
- ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 के पारित होने से भारत में ऑनलाइन गेमिंग एप्स पर प्रतिबंध लग जाएगा
- बीसीसीआई सरकार के कानून के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाएगा और टीम इंडिया के जर्सी पर अब ड्रीम 11 का नाम नहीं होगा
- आईपीएल, ISL, कबड्डी लीग सहित अन्य खेलों को ऑनलाइन गेमिंग एप्स के बंद होने से नए वित्तीय संसाधन खोजने पड़ेंगे
ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 के लोकसभा और राज्यसभा से पास होते ही खेलों की दुनिया में हलचल मच गई है. इसका सीधा असर भारतीय खेलों की दुनिया पर भी पड़नेवाला है. लेकिन इस बारे में सामने आकर कोई कुछ कहने को तैयार नहीं. द टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए बयान में बीसीसीआई के सचिव देवजीत सैकिया ने कहा, 'बीसीसीआई ऐसा कुछ भी नहीं करेगा जिसकी सरकार या देश का कानून इजाजत नहीं देता. बीसीसीआई देश के किसी कानून के खिलाफ नहीं जाएगा. ये साफ है.'
एशिया कप और क्रिकेट पर असर
टीम इंडिया अबतक मैदान पर उतरती है तो खिलाड़ियों की जर्सी पर उसके टाइटिल स्पॉन्सर 'DREAM 11 INDIA' लिखा होता था जो अब आगे नहीं दिखाई देगा. ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन और विनिमय विधेयक 2025 के दोनों सदनों से पारित हो जाने के बाद अब सभी ऑनलाइन गेमिंग एप पर प्रतिबंध लग जाएगा. 'ड्रीम 11' का बीसीसीआई के साथ जुलाई 2023 से मार्च 2026 तक के लिए 358 करोड़ रुपये का करार हुआ है. ऐसे में टीम इंडिया को एशिया कप 2025 के लिए किसी दूसरे टाइटिल स्पॉन्सर की तलाश हो सकती है.
दूसरे सभी खेल, IPL और क्रिकेट टूर्नामेंट पर असर
इसका असर दुनिया की सबसे अमीर घरेलू क्रिकेट लीग IPL पर भी देखने को मिलेगा. IPL के साथ 'MY11Circle' का मार्च 2024 से पांच साल के लिए 2029 तक 625 करोड़ रुपये का करार भी अब खटाई में पड़ता नजर आता है. भारत के दूसरे खेल लीग मसलन ISL और कबड्डी लीग के अलावा भी कई खेल सीधे और परोक्ष रूप से इन गेमिंग एप्स का फायदा उठा रहे थे. इन सभी को अब पैसे के दूसरे रास्ते तलाशने होंगे.
सरकार का पक्ष- 'ई-स्पोर्ट्स को बढ़ावा'
दोनों सदनों में ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 या (Promotion and Regulation of Online Gaming Bill 2025) को पारित करवाने के दौरान पीएम मोदी ने कहा, 'संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित ये विधेयक भारत को गेमिंग नवाचार और रचनात्मकता का केंद्र बनाने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है. यह ई-स्पोर्ट्स और ऑनलाइन सोशल गेम्स को प्रोत्साहित करेगा. साथ ही ये हमारे समाज को ऑनलाइन मनी गेम्स को हानिकारक प्रभावों से भी बचाएगा.'
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, 'ये बिल एक बैलैंस्ड-संतुलित दृष्टिकोण अपनाता है- जो अच्छा है उसे बढ़ावा देता है, और, जो मध्यम वर्ग और युवाओं के लिए हानिकारक है उसे प्रतिबंधित करता है.'
खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा, 'इससे करोड़ों युवा बर्बाद हो रहे हैं. उन्हें बचाना जरूरी है. इसमें ई-स्पोर्ट और स्किल को बढ़ावा दिया गया है.'
मनी लॉन्डरिंग, वित्तीय आतंकवाद, सुरक्षा के मुद्दे
सरकार की दलील ये भी रही कि इन गेमिंग एप्स के जरिये मनी लॉन्डरिंग, फाइनेंशियल टेररिज़्म यानी वित्तीय आतंकवाद और देश की सुरक्षा को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे थे. इसलिए इन पर प्रतिबंध लगाना जरूरी था. ये भी जोर देकर कहा गया कि ये गेमिंग एप बच्चों और युवाओं को लत लगाने वाले और कई परिवारों को तबाह कर देने वाले साबित हो रहे थे.
करीब 45 करोड़ यूजर्स, रोजगार पर असर
इन गेमिंग एप्स से जुड़े लोग बिना नाम जाहिर किए जाने की शर्त पर बताते हैं कि पिछले दस साल में तकरीबन 45 करोड़ लोग इसका इस्तेमाल करने लगे. यही नहीं तकरीबन ढाई लाख लोगों के रोजगार पर भी असर पड़ सकता है. जबकि, सरकार के अनुमान के मुताबिक ये 45 करोड़ लोग हर साल ऑनलाइन रियल मनी गेमिंग में तकरीबन 20,000 करोड़ रुपये गंवाते हैं.
क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट्स
सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता आदित्य कांत कहते हैं, 'मुझे लगता है कि गेमिंग कंपनियां इसे लेकर अदालत का रुख कर सकती हैं. लेकिन ये भी सही है कि इससे मनी लॉन्ड्रिंग, क्रेडिट कार्ड जैसे स्कैम और बच्यों और युवाओं के लत लगने या एडिक्शन पर रोक लग सकेगी.'
सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता और स्पोर्टस लॉ के विशेषज्ञ सौरभ मिश्रा कहते हैं, 'नया ऑनलाइन गेमिंग अधिनियम लत, धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी बड़ी बीमारियों को दूर करने के साथ-साथ इसके रेगुलेशन के लिए लिए एक स्पष्ट ढांचा प्रदान करता है. ये पेनल्टी या जुर्माने के साथ ई-स्पोर्ट्स तथा सोशल गेमिंग को प्रोत्साहन भी देता है. इसलिए इसे एक संतुलित या बैलेंस्ड कानून कह सकते हैं. हालांकि, इसकी कामयाबी इसे सही तरीके से लागू करवाने और इससे जुड़े स्टेकहोल्डर्स पर निर्भर करेगी.'
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