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This Article is From Oct 01, 2012

आईपीएल-6 से डेक्कन चार्जर्स को निकालने पर फिलहाल रोक

मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने आईपीएल की डेक्कन चार्जर्स टीम के मैनेजमेंट और फैन्स को राहत देते हुए कहा है कि जब तक कोर्ट द्वारा नियुक्त किया गया मध्यस्थ अपनी कार्यवाही पूरी नहीं कर लेता, डेक्कन चार्जर्स की टीम को आईपीएल-6 से निकालने के बीसीसीआई के फैसले पर रोक लगी रहेगी, हालांकि हाईकोर्ट ने डेक्कन मैनेजमेंट को 9 अक्टूबर से पहले 100 करोड़ रुपये की अनकंडीशनल बैंक गारंटी जमा करने के लिए कहा है।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि आईपीएल-6 के दौरान डेक्कन टीम मैनेजमेंट को ही टीम के खिलाड़ियों के साथ-साथ सपोर्ट स्टाफ और फ्रैंचाइज़ी फीस भी देनी होगी। कोर्ट ने कहा कि यदि अदालत के मध्यस्थ का फैसला बीसीसीआई के पक्ष में जाता है तो भी फैसले के बाद सात दिन तक डेक्कन टीम पर कोई कार्रवाई नहीं होगी। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि डेक्कन टीम को ही आईपीएल-5 से जुड़े सभी भुगतान बीसीसीआई को 31 अक्टूबर से पहले करने होंगे, जिनमें होटल के बिलों के साथ-साथ खिलाड़ियों के सफर का खर्च भी शामिल है। हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि यदि डेक्कन मैनेजमेंट 9 अक्टूबर से पहले 100 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी नहीं देता, तो यह फैसला लागू नहीं होगा।

दरअसल, डेक्कन चार्जर्स ने बीसीसीआई द्वारा उन्हें आईपीएल-6 से निकाले जाने के खिलाफ अदालत का रुख किया था। शुरुआती सुनवाई के दौरान बीसीसीआई ने कोर्ट को जानकारी दी कि डेक्कन की वित्तीय हालत ठीक नहीं है, और उसने येस बैंक को टीम चलाने की इजाज़त दे दी है। बीसीसीआई का कहना था कि अगर डेक्कन टीम को चला नहीं सकती थी, तो उसे फ्रैंचाइज़ी वापस कर देनी चाहिए थी।
इस पर डेक्कन ने अपने बचाव में अदालत को बताया कि वह टीम चलाने के लिए प्रतिबद्ध है और उसने समय से पहले ही टीम के खर्चों पर होने वाली लागत जुटा ली है। हालांकि डेक्कन ने अदालत में यह भी कबूल किया कि फिलहाल उसकी वित्तीय हालत ठीक नहीं है, लेकिन कई बैंकों ने उन्हें सहायता देने की बात कही है।

दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने कहा, डेक्कन टीम को आईपीएल-6 से निकालने की पूरी प्रक्रिया में बीसीसीआई ने सभी फैसले हड़बड़ी में लिए। बीसीसीआई के किसी भी चरण में डेक्कन मैनेजमेंट को अपना पक्ष रखने और उन्हें वित्तीय मदद देने वाले बैंकों के किसी भी पत्र का जवाब नहीं दिया गया। बीसीसीआई के ऐसे फैसले डेक्कन टीम की तरफ गलत रवैये और एकतरफा फैसलों की ओर इशारा करते हैं।

हाईकोर्ट ने साथ ही यह भी कहा कि हमें ऐसा लगता है कि बीसीसीआई ने डेक्कन के खिलाफ फैसले गड़बड़ी में इसलिए लिए, क्योंकि उन्हें डर था कि अगर डेक्कन अपने वित्तीय वादों को पूरा नहीं कर पाया तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी बदनामी होगी।

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