25 साल के स्टीवन स्मिथ को जब ऑस्ट्रेलियाई टीम की कमान सौंपी गई थी तो कई लोगों ने सवाल खड़े किए थे। ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट की परंपरा इस बात को गंवारा नहीं करती कि इतनी कम उम्र में किसी को इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी जाए। तमाम आलोचनाओं का जवाब स्टीवन स्मिथ ने दिया, वह भी अपने बल्ले से और बताया कि उम्र का कामयाबी से कोई नाता नहीं होता। अगर आपमें हौंसला है और अपने आप को साबित करने की भूख तो कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं होता।
उन्होंने सीरीज़ के सभी चार टेस्ट मैचों में शतक जड़ कर कन्सिस्टन्सी (consistency) की मिसाल पेश कर दी। ऐसा करने वाले महान ऑल राउंडर जैक कैलिस के बाद वह सिर्फ़ दूसरे बल्लेबाज़ बने हैं। अभी तक सात पारियों में उनके नाम 698 रन हैं 137 की औसत से.
जरा पिछली सात पारियों में स्मिथ के स्कोर पर नज़र डालिए.. 162*, 52*, 133*, 28, 192, 14 और 117 ये आंकड़े बता रहे हैं कि उनका बल्ला कितना आग उगल रहा है। ये और बात है कि उनकी इस कामयाबी में भारत के बेहद औसत गेंदबाज़ी और उससे भी खराब फील्डिंग की बड़ी भूमिका है, लेकिन इससे स्मिथ का कीर्तिमान कम नहीं हो जाता।
इतना ही नहीं, माइकल क्लार्क के चोटिल होने के बाद जिस तरीके से उन्होने सीनियर खिलाड़ियों से भरी ऑस्ट्रेलियाई टीम में अपना कद बढ़ाया है वह काबिलेतारीफ़ है। मैदान पर वह शांत रहते हैं, लेकिन उनकी आक्रामक्ता में कोई कमी नहीं है। पिछले 12 महीनों में उनका करियर एक नई राह पर है। 25 साल की उम्र में ऐसी कामयाबी हर बार देखने को नहीं मिलती।
कप्तानों के मामले में ऑस्ट्रेलिया हमेशा बहुत गंभीरता से किसी को चुनता है। मार्क टेलर के बाद स्टीन वॉ उनके बाद पॉन्टिंग और फ़िर माइकल क्लार्क। ये तमाम वे कप्तान हैं, जिन्होंने ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट का सिर दुनिया भर में बुलंदी पर रखा और इसी कड़ी में स्टीवन स्मिथ पर ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट का दांव सही पड़ता नज़र आ रहा है।
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