‘इन बड़े झटकों’ ने श्रीलंका टीम को तोड़ कर रख दिया!

श्रीलंकाई टीम करीब दस साल पहले उम्मीदें खाक होने के बाद आज ईडन गार्डन में भारत में अपनी पहली जीत के ख्वाब के साथ मैदान पर उतरेगी. लेकिन इन उम्मीदों पर मंडरा रहा है कई गंभीर सवालों का साया.

‘इन बड़े झटकों’ ने श्रीलंका टीम को तोड़ कर रख दिया!

श्रीलंका क्रिकेट टीम भारत की जमीन पर अभी तक खेले 17 टेस्ट मैचों में से एक भी मैच नहीं जीत सकी.

खास बातें

  • करोड़ों भारतीय क्रिकेट प्रेमी कर रहे चर्चा.
  • भारत में कैसे जीत का खाता खोलेंगे मेहमान.
  • आखिर कब झटकों से उबरेगा श्रीलंका?
नई दिल्ली:

यूं तो श्रीलंका क्रिकेट टीम भारत की जमीन पर अभी तक खेले 17 टेस्ट मैचों में से एक भी मैच नहीं जीत सकी, लेकिन एक समय था, जब उसका यह सपना पूरा होता दिखाई पड़ रहा था, लेकिन थोड़े ही समय के भीतर कुछ ऐसा हुआ,  जिसने श्रीलंका टीम को पूरी तरह तोड़ कर रख दिया और इस बात ने मेहमानों को ऐसा हिलाया कि सालों गुजरने के बाद भी वे अभी तक इससे नहीं उबर सके हैं. एक के बाद एक हुई घटना ने श्रीलंका टीम को हिलाकर रख दिया. वक्त के घूमते पहिये के साथ भारत और श्रीलंका दोनों ही टीमों तस्वीर पूरी तरह बदल गई. लेकिन इस ‘नई तस्वीर’ में भारत तो 'एक नया भारत बनकर उभरा, लेकिन श्रीलंका की वर्तमान टीम ‘पुराने श्रीलंका’ की परछाई मात्र बनकर रह गई है. 

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घड़ी की सुई को करीब दस साल पीछे लेकर चलते हैं, जब लंबे समय बाद श्रीलंका क्रिकेट प्रेमियों को यह उम्मीद जगी कि उनकी टीम भारत को टेस्ट सीरीज में उसकी जमीं पर मात देकर उनका सालों पुराना ख्वाब सच करेगी. मेहमान टीम के चाहने वालों को यह उम्मीद तब जगी, जब अनिल कुंबले की कप्तानी में साल 2008 में श्रीलंका दौरे पर गई भारतीय टीम को महेला जयर्द्धने की अगुवाई वाली टीम ने तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में 2-1 से मात दी.

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इसके ठीक करीब एक साल बाद श्रीलंका संभवतः अपने सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ दल-बल के साथ साल 2009 में भारत दौरे पर तीन टेस्ट मैचों की सीरीज खेलने पहुंचा, लेकिन तब भी उसे 2-0 से मुंह की खानी पड़ी. इसके बाद बहुत ही थोड़े समय के भीतर ही श्रीलंकाई टीम का पूरा चेहरा-मोहरा ही बदल गया. विश्व के महानतम खिलाड़ियों में शामिल महेला जयवर्धने, कुमार संगकारा, मुथैया मुरलीधरन, चामिंडा वास और चमिंडा वास ने खेल को अलविदा कह दिया. इस सीरीज के बाद से धीरे-धीरे भारत की तस्वीर भी बदलना शुरू हो गई. सचिन, सहवाग, राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण जैसे दिग्गज भी टीम इंडिया से अलग हो गए.

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लेकिन भारत दिग्गजों की विदाई से खुद को उबारने में अच्छी तरह से कामयाब रहा. विराट की अगुवाई में नई टीम इंडिया की नई तस्वीर ने दुनिया भर में अपनी छाप छोड़ी, लेकिन श्रीलंका अपने दिग्गजों की विदाई के झटके से अभी तक नहीं उबर सका है. जहां, टीम इंडिया को खुद विराट कोहली सहित, चेतेश्वर पुजारा, शिखर धवन और अंजिक्य रहाणे ने अपने बल्ले से पूर्व दिग्गजों की बिल्कुल भी कमी नहीं खलने दी, तो शमी और उमेश यादव ने भी बॉलिंग डिपार्टमेंट में यदा-कदा ही जहीर खान की याद आने दी. लेकिन अपने महान क्रिकेटरों की विदाई के बाद श्रीलंका टीम बिखरी-बिखरी दिखाई पड़ी है.

बार-बार कप्तान बदलते रहे हैं, तो इक्का-दुक्का खिलाड़ियों को छोड़कर कोई भी भारतीय युवाओं की तरह विश्व स्तर पर खुद को स्थापित नहीं कर सका. इसीलिए करोड़ों भारतीय क्रिकेट प्रेमी टेस्ट सीरीज से पहले यही चर्चा कर रहे हैं कि जब मेहमान साल 2009 में अपनी सर्वश्रेष्ठ टीम के साथ ही भारत की जमीं पर जीत का खाता नहीं खोल सके, तो चंडीमल वाली यह टीम पिछले लंबे समय से बड़ी टीमों को धूल चटा रही विराट एंड कंपनी के सामने कैसे भारत में अपनी पहली जी दर्ज कर पाएगी ?

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