यह ख़बर 28 जून, 2012 को प्रकाशित हुई थी

डीआरएस के मसले पर आईसीसी पर भारी पड़ी बीसीसीआई

खास बातें

  • बीसीसीआई के विरोध के कारण आईसीसी बोर्ड अंपायरों के फैसले की समीक्षा पद्धति (डीआरएस) के उपयोग को सभी टेस्ट और एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों में अनिवार्य कराने में नाकाम रहा।
कुआलालम्पुर:

बीसीसीआई के विरोध के कारण आईसीसी बोर्ड अंपायरों के फैसले की समीक्षा पद्धति (डीआरएस) के उपयोग को सभी टेस्ट और एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों में अनिवार्य कराने में नाकाम रहा।

आईसीसी ने कहा कि वह मौजूदा इंतजाम पर कायम रहेगा, जहां द्विपक्षीय शृंखला में दो प्रतिस्पर्धी देश इस तकनीक के इस्तेमाल पर फैसला करते हैं। आईसीसी के मुख्य कार्यकारियों की समिति ने सोमवार को टेस्ट और एकदिवसीय मैचों में डीआरएस के इस्तेमाल को अनिवार्य बनाने की सिफारिश की थी, लेकिन भारत के विरोध के बाद इसे स्वीकृति नहीं दी जा सकी।

क्रिकेट की वैश्विक संस्था ने एक बयान में कहा, अंपायरों के फैसले की समीक्षा प्रणाली के अंतर्गत न्यूनतम जरूरत के तौर पर हॉट स्पॉट कैमरा को शामिल करने की सीईसी की सिफारिश और एलबीडब्ल्यू प्रोटोकॉल से संबंधित संशोधन को स्वीकृति देते हुए आईसीसी बोर्ड इस बात पर राजी हुआ कि डीआरएस के इस्तेमाल पर मौजूदा इंतजाम जारी रहेंगे, जिसमें द्विपक्षीय शृंखला में हिस्सा ले रहे देश इसे लागू करने के बारे में फैसला करते हैं।

मंगलवार रात आईसीसी कार्यकारी बोर्ड की बैठक में इस मुद्दे पर बात की गई, लेकिन अधिकांश पूर्णकालिक देशों के समर्थन के बावजूद इस पर मतदान नहीं कराया गया। आईसीसी की वार्षिक आम सभा के तहत यहां 26 और 27 जून को बैठक करने वाले आईसीसी बोर्ड ने इस दौरान क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए सिफारिशें की, दानिश केनेरिया स्पॉट फिक्सिंग मामले और 50 ओवर के प्रारूप में नियामक बदलावों पर भी चर्चा की।

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बैठक में सभी 10 पूर्णकालिक सदस्य देशों के बोर्ड अध्यक्षों, एसोसिएट और एफीलिएट सदस्यों के तीन प्रतिनिधियों, आईसीसी उपाध्यक्ष एलेन इसाक, निवर्तमान मुख्य कार्यकारी हारून लोर्गट और आईसीसी के प्रमुख सलाहकार आईएस बिंद्रा तथा आईसीसी के निवर्तमान अध्यक्ष शरद पवार ने भाग लिया।