए को अमरनाथ को लेकर कोई आपत्ति नहीं है... यदि वह चयन पैनल में नहीं रहते तो पहले यह पता करने की जरूरत है कि उन्हें इसके लिए मजबूर किया गया, या वह स्वयं इसमें बने रहने के इच्छुक नहीं थे..."
अमरनाथ की जगह उत्तर क्षेत्र से जिस खिलाड़ी को चयन समिति में रखे जाने की चर्चा चल रही है, वह पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज चेतन चौहान हैं... यदि अमरनाथ का मसला उत्तर क्षेत्र के राज्यों के लिए दिलचस्पी का कारण बना हुआ है तो पूर्व क्षेत्र का चयन मसला भी कम दिलचस्प नहीं है... पूर्व विकेटकीपर दीप दासगुप्ता अब भी चयनसमिति में जाने के मुख्य दावेदार हैं, लेकिन इस 35-वर्षीय खिलाड़ी की राह आसान नहीं है, क्योंकि उनके करीबी प्रतिद्वंद्वी राज्य के पूर्व ऑलराउंडर अरूप भट्टाचार्य हैं, जिनके बारे में लोग बहुत कम जानते हैं... बंगाल के पूर्व कप्तान दासगुप्ता ने आठ टेस्ट और पांच एक-दिवसीय मैच तथा 83 प्रथम श्रेणी मैच खेले हैं, जबकि भट्टाचार्य के नाम पर केवल 48 प्रथम श्रेणी मैच दर्ज हैं... लेकिन साथ ही भट्टाचार्य के राजनीतिक संबंध हैं, जिससे उनका दावा मजबूत बन जाता है... भट्टाचार्य के करीबी रिश्तेदार पश्चिम बंगाल के शहरी विकास और नगर कल्याण मंत्री फिरहाद हकीम हैं, और उन्हें उनका पूरा सहयोग मिलने की उम्मीद है...
मध्य क्षेत्र से भी उम्मीदवार का चयन करना मुश्किल लगता है... राजस्थान क्रिकेट संघ का लगातार दो रणजी खिताब जीतने के बाद आत्मविश्वास बढ़ गया है, लेकिन बड़े खिलाड़ियों की कमी उसकी सबसे बड़ी समस्या है... उत्तर प्रदेश के ज्ञानेंद्र पांडेय के चयनकर्ता बनने की संभावना थी, लेकिन पता चला है कि पांडेय ने भारतीय क्रिकेट में कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों के जरिये जिस तरह से अपना मामला रखा था, उससे बीसीसीआई अधिकारी खफा हैं... मध्य क्षेत्र से दो अन्य व्यक्तियों के नाम पर भी चर्चा चल रही है। इनमें उत्तर प्रदेश के पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज सुनील चतुर्वेदी और बाएं हाथ के स्पिनर राजिंदर सिंह हैं... बीसीसीआई के वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि अब चयनकर्ताओं को अच्छा पैकेज मिलता है, (अध्यक्ष को प्रतिवर्ष 40 लाख तथा चयनकर्ताओं को 25 लाख रुपये) और इसीलिए प्रतिस्पर्धा काफी कड़ी हो गई है...
(इनपुट भाषा से भी)
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