चाइनामैन बॉलर कुलदीप यादव (फाइल फोटो)
दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 5 नवंबर से शुरू हो रही टेस्ट सीरीज के साथ स्पिन फ्रेंडली विकेट बनाने की चर्चा जोरों पर है। एक समय था जब हम हमारे पास विश्व के बेस्ट स्पिनर हुआ करते थे। भला बिशन सिंह बेदी, इरापल्ली प्रसन्ना, भगवत चंद्रशेखर, अनिल कुंबले, हरभजन सिंह (अपने स्वर्णिम काल में) को कौन भूल सकता है, लेकिन यदि वर्तमान टीम इंडिया को देखें, तो आर अश्विन के अलावा आपको ऐसा कोई नाम नजर नहीं आएगा, जो सही मायनों में खुद को स्थापित कर पाया हो।
शायद इसीलिए हाल ही में चयनकर्ताओं ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अभ्यास मैच के लिए बोर्ड प्रेसीडेंट इलेवन की टीम में दो नए स्पिनरों को जगह दी है। इनमें से एक हैं ऑफ स्पिनर जयंत यादव और दूसरे हैं चाइनामैन बॉलर कुलदीप यादव। हम आपको भारत के इन उभरते फिरकी के जादूगरों से परिचित करा रहे हैं।
कुलदीप यादव : जब सचिन को भी दे दिया चकमा
कानपुर के कुलदीप एक चाइनामैन बॉलर हैं, जो गेंदबाजों में दुर्लभ माने जाते हैं और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में इस श्रेणी में गिने-चुने नाम ही हैं। दरअसल कुलदीप आईपीएल के दौरान चर्चा में आए थे। मुंबई इंडियंस टीम के एक प्रैक्टिस मैच में जब बल्लेबाजी के लिए सचिन तेंदुलकर मैदान में उतरे, तो उनके सामने एक अंजान सा युवा गेंदबाज था। उसने सचिन को गेंद फेंकी। गेंद ऑफ स्टंप के बाहर पिच हुई और तेजी से अंदर की ओर आई और सचिन का मिडिल स्टंप उड़ा गई। इससे तेंदुलकर भी भौचक रह गए। बाद में 18 साल के कुलदीप यादव ने कहा कि सचिन पाजी को मालूम ही नहीं था कि वे चाइनामैन गेंदबाज हैं। उनके अनुसार यह बात केवल कोच शॉन पोलक को पता थी। फिर क्या था कुलदीप छा गए। इसके बाद कुलदीप यादव नेशनल क्रिकेट एकेडमी में टीम इंडिया की नई 'दीवार' चेतेश्वर पुजारा को भी अपनी गेंद से चकमा देकर सबका ध्यान खींच चुके हैं।
'चाइनामैन बॉलर' टर्म कैसे आया
दरअसल जब कोई बाएं हाथ का स्पिनर गेंद को उंगलियों की बजाय कलाई से स्पिन कराता है, तो उसे चाइनामैन गेंदबाज कहते हैं। यह टर्म साल 1933 में वेस्टइंडीज और इंग्लैंड के बीच मैनचेस्टर में खेले गए एक टेस्ट मैच के दौरान आया था। जब वेस्टइंडीज के बाएं हाथ के ऑर्थोडॉक्स बॉलर एलिस अचॉन्ग ने इंग्लैंड के बैट्समैन वाल्टर रॉबिन्स को ऑफ स्टंप के बाहर से गेंद को टर्न कराकर बोल्ड कर दिया, तो रॉबिन्स ने पैवेलियन लौटते समय झल्लाकर अंपायर से एलिस के लिए अपशब्दों के साथ 'चाइनामैन' शब्द का प्रयोग किया था। वास्तव में एलिस चीनी मूल के खिलाड़ी थे, जो वेस्टइंडीज के लिए खेलते थे। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दक्षिण अफ्रीका के पॉल एडम्स, ऑस्ट्रेलिया के ब्रैड हॉग इसी श्रेणी के गेंदबाज हैं।
तेज गेंदबाज बनना चाहते थे कुलदीप
वास्तव में कुलदीप यादव पहले बाएं हाथ के तेज गेदबाज बनना चाहते थे, लेकिन उनके कोच ने उन्हें स्पिन गेंदबाजी में करियर बनाने की सलाह दी, जो अब सही साबित हो रही है।
आईपीएल के अलावा कुलदीप ने साल 2013 में ऑस्ट्रेलिया में खेले गई त्रिकोणीय एकदिवसीय सीरीज में भारत की अंडर-19 टीम की ओर से खेलते हुए शानदार प्रदर्शन किया था। उन्होंने इस दौरे में के चार मैचों में 6.44 की औसत से 9 विकेट हासिल किए और उनका इकोनॉमी रेट 1.81 रहा, यानी प्रति ओवर उन्होंने 2 रन से भी कम दिए।
वर्ल्ड कप में ले चुके हैं हैट्रिक, अकरम को किया इंप्रेस
कुलदीप ने साल 2014 के अंडर-19 वर्ल्ड कप में स्कॉटलैंड के खिलाफ मुकाबले में हैट्रिक ली थी। उन्होंने इस मैच में चार विकेट झटके थे। उन्होंने अंडर-19 वर्ल्ड कप में हैट्रिक लेने वाले पहले भारतीय गेंदबाज बनने का गौरव भी हासिल किया। उनकी बॉलिंग से वसीम अकरम इतने प्रभावित हुए कि उन्हें कोलकाता नाइट राइडर्स टीम में शामिल करवा लिया। पहले वे मुंबई इंडियन्स के लिए खेलते थे।
जयंत यादव : इस रणजी सत्र में लिए 33 विकेट, शतक भी जड़ा
दाएं हाथ के इस ऑफब्रेक गेंदबाज ने साल 2011 में हरियाणा रणजी टीम से अपने फर्स्ट क्लास करियर की शुरुआत की थी। वे पिछले कई सत्र से अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। जयंत ने 2014-15 के सत्र में 32.2 के स्ट्राइक रेट से 33 विकेट लेकर चयनकर्ताओं का ध्यान अपनी ओर खींचा था। इसी प्रदर्शन की वजह से उन्हें लिस्ट-ए के मैचों के लिए इंडिया-ए टीम में भी मौका मिला। अब वे एक बार फिर दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ होने वाले मैच में इंडिया-ए की ओर से खेलते दिखेंगे। जयंत ने वर्तमान रणजी सत्र में भी अपना शानदार फॉर्म जारी रखा है और अब तक 21 विकेट ले चुके हैं। इतना ही नहीं जयंत ने हाल ही में कर्नाटक के खिलाफ बल्लेबाजी में भी अपने हाथ दिखाए और सहवाग के साथ साझेदारी करते हुए शानदार शतक जड़ दिया।
जयंत ने अपने शानदार रणजी सीजन को लेकर बीसीसीआई टीवी से बातचीत की थी। बीसीसीआई टीवी ने जयंत से बातचीत की एक लिंक भी ट्वीट की थी।
25 साल के जयंत ने इंडिया में क्वालिटी स्पिनर के अकाल के बीच उम्मीद की नई किरण दिखाई है। जयंत टीम इंडिया के ऑफ स्पिनर आर अश्विन के फैन हैं। वे उनसे लगातार संपर्क में रहते हैं और समय-समय पर सलाह भी लेते रहते हैं। वे अपने तरकश में नई गेंदें लाने के लिए हमेशा सोचते और उन्हें आजमाते रहते हैं।
शायद इसीलिए हाल ही में चयनकर्ताओं ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अभ्यास मैच के लिए बोर्ड प्रेसीडेंट इलेवन की टीम में दो नए स्पिनरों को जगह दी है। इनमें से एक हैं ऑफ स्पिनर जयंत यादव और दूसरे हैं चाइनामैन बॉलर कुलदीप यादव। हम आपको भारत के इन उभरते फिरकी के जादूगरों से परिचित करा रहे हैं।
कुलदीप यादव : जब सचिन को भी दे दिया चकमा
कानपुर के कुलदीप एक चाइनामैन बॉलर हैं, जो गेंदबाजों में दुर्लभ माने जाते हैं और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में इस श्रेणी में गिने-चुने नाम ही हैं। दरअसल कुलदीप आईपीएल के दौरान चर्चा में आए थे। मुंबई इंडियंस टीम के एक प्रैक्टिस मैच में जब बल्लेबाजी के लिए सचिन तेंदुलकर मैदान में उतरे, तो उनके सामने एक अंजान सा युवा गेंदबाज था। उसने सचिन को गेंद फेंकी। गेंद ऑफ स्टंप के बाहर पिच हुई और तेजी से अंदर की ओर आई और सचिन का मिडिल स्टंप उड़ा गई। इससे तेंदुलकर भी भौचक रह गए। बाद में 18 साल के कुलदीप यादव ने कहा कि सचिन पाजी को मालूम ही नहीं था कि वे चाइनामैन गेंदबाज हैं। उनके अनुसार यह बात केवल कोच शॉन पोलक को पता थी। फिर क्या था कुलदीप छा गए। इसके बाद कुलदीप यादव नेशनल क्रिकेट एकेडमी में टीम इंडिया की नई 'दीवार' चेतेश्वर पुजारा को भी अपनी गेंद से चकमा देकर सबका ध्यान खींच चुके हैं।
'चाइनामैन बॉलर' टर्म कैसे आया
दरअसल जब कोई बाएं हाथ का स्पिनर गेंद को उंगलियों की बजाय कलाई से स्पिन कराता है, तो उसे चाइनामैन गेंदबाज कहते हैं। यह टर्म साल 1933 में वेस्टइंडीज और इंग्लैंड के बीच मैनचेस्टर में खेले गए एक टेस्ट मैच के दौरान आया था। जब वेस्टइंडीज के बाएं हाथ के ऑर्थोडॉक्स बॉलर एलिस अचॉन्ग ने इंग्लैंड के बैट्समैन वाल्टर रॉबिन्स को ऑफ स्टंप के बाहर से गेंद को टर्न कराकर बोल्ड कर दिया, तो रॉबिन्स ने पैवेलियन लौटते समय झल्लाकर अंपायर से एलिस के लिए अपशब्दों के साथ 'चाइनामैन' शब्द का प्रयोग किया था। वास्तव में एलिस चीनी मूल के खिलाड़ी थे, जो वेस्टइंडीज के लिए खेलते थे। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दक्षिण अफ्रीका के पॉल एडम्स, ऑस्ट्रेलिया के ब्रैड हॉग इसी श्रेणी के गेंदबाज हैं।
तेज गेंदबाज बनना चाहते थे कुलदीप
वास्तव में कुलदीप यादव पहले बाएं हाथ के तेज गेदबाज बनना चाहते थे, लेकिन उनके कोच ने उन्हें स्पिन गेंदबाजी में करियर बनाने की सलाह दी, जो अब सही साबित हो रही है।
कुलदीप यादव (फाइल फोटो)
आईपीएल के अलावा कुलदीप ने साल 2013 में ऑस्ट्रेलिया में खेले गई त्रिकोणीय एकदिवसीय सीरीज में भारत की अंडर-19 टीम की ओर से खेलते हुए शानदार प्रदर्शन किया था। उन्होंने इस दौरे में के चार मैचों में 6.44 की औसत से 9 विकेट हासिल किए और उनका इकोनॉमी रेट 1.81 रहा, यानी प्रति ओवर उन्होंने 2 रन से भी कम दिए।
वर्ल्ड कप में ले चुके हैं हैट्रिक, अकरम को किया इंप्रेस
कुलदीप ने साल 2014 के अंडर-19 वर्ल्ड कप में स्कॉटलैंड के खिलाफ मुकाबले में हैट्रिक ली थी। उन्होंने इस मैच में चार विकेट झटके थे। उन्होंने अंडर-19 वर्ल्ड कप में हैट्रिक लेने वाले पहले भारतीय गेंदबाज बनने का गौरव भी हासिल किया। उनकी बॉलिंग से वसीम अकरम इतने प्रभावित हुए कि उन्हें कोलकाता नाइट राइडर्स टीम में शामिल करवा लिया। पहले वे मुंबई इंडियन्स के लिए खेलते थे।
जयंत यादव : इस रणजी सत्र में लिए 33 विकेट, शतक भी जड़ा
दाएं हाथ के इस ऑफब्रेक गेंदबाज ने साल 2011 में हरियाणा रणजी टीम से अपने फर्स्ट क्लास करियर की शुरुआत की थी। वे पिछले कई सत्र से अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। जयंत ने 2014-15 के सत्र में 32.2 के स्ट्राइक रेट से 33 विकेट लेकर चयनकर्ताओं का ध्यान अपनी ओर खींचा था। इसी प्रदर्शन की वजह से उन्हें लिस्ट-ए के मैचों के लिए इंडिया-ए टीम में भी मौका मिला। अब वे एक बार फिर दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ होने वाले मैच में इंडिया-ए की ओर से खेलते दिखेंगे। जयंत ने वर्तमान रणजी सत्र में भी अपना शानदार फॉर्म जारी रखा है और अब तक 21 विकेट ले चुके हैं। इतना ही नहीं जयंत ने हाल ही में कर्नाटक के खिलाफ बल्लेबाजी में भी अपने हाथ दिखाए और सहवाग के साथ साझेदारी करते हुए शानदार शतक जड़ दिया।
जयंत ने अपने शानदार रणजी सीजन को लेकर बीसीसीआई टीवी से बातचीत की थी। बीसीसीआई टीवी ने जयंत से बातचीत की एक लिंक भी ट्वीट की थी।
Haryana off-spinner Jayant Yadav speaks to @28anand about his fruitful #RanjiTrophy season http://t.co/6IBMEjX9st pic.twitter.com/zB4GPNMWnh
— BCCI (@BCCI) January 27, 2015
25 साल के जयंत ने इंडिया में क्वालिटी स्पिनर के अकाल के बीच उम्मीद की नई किरण दिखाई है। जयंत टीम इंडिया के ऑफ स्पिनर आर अश्विन के फैन हैं। वे उनसे लगातार संपर्क में रहते हैं और समय-समय पर सलाह भी लेते रहते हैं। वे अपने तरकश में नई गेंदें लाने के लिए हमेशा सोचते और उन्हें आजमाते रहते हैं।
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