आम दिनों की तरह 2017 में सर्दियों के मौसम में कोच रणधीर सिंह मन्हास जम्मू के नवाबाद इलाके में मौलाना आजाद स्टेडियम पर खिलाड़ियों को अभ्यास कराने में जुटे थे कि एक सत्रह वर्ष का लड़का उनके करीब आया. उसने कहा, ‘सर क्या आप मुझे गेंद डालने देंगे.'मन्हास को अच्छी तरह से याद है कि उस समय प्रदेश की सीनियर टीम के बल्लेबाज जतिन वाधवान क्रीज पर थे. कोच ने लड़के से नाम पूछा और उसने जवाब दिया,‘उमरान मलिक.' मन्हास ने उस लड़के का अनुरोध मान लिया और उन्हें आज तक समझ में नहीं आया कि वह कैसे राजी हुए. उस समय नेट पर हालांकि उन्हें एक गेंदबाज की जरूरत थी. उमरान मलिक के कोच रणधीर मन्हास ने उनसे जुडे़ कई रोचक किस्से बताए हैं. चलिए बारी-बारी से जानिए.
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1. गेंदों की गति देख चौंके कोच
मन्हास ने ही उस लड़के के सपनों को आसमान छूने के लिये पर दिए. उसी दिन एमए स्टेडियम पर तेज गेंदबाजी के उस तूफान का जन्म हुआ था जिससे आज आईपीएल जैसी प्रतिस्पर्धी लीग में दुनिया भर के बल्लेबाज खौफजदा हैं. भारतीय क्रिकेट के इतिहास का सबसे तेज गेंदबाज उमरान मलिक जिसने आईपीएल के इस सत्र में आठ मैचों में 15 विकेट ले डाले हैं. जम्मू जिला क्रिकेट परिषद के कोच मन्हास ने कहा, ‘जतिन के लिये उसकी गेंदें बहुत तेज थी. मुझे लगा कि वह लड़का खास है और टीम के सीनियर तेज गेंदबाज रामदयाल को भी ऐसा ही लगा राम ने कहा कि इस लड़के का भविष्य उज्ज्वल है.'
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2. शुरुआत में नियमित ट्रेनिंग पर नहीं आते थे.
उमरान को 17 वर्ष की उम्र तक कोई कोचिंग नहीं मिली और ना ही कभी वह चमड़े की गेंद से खेला था. वह मोहल्ला टेनिस बॉल टूर्नामेंट खेलता था जिससे पांच सौ से 3000 रुपये प्रति मैच तक मिलते थे. जम्मू के गुज्जर नगर के मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे उमरान के पिता की स्थानीय बाजार में फलों की दुकान है. वह चाहते थे कि बेटा अच्छी तालीम हासिल करे लेकिन बाद में उन्होंने उसे क्रिकेट खेलने के लिये प्रोत्साहित किया. उमरान को अकादमी में नाम लिखवाने के लिये कहा गया, लेकिन मन्हास को याद है कि 2017-18 में वह कभी नियमित नहीं आता था.
3. उधार के जूते मांगकर गेंदबाजी की
उन्होंने कहा, ‘वह एक दिन आता और अगले कई दिन नदारद. हमें उसे कहना पड़ा कि उसे अभ्यास में अनुशासित होना पड़ेगा. मैने उससे कहा कि जिस दिन तुम देश के लिये खेलोगे, उस दिन पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ेगा. संजीदा होने की जरूरत है.' उन्होंने कहा, ‘मैंने उसे अंडर 19 ट्रॉयल के लिये भेजा जिसमें उसने उधार के जूते मांगकर गेंदबाजी की. उसे कूच बिहार ट्रॉफी में चुना गया लेकिन एक ही मैच मिला और ओडिशा के खिलाफ उस मैच में बारिश आ गई. उसे देखने वालों ने हालांकि मुझे कहा कि विकेटकीपर स्टंप से 35 गज पीछे खड़ा था जो अंडर 19 स्तर पर नहीं होता.'
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4. इस बात ने शरीर का निचला हिस्सा बनाया मजबूत
सनराइजर्स हैदराबाद का हिस्सा बनने से पहले उमरान कभी व्यवस्थित तरीके से जिम नहीं गया लेकिन उसका शरीर काफी मजबूत है. मन्हास ने कहा, ‘वह तवी नदी के पास रहता है और नदी के किनारे की जमीन बालू वाली है. उमरान उसी पर दौड़कर बड़ा हुआ और शुरू में वहीं क्रिकेट खेली. इससे उसके शरीर का निचला हिस्सा मजबूत हो गया.' जम्मू कश्मीर क्रिकेट टीम में कश्मीरी खिलाड़ियों का दबदबा था, लेकिन उमरान की मदद उनके ही साथी खिलाड़ी अब्दुल समाद ने की जो खुद भी सनराइजर्स टीम का हिस्सा हैं.
5. समाद ने मूडी को भेजे गेंदबाजी के वीडियो
समाद ने उसकी गेंदबाजी के वीडियो वीवीएस लक्ष्मण और टॉम मूडी को जून 2020 में भेजे. उस समय पहले लॉकडाउन के बाद कुछ ही लोग अभ्यास कर रहे थे. सनराइजर्स को उसके वीडियो पसंद आये और इस तरह टीम में उसके प्रवेश की राह बनी. इस तरह सनराइजर्स और संभवत: भारतीय क्रिकेट को एक नया सितारा मिला और उमरान के सपनों को मानों नये पंख लग गए. समाद ने उमरान के लिए एक्स्ट्रा प्रयास किए और हैदराबाद से कई बार उन्हें नेट बॉलर के रूप में चुनने को कहा. हालात ऐसे थे कि जब हैदराबाद से वह नेट बॉलर के रूप में जुड़े तो उन्हें नेट बॉलर को मिलने वाली सैलरी 15 हजार रुपये भी नहीं मिलते थे, लेकिन उमरान ने हिम्मत नहीं हारी. उनका जज्बा सिर चढ़कर बोल रहा था और अब पूरी क्रिकेट दुनिया उन्हें देख रही है.
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