नेत्रहीन क्रिकेट टी20 वर्ल्ड कप के लिए चयनित भारती टीम के सदस्य खिलाड़ी.
मुंबई:
नेत्रहीनों के लिए दूसरे टी-20 वर्ल्ड कप में भाग लेने वाली 17 सदस्यीय भारतीय टीम का ऐलान हो गया है. टूर्नामेंट 28 जनवरी से भारत में होगा. दस राज्यों से टीम के 17 खिलाड़ी चुने गए हैं. टूर्नामेंट का फाइनल 12 फरवरी को बेंगलुरु में होगा.
भारतीय नेत्रहीन क्रिकेट संघ (सीएबीआई) के अध्यक्ष महंतेश जीके ने कहा कि टीम का चयन मुश्किल काम था. 10 राज्यों से 17 खिलाड़ियों को चुना गया है, जबकि नौ खिलाड़ी रिजर्व रहेंगे.
भारत के नेत्रहीन क्रिकेट खिलाड़ी कई सालों तक मुश्किलों से जूझते रहे, फिर भी उन्होंने 2012 में पहला टी-20 वर्ल्ड कप और 2014 में क्रिकेट वर्ल्ड कप जीता. सालों पहले उन्हें इंडसंड बैंक के रूप में पहला प्रायोजक मिला है. टीम के कप्तान अजय कुमार रेड्डी ने पहले टीम को होने वाली मुश्किलों के बारे में कहा कभी हमें मैदान नहीं मिलता था, कभी खेल के बीच में बैट टूटने पर दूसरा किट नहीं मिलता था. कभी होटल में ठहरने के इंतजाम नहीं होते थे. लेकिन अब यह फिक्र नहीं है. हम पहले भी जी-जान लगाते थे अब सौ फीसदी से भी ज्यादा देंगे.
टीम के उप कप्तान और विकेट कीपर प्रकाश जयरमैया ने भी टीम की मुश्किलों का जिक्र करते हुए बताया कि कैसे स्कूल के वक्त से उन्हें क्रिकेट का किट तक जुगाड़ने में मुश्किल आती थी.
वर्ल्ड ब्लाइंड क्रिकेट काउंसिल 1996 में बनी थी. दुनिया के कई देशों के क्रिकेट बोर्ड नेत्रहीनों की टीम को मान्यता देते हैं लेकिन 1928 में बनी बीसीसीआई इस बारे में अब तक सोच ही रही है. बोर्ड अध्यक्ष अनुराग ठाकुर का रुख इस मामले में सकारात्मक रहा है, लेकिन अभी तक कुछ ठोस नहीं हुआ है.
टीम इंदौर में 5 जनवरी से ट्रेनिंग कैम्प शुरू करेगी. भारत की तरह कुछ और देशों को दिक्कत है मसलन नेपाल को टूर्नामेंट के लिए किराया भी चाहिए.
नेत्रहीनों के क्रिकेट ने अपने बूते लंबा सफर तय किया है. इस बार इनामी राशी में दस गुना इजाफा हुआ है. विजेता टीम को दो के बजाए 20 लाख रुपये जबकि उप विजेता को 15 लाख रुपये की इनामी राशि मिलेगी.
भारतीय टीम
अजय कुमार रेड्डी (कप्तान), प्रकाश जयारमैया, दीपक मलिक, रामबीर सिंह, सुखराम माझी, टी दुर्गा राव, सुनील आर, डी वेंकटेश्वर राव, गणेशभाई मुहुंदकर, मोहम्मद फैजल, मोहम्मद फरहान, केतनभाई पटेल, मोहम्मद जफर इकबाल, सोनू गोलकर, अनीष बेग और प्रेम कुमार जी.
भारतीय नेत्रहीन क्रिकेट संघ (सीएबीआई) के अध्यक्ष महंतेश जीके ने कहा कि टीम का चयन मुश्किल काम था. 10 राज्यों से 17 खिलाड़ियों को चुना गया है, जबकि नौ खिलाड़ी रिजर्व रहेंगे.
भारत के नेत्रहीन क्रिकेट खिलाड़ी कई सालों तक मुश्किलों से जूझते रहे, फिर भी उन्होंने 2012 में पहला टी-20 वर्ल्ड कप और 2014 में क्रिकेट वर्ल्ड कप जीता. सालों पहले उन्हें इंडसंड बैंक के रूप में पहला प्रायोजक मिला है. टीम के कप्तान अजय कुमार रेड्डी ने पहले टीम को होने वाली मुश्किलों के बारे में कहा कभी हमें मैदान नहीं मिलता था, कभी खेल के बीच में बैट टूटने पर दूसरा किट नहीं मिलता था. कभी होटल में ठहरने के इंतजाम नहीं होते थे. लेकिन अब यह फिक्र नहीं है. हम पहले भी जी-जान लगाते थे अब सौ फीसदी से भी ज्यादा देंगे.
टीम के उप कप्तान और विकेट कीपर प्रकाश जयरमैया ने भी टीम की मुश्किलों का जिक्र करते हुए बताया कि कैसे स्कूल के वक्त से उन्हें क्रिकेट का किट तक जुगाड़ने में मुश्किल आती थी.
वर्ल्ड ब्लाइंड क्रिकेट काउंसिल 1996 में बनी थी. दुनिया के कई देशों के क्रिकेट बोर्ड नेत्रहीनों की टीम को मान्यता देते हैं लेकिन 1928 में बनी बीसीसीआई इस बारे में अब तक सोच ही रही है. बोर्ड अध्यक्ष अनुराग ठाकुर का रुख इस मामले में सकारात्मक रहा है, लेकिन अभी तक कुछ ठोस नहीं हुआ है.
टीम इंदौर में 5 जनवरी से ट्रेनिंग कैम्प शुरू करेगी. भारत की तरह कुछ और देशों को दिक्कत है मसलन नेपाल को टूर्नामेंट के लिए किराया भी चाहिए.
नेत्रहीनों के क्रिकेट ने अपने बूते लंबा सफर तय किया है. इस बार इनामी राशी में दस गुना इजाफा हुआ है. विजेता टीम को दो के बजाए 20 लाख रुपये जबकि उप विजेता को 15 लाख रुपये की इनामी राशि मिलेगी.
भारतीय टीम
अजय कुमार रेड्डी (कप्तान), प्रकाश जयारमैया, दीपक मलिक, रामबीर सिंह, सुखराम माझी, टी दुर्गा राव, सुनील आर, डी वेंकटेश्वर राव, गणेशभाई मुहुंदकर, मोहम्मद फैजल, मोहम्मद फरहान, केतनभाई पटेल, मोहम्मद जफर इकबाल, सोनू गोलकर, अनीष बेग और प्रेम कुमार जी.
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