नई दिल्ली:
इंडियन प्रीमियर लीग सीजन 8 से दिल्ली डेयरडेविल्स की टीम प्ले ऑफ़ की होड़ बाहर हो चुकी है। दिल्ली ने अब तक 12 मैचों में 4 मैच जीते हैं और 8 मैच गवाएं हैं। अगर बाकी के दो मैच में टीम जीत भी हासिल कर लेती है तो उसे कोई बहुत फायदा नहीं होगा। दिल्ली के फैंस और टीम के खिलाड़ी दोनों इस प्रदर्शन से निराश होंगे। लेकिन अगर पिछले सीज़न के प्रदर्शन को देखें तो दिल्ली के खिलाड़ियों ने कहीं बेहतर प्रदर्शन किया है।
सुधरा प्रदर्शन
2014 में हुए सीज़न 7 के दौरान दिल्ली डेयरडेविल्स की टीम लीग में आखिरी स्थान पर रही थी। तब दिल्ली ने अपने 14 मैचों में महज 2 मैच जीते थे। इस लिहाज से टीम ने वाकई में अपने प्रदर्शन को सुधारा है।
बावजूद इसके टीम से इस बार कहीं बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही थी। इसकी कई वजहें भी थीं। सबसे बड़ी वजह तो टीम के साथ गैरी कर्स्टन जैसे अनुभवी कोच का जुड़ना था। भारतीय परिस्थितियों में गैरी कर्स्टन का रिकॉर्ड बेहद कामयाब रहा था, उन्होंने 2011 में टीम इंडिया को 28 साल के अंतराल पर वर्ल्ड कप दिलाने में अहम भूमिका अदा की थी।
कोच की नाकामी
लेकिन इस सीजन में अलग-अलग परिवेश के खिलाड़ियों को एक सूत्र में पिरोने में वे नाकाम रहे। हालांकि उन्हें अपनी काबिलियत दिखाने के लिए टीम प्रबंधन एक सीजन का मौका और दे सकता है।
दिल्ली डेयरडेविल्स के खराब प्रदर्शन की सबसे बड़ी वजह टीम के भारी भरकम खिलाड़ियों का लचर प्रदर्शन रहा है। दिल्ली टीम प्रबंधन ने इस सीजन के लिए युवराज सिंह को सबसे ज्यादा 16 करोड़ रुपये में खरीदा। इसके अलावा एंजेलो मैथ्यूज के लिए दिल्ली ने 7.50 करोड़ रुपये चुकाए थे। इसके अलावा ज़हीर ख़ान के लिए टीम ने 4 करोड़ रुपये खर्च किए थे।
करोड़ों हुए ढेर
27.5 करोड़ रुपये में खरीदे गए इन तीनों से टीम को निराशा हाथ लगी। युवराज ने 12 मैचों में 205 रन बनाए, करीब 18 की औसत से और गेंदबाज़ी में उन्हें महज एक कामयाबी मिली। एंजेलो मैथ्यूज़ ने 10 मैच में 143 रन बनाए, 24 से कम की औसत से और गेंदबाज़ी में महज 7 विकेट लिए। जबकि जहीर ख़ान ने पांच मैच में पांच विकेट लिए।
टीम जिन खिलाड़ियों पर निर्भर कर रही थी उनके लचर प्रदर्शन के झटके से टीम उबर नहीं पाई।
कप्तान पर सवाल
इन सबके बीच कप्तान जेपी ड्यूमिनी निश्चित तौर पर ऑलराउंड खेल का प्रदर्शन करने में कामयाब रहे। उन्होंने अब तक खेले गए 12 मैचों में 341 रन बनाए, 38 की औसत से और गेंदबाज़ी में भी उन्होंने 8 विकेट चटकाए। लेकिन ड्यूमिनी दक्षिण अफ्रीकी कोच की मौजूदगी में भी टीम को लीडर के तौर पर संभाल नहीं पाए।
एक कप्तान के तौर पर उन्हें अपने साथी खिलाड़ियों को बेहतर करने के लिए प्रेरित करना था, लेकिन वे खुद ही बेहतर करने की कोशिश में लगे रहे। हालांकि प्रोफेशनल लीग में दूसरे खिलाड़ियों की नाकामी का जिम्मा कप्तान पर नहीं थोपा जा सकता, लेकिन टीम के अंतिम प्लेइंग में भी किलिंग इंस्टिंक्ट का अभाव दिखा।
किसका रहा अभाव?
वैसे इस सीजन में औसत प्रदर्शन के बावजूद दिल्ली के दो चेहरों ने दम दिखाया। इमरान ताहिर तो टूर्नामेंट के गेंदबाज़ बनकर उभरे। वहीं युवा बल्लेबाज श्रेयस अय्यर ने भी भविष्य को लेकर उम्मीदें दिखाई हैं।
टी-20 के मुक़ाबले इम्पैक्ट वाले खिलाड़ियों के बूते जीते जाते हैं। एक खिलाड़ी का जोरदार प्रदर्शन टीम को जीत के दरवाजे तक पहुंचा देता है या वह खिलाड़ी टीम को मुश्किल से निकालकर जीत तक ले जाता है। आईपीएल सीजन 8 के दौरान दिल्ली डेयरडेविल्स की टीम इस एंकर खिलाड़ी को डेवलप नहीं कर सकी।
सुधरा प्रदर्शन
2014 में हुए सीज़न 7 के दौरान दिल्ली डेयरडेविल्स की टीम लीग में आखिरी स्थान पर रही थी। तब दिल्ली ने अपने 14 मैचों में महज 2 मैच जीते थे। इस लिहाज से टीम ने वाकई में अपने प्रदर्शन को सुधारा है।
बावजूद इसके टीम से इस बार कहीं बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही थी। इसकी कई वजहें भी थीं। सबसे बड़ी वजह तो टीम के साथ गैरी कर्स्टन जैसे अनुभवी कोच का जुड़ना था। भारतीय परिस्थितियों में गैरी कर्स्टन का रिकॉर्ड बेहद कामयाब रहा था, उन्होंने 2011 में टीम इंडिया को 28 साल के अंतराल पर वर्ल्ड कप दिलाने में अहम भूमिका अदा की थी।
कोच की नाकामी
लेकिन इस सीजन में अलग-अलग परिवेश के खिलाड़ियों को एक सूत्र में पिरोने में वे नाकाम रहे। हालांकि उन्हें अपनी काबिलियत दिखाने के लिए टीम प्रबंधन एक सीजन का मौका और दे सकता है।
दिल्ली डेयरडेविल्स के खराब प्रदर्शन की सबसे बड़ी वजह टीम के भारी भरकम खिलाड़ियों का लचर प्रदर्शन रहा है। दिल्ली टीम प्रबंधन ने इस सीजन के लिए युवराज सिंह को सबसे ज्यादा 16 करोड़ रुपये में खरीदा। इसके अलावा एंजेलो मैथ्यूज के लिए दिल्ली ने 7.50 करोड़ रुपये चुकाए थे। इसके अलावा ज़हीर ख़ान के लिए टीम ने 4 करोड़ रुपये खर्च किए थे।
करोड़ों हुए ढेर
27.5 करोड़ रुपये में खरीदे गए इन तीनों से टीम को निराशा हाथ लगी। युवराज ने 12 मैचों में 205 रन बनाए, करीब 18 की औसत से और गेंदबाज़ी में उन्हें महज एक कामयाबी मिली। एंजेलो मैथ्यूज़ ने 10 मैच में 143 रन बनाए, 24 से कम की औसत से और गेंदबाज़ी में महज 7 विकेट लिए। जबकि जहीर ख़ान ने पांच मैच में पांच विकेट लिए।
टीम जिन खिलाड़ियों पर निर्भर कर रही थी उनके लचर प्रदर्शन के झटके से टीम उबर नहीं पाई।
कप्तान पर सवाल
इन सबके बीच कप्तान जेपी ड्यूमिनी निश्चित तौर पर ऑलराउंड खेल का प्रदर्शन करने में कामयाब रहे। उन्होंने अब तक खेले गए 12 मैचों में 341 रन बनाए, 38 की औसत से और गेंदबाज़ी में भी उन्होंने 8 विकेट चटकाए। लेकिन ड्यूमिनी दक्षिण अफ्रीकी कोच की मौजूदगी में भी टीम को लीडर के तौर पर संभाल नहीं पाए।
एक कप्तान के तौर पर उन्हें अपने साथी खिलाड़ियों को बेहतर करने के लिए प्रेरित करना था, लेकिन वे खुद ही बेहतर करने की कोशिश में लगे रहे। हालांकि प्रोफेशनल लीग में दूसरे खिलाड़ियों की नाकामी का जिम्मा कप्तान पर नहीं थोपा जा सकता, लेकिन टीम के अंतिम प्लेइंग में भी किलिंग इंस्टिंक्ट का अभाव दिखा।
किसका रहा अभाव?
वैसे इस सीजन में औसत प्रदर्शन के बावजूद दिल्ली के दो चेहरों ने दम दिखाया। इमरान ताहिर तो टूर्नामेंट के गेंदबाज़ बनकर उभरे। वहीं युवा बल्लेबाज श्रेयस अय्यर ने भी भविष्य को लेकर उम्मीदें दिखाई हैं।
टी-20 के मुक़ाबले इम्पैक्ट वाले खिलाड़ियों के बूते जीते जाते हैं। एक खिलाड़ी का जोरदार प्रदर्शन टीम को जीत के दरवाजे तक पहुंचा देता है या वह खिलाड़ी टीम को मुश्किल से निकालकर जीत तक ले जाता है। आईपीएल सीजन 8 के दौरान दिल्ली डेयरडेविल्स की टीम इस एंकर खिलाड़ी को डेवलप नहीं कर सकी।
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