सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर (फाइल फोटो)
सचिन तेंदुलकर ने भले ही क्रिकेट को अलविदा कह दिया हो, लेकिन उनका रिकॉर्ड बनाने का सिलसिला अब भी जारी है। उनकी आत्मकथा ‘प्लेइंग इट माई वे’ ने ‘लिम्का बुक ऑफ रिकार्डस’ में जगह बनाकर कीर्तिमान स्थापित किया है और यह फिक्शन और नॉन-फिक्शन श्रेणी में सबसे ज्यादा बिकने वाली पेपरबैक किताब बन गई है।
किताब का प्रकाशन हैचेट इंडिया ने किया है जिसे 6 नवंबर, 2014 को जारी किया गया था। इसने फिक्शन और नॉन-फिक्शन श्रेणी के वयस्क वर्ग के पेपरबैक में सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं जिसकी 1,50,289 प्रतियां ‘ऑर्डर सब्सक्रिप्शंस’ से बिकी हैं।
किताब ने पहले दिन के ऑर्डर से ही प्री-आर्डर और लाइफटाइम सेल्स दोनों मामलों में दुनिया की शीर्ष वयस्क हार्डबैक डैन ब्राउन की इनफर्नो, वाल्टर इसाकसन की स्टीव जॉब्स और जे के रॉलिंग की कैजुअल वैकेंसी को पीछे छोड़ दिया है।
बोरिया मजूमदार तेंदुलकर की इस आत्मकथा के सह लेखक थे। इसने खुदरा मूल्य के मामले में भी रिकॉर्ड बनाया है, इसकी कीमत 899 रुपए थी, जिससे 13.51 करोड़ रुपए की कमाई हुई।
किताब का प्रकाशन हैचेट इंडिया ने किया है जिसे 6 नवंबर, 2014 को जारी किया गया था। इसने फिक्शन और नॉन-फिक्शन श्रेणी के वयस्क वर्ग के पेपरबैक में सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं जिसकी 1,50,289 प्रतियां ‘ऑर्डर सब्सक्रिप्शंस’ से बिकी हैं।
किताब ने पहले दिन के ऑर्डर से ही प्री-आर्डर और लाइफटाइम सेल्स दोनों मामलों में दुनिया की शीर्ष वयस्क हार्डबैक डैन ब्राउन की इनफर्नो, वाल्टर इसाकसन की स्टीव जॉब्स और जे के रॉलिंग की कैजुअल वैकेंसी को पीछे छोड़ दिया है।
बोरिया मजूमदार तेंदुलकर की इस आत्मकथा के सह लेखक थे। इसने खुदरा मूल्य के मामले में भी रिकॉर्ड बनाया है, इसकी कीमत 899 रुपए थी, जिससे 13.51 करोड़ रुपए की कमाई हुई।
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