करुण नायर ने गैरी सोबर्स और बॉब सिम्पसन की बराबरी की (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
चेन्नई टेस्ट में तिहरा शतक लगाकर रिकॉर्ड बनाने वाले करुण नायर (Karun Nair) का किस्मत पिछले छह माह से साथ दे रही. वह भी न केवल क्रिकेट में, बल्कि जीवन के मामले में भी. वैसे भी कहा जाता है कि क्रिकेट के खेल में हुनर के साथ-साथ किस्मत का भी साथ होना जरूरी होता है. आपने देखा भी होगा कि जिस गेंद विशेष पर कोई बल्लेबाज आमतौर पर आसानी से चौका या छक्का लगा देता है या फिर उसे खेलने में महारत रखता है, किस्मत साथ नहीं होने पर उसी में विकेट गंवा बैठता है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) हैं, जिन्हें आपने ऑफ स्टंप से बाहर स्विंग होती गेंद पर कीपर के हाथों या स्लिप में कैच होते हुए देखा होगा. यह विराट की वही तकनीकी कमजोरी है, जिसकी बात इंग्लैंड के तेज गेंदबाज जेम्स एंडरसन ने की थी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि विराट इस गेंद पर रन भी खूब बनाते रहे हैं और उसे आसानी से बाउंड्री का रास्ता भी दिखा देते हैं. ऐसे में एक ही चीज अहम हो जाती है किस्मत का साथ होना.
वैसे किस्मत का खेल ही नहीं जीवन में भी अहम योगदान होता है, तभी तो किसी दुर्घटना विशेष में जहां कई लोग जान गंवा देते हैं, वहीं कुछ बच निकलते हैं. टीम इंडिया की ओर से इंग्लैंड के खिलाफ चेन्नई टेस्ट में तिहरा शतक लगाने वाले करुण नायर (Karun Nair) का इस पारी के दौरान किस्मत ने भरपूर साथ दिया, वैसे किस्मत तो पिछले छह महीने से उनके साथ है, जब वह एक दुर्घटना में बाल-बाल बच गए थे...
नौका डूबी, कुछ की मौत, बच गए करुण
बात जुलाई, 2016 की है. इस घटना के बारे में खुद करुण नायर ने तिहरा शतक लगाने के बाद कमेंटेटर रवि शास्त्री को बताया. उनका कहना है कि उसे यादकर वह आज भी सिहर उठते हैं. हालांकि इस घटना को उस समय मीडिया ने भी रिपोर्ट किया था. हुआ यह था कि करुण नायर सहित कई लोग केरल की पंपा नदी में नाव में सवार होकर पार्थसार्थी मंदिर जा रहे थे. तभी बीच में नौका ने संतुलन खो दिया और अंत में पलट ही गई. जैसे शोर मचा, तो बचाव दल वहां पहुंचा, लेकिन तब तक डूबने से कुछ की मौत हो गई, वहीं करुण नायर को भी तैरना नहीं आता था, लेकिन उनकी किस्मत ने साथ दिया और वह डूबे नहीं. इस बीच बचावकर्मियों ने उन्हें सुरक्षित निकाल लिया और वह बाल-बाल बच गए.
विजय-धवन चोटिल, टीम में आए खेल नहीं पाए...
साल 2015 में श्रीलंका के खिलाफ मुरली विजय के चेटिल होने पर करुण नायर को टीम में शामिल किया गया था, लेकिन खेलने का मौका नहीं मिला था. इसके बाद वह तब लकी रहे थे, जब उन्हें जिम्बाब्वे दौरे के लिए टीम इंडिया में चुना गया था. हालांकि उन्हें दो वनडे में खेलने का मौका मिला, लेकिन वह 2 और 39 रन की ही पारी खेल पाए. मतलब इस दौरे को वह भुना नहीं पाए. इसके बाद हाल ही के न्यूजीलैंड टीम के भारत दौरे में संयोग से उस समय मौका मिला, जब नियमित ओपनर शिखर धवन चोटिल होने के कारण अंतिम टेस्ट से बाहर हो गए, लेकिन करुण नायर (Karun Nair) प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं मिली. मतलब किस्मत का पूरा साथ नहीं मिला. आखिर मोहाली टेस्ट में मिल ही गया मौका, लेकिन...
बार-बार 15 सदस्यीय टीम में शामिल किए जाने के बावजूद प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं मिलने पर करुण नायर जाहिर है थोड़े निराश तो रहे होंगे, लेकिन कहीं न कहीं किस्मत उनके साथ तो थी ही, तभी तो वह बेंच में ही सही टीम के साथ तो बने ही हुए थे. उनकी किस्मत ने एक बार फिर रंग दिखाया और इंग्लैंड के खिलाफ वर्तमान टेस्ट सीरीज के तीसरे टेस्ट जो मोहाली में खेला गया था, में प्लेइंग इलेवन में शामिल कर लिए गए और टीम इंडिया से टेस्ट खेलने का उन्हें मौका मिल गया. वास्तव में लोकेश राहुल को चोटिल होने पर उन्हें यह अवसर उनके हाथ आया. करुण नायर को टेस्ट कैप महान सुनील गावस्कर ने सौंपी. इस मैच में टीम इंडिया मे जहां करुण नायर ने डेब्यू किया, वहीं पार्थिव पटेल ने 8 साल बाद टेस्ट में वापसी की थी.
नायर को मौका तो मिला, लेकिन वह बल्ले से कमाल नहीं कर पाए या यूं कहें कि वह दुर्भाग्यशाली रहे और कप्तान विराट कोहली के साथ गलतफहमी में रनआउट हो गए. नायर ने उस समय महज चार रन ही बनाए थे. दूसरी पारी में उन्हें बल्लेबाजी का ही मौका नहीं मिला.
दूसरे टेस्ट में फिर फेल...
करुण नायर को इंग्लैंड के खिलाफ मुंबई टेस्ट में भी खेलने का मौका मिला. हालांकि लोकेश राहुल फिट हो गए थे. फिर भी उनको टीम में बरकरार रखा गया. मतलब एक बार फिर किस्मत उनके साथ थी, लेकिन कुछ ही हिस्से में, क्योंकि यह उनकी टेस्ट में दूसरी पारी थी और वह 13 रन पर पहुंचे ही थे कि मोईन अली की गेंद उनके पैड पर जा लगी. जोरदार अपील हुई, जिसे अंपायर ने नकार दिया, लेकिन इंग्लैंड ने रीव्यू ले लिया और अंत में वह आउट करार दिए गए.
चेन्नई टेस्ट में भी बल्लेबाजी के दौरान मिला किस्मत का साथ, रच दिया इतिहास
दो पारियों में फेल होने के बावजूद कप्तान विराट कोहली ने करुण नायर पर भरोसा बनाए रखा और चेन्नई टेस्ट में भी उन्हें प्लेइंग इलेवन में रखा, लेकिन इस बार किस्मत करुण नायर के साथ रही, जब 34 रन पर इंग्लैंड के कप्तान एलिस्टर कुक ने उनका कैच छोड़ दिया. फिर नायर कहां रुकने वाले थे. उन्होंने इसका भरपूर फायदा उठाया और पहले ही शतक को तिहरे शतक (303*) में बदलकर इतिहास रच दिया. इस दौरान उन्हें 75 के स्कोर पर किस्मत का साथ मिला, जब गेंद स्लिप के बीच से निकल गई.
टूट गया था बैट, लेकिन नहीं छोड़ा साथ...
एक और बात जो आपने नोटिस नहीं की होगी, वह यह रही कि जब करुण नायर 105 रन पर थे, तभी उनके बैट का ऊपरी हिस्सा थोड़ा टूटकर झड़ गया. उन्होंने तेज गेंदबाज बेन स्टोक्स की गेंद को छोड़ने की कोशिश की, लोकिन वह बैट का किनारा लेती हुई कीपर के ऊपर से चौके के लिए चली गई. इस बीच उनका बैट क्षतिग्रस्त हो गया. उन्होंने बैट के झड़े हुए भाग को अंपायर को सौंप दिया, लेकिन बैट नहीं बदला और उसी से तिहरा शतक जड़ा.
वैसे किस्मत का खेल ही नहीं जीवन में भी अहम योगदान होता है, तभी तो किसी दुर्घटना विशेष में जहां कई लोग जान गंवा देते हैं, वहीं कुछ बच निकलते हैं. टीम इंडिया की ओर से इंग्लैंड के खिलाफ चेन्नई टेस्ट में तिहरा शतक लगाने वाले करुण नायर (Karun Nair) का इस पारी के दौरान किस्मत ने भरपूर साथ दिया, वैसे किस्मत तो पिछले छह महीने से उनके साथ है, जब वह एक दुर्घटना में बाल-बाल बच गए थे...
नौका डूबी, कुछ की मौत, बच गए करुण
बात जुलाई, 2016 की है. इस घटना के बारे में खुद करुण नायर ने तिहरा शतक लगाने के बाद कमेंटेटर रवि शास्त्री को बताया. उनका कहना है कि उसे यादकर वह आज भी सिहर उठते हैं. हालांकि इस घटना को उस समय मीडिया ने भी रिपोर्ट किया था. हुआ यह था कि करुण नायर सहित कई लोग केरल की पंपा नदी में नाव में सवार होकर पार्थसार्थी मंदिर जा रहे थे. तभी बीच में नौका ने संतुलन खो दिया और अंत में पलट ही गई. जैसे शोर मचा, तो बचाव दल वहां पहुंचा, लेकिन तब तक डूबने से कुछ की मौत हो गई, वहीं करुण नायर को भी तैरना नहीं आता था, लेकिन उनकी किस्मत ने साथ दिया और वह डूबे नहीं. इस बीच बचावकर्मियों ने उन्हें सुरक्षित निकाल लिया और वह बाल-बाल बच गए.
विजय-धवन चोटिल, टीम में आए खेल नहीं पाए...
साल 2015 में श्रीलंका के खिलाफ मुरली विजय के चेटिल होने पर करुण नायर को टीम में शामिल किया गया था, लेकिन खेलने का मौका नहीं मिला था. इसके बाद वह तब लकी रहे थे, जब उन्हें जिम्बाब्वे दौरे के लिए टीम इंडिया में चुना गया था. हालांकि उन्हें दो वनडे में खेलने का मौका मिला, लेकिन वह 2 और 39 रन की ही पारी खेल पाए. मतलब इस दौरे को वह भुना नहीं पाए. इसके बाद हाल ही के न्यूजीलैंड टीम के भारत दौरे में संयोग से उस समय मौका मिला, जब नियमित ओपनर शिखर धवन चोटिल होने के कारण अंतिम टेस्ट से बाहर हो गए, लेकिन करुण नायर (Karun Nair) प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं मिली. मतलब किस्मत का पूरा साथ नहीं मिला.
बार-बार 15 सदस्यीय टीम में शामिल किए जाने के बावजूद प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं मिलने पर करुण नायर जाहिर है थोड़े निराश तो रहे होंगे, लेकिन कहीं न कहीं किस्मत उनके साथ तो थी ही, तभी तो वह बेंच में ही सही टीम के साथ तो बने ही हुए थे. उनकी किस्मत ने एक बार फिर रंग दिखाया और इंग्लैंड के खिलाफ वर्तमान टेस्ट सीरीज के तीसरे टेस्ट जो मोहाली में खेला गया था, में प्लेइंग इलेवन में शामिल कर लिए गए और टीम इंडिया से टेस्ट खेलने का उन्हें मौका मिल गया. वास्तव में लोकेश राहुल को चोटिल होने पर उन्हें यह अवसर उनके हाथ आया. करुण नायर को टेस्ट कैप महान सुनील गावस्कर ने सौंपी. इस मैच में टीम इंडिया मे जहां करुण नायर ने डेब्यू किया, वहीं पार्थिव पटेल ने 8 साल बाद टेस्ट में वापसी की थी.
नायर को मौका तो मिला, लेकिन वह बल्ले से कमाल नहीं कर पाए या यूं कहें कि वह दुर्भाग्यशाली रहे और कप्तान विराट कोहली के साथ गलतफहमी में रनआउट हो गए. नायर ने उस समय महज चार रन ही बनाए थे. दूसरी पारी में उन्हें बल्लेबाजी का ही मौका नहीं मिला.
दूसरे टेस्ट में फिर फेल...
करुण नायर को इंग्लैंड के खिलाफ मुंबई टेस्ट में भी खेलने का मौका मिला. हालांकि लोकेश राहुल फिट हो गए थे. फिर भी उनको टीम में बरकरार रखा गया. मतलब एक बार फिर किस्मत उनके साथ थी, लेकिन कुछ ही हिस्से में, क्योंकि यह उनकी टेस्ट में दूसरी पारी थी और वह 13 रन पर पहुंचे ही थे कि मोईन अली की गेंद उनके पैड पर जा लगी. जोरदार अपील हुई, जिसे अंपायर ने नकार दिया, लेकिन इंग्लैंड ने रीव्यू ले लिया और अंत में वह आउट करार दिए गए.
चेन्नई टेस्ट में भी बल्लेबाजी के दौरान मिला किस्मत का साथ, रच दिया इतिहास
दो पारियों में फेल होने के बावजूद कप्तान विराट कोहली ने करुण नायर पर भरोसा बनाए रखा और चेन्नई टेस्ट में भी उन्हें प्लेइंग इलेवन में रखा, लेकिन इस बार किस्मत करुण नायर के साथ रही, जब 34 रन पर इंग्लैंड के कप्तान एलिस्टर कुक ने उनका कैच छोड़ दिया. फिर नायर कहां रुकने वाले थे. उन्होंने इसका भरपूर फायदा उठाया और पहले ही शतक को तिहरे शतक (303*) में बदलकर इतिहास रच दिया. इस दौरान उन्हें 75 के स्कोर पर किस्मत का साथ मिला, जब गेंद स्लिप के बीच से निकल गई.
टूट गया था बैट, लेकिन नहीं छोड़ा साथ...
एक और बात जो आपने नोटिस नहीं की होगी, वह यह रही कि जब करुण नायर 105 रन पर थे, तभी उनके बैट का ऊपरी हिस्सा थोड़ा टूटकर झड़ गया. उन्होंने तेज गेंदबाज बेन स्टोक्स की गेंद को छोड़ने की कोशिश की, लोकिन वह बैट का किनारा लेती हुई कीपर के ऊपर से चौके के लिए चली गई. इस बीच उनका बैट क्षतिग्रस्त हो गया. उन्होंने बैट के झड़े हुए भाग को अंपायर को सौंप दिया, लेकिन बैट नहीं बदला और उसी से तिहरा शतक जड़ा.
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