नई दिल्ली:
कर्ज के बोझ तले दबी डेक्कन चार्जर्स को इंडियन प्रीमियर लीग से रद्द करने के बाद बीसीसीआई ने रविवार को नई फ्रेंचाइजी टीम खोजने की प्रक्रिया शुरू करते हुए इसके लिए टेंडर निकाला।
बीसीसीआई ने प्रमुख समाचार पत्र में विज्ञापन निकाला। इसमें बीसीसीआई ने कहा, इस टेंडर के निमंत्रण के अनुसार इसे हासिल करने वाले बोलीदाता को इस नई टीम का मालिकाना और परिचालन अधिकार दिया जाएगा, जो 2013 में और इसके बाद प्रत्येक साल आईपीएल में भाग लेगी। टीम के पास 2013 से प्रत्येक और किसी भी चैंपियंस लीग ट्वेंटी-20 में भाग लेने का मौका होगा।
ये बोलियां 12 शहरों अहमदाबाद, कटक, धर्मशाला, इंदौर, हैदराबाद, कानपुर, कोच्चि, नागपुर, नोएडा, राजकोट, रांची और विजाग के लिए आमंत्रित की गई हैं। इस टेंडर नोटिस के अनुसार सभी बोली लगाने वाले पक्षों को पात्रता की शर्तें और टेंडर की सभी जरूरी आवश्यकताओं को पूरा करना होगा। बीसीसीआई के विज्ञापन के अनुसार, बोली गुरुवार 25 अक्टूबर तक भारतीय समयानुसार दोपहर 12 बजे तक जमा हो जानी चाहिए। विजयी बोली की घोषणा टेंडर के मुताबिक ही घोषित की जाएगी।
इससे पहले, एक महीने की कानूनी लड़ाई के बाद डेक्कन चार्जर्स ने आईपीएल टीम का दर्जा खो दिया था। बॉम्बे हाईकोर्ट ने मध्यस्थ के यथास्थिति बनाए रखने के आदेश पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी थी, जिससे कर्ज में डूबी डेक्कन चार्जर्स आईपीएल टीम नहीं रही। डेक्कन चार्जर्स के मालिक हाईकोर्ट के पास 100 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी जमा करने में नाकाम रहे थे।
यह इस टीम को बनाए रखने के लिए एक शर्त थी। उन्होंने बाद अदालत से नियुक्त मध्यस्थ का सहारा लिया, जिन्होंने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। डेक्कन क्रॉनिकल होल्डिंग्स लिमिटेड (डीसीएचएल) निर्धारित समयानुसार 12 अक्टूबर शाम पांच बजे तक गारंटी जमा करने में नाकाम रही थी, जिसका मतलब था बीसीसीआई का टीम का अनुबंध समाप्त करने का फैसला कायम रहा और बोर्ड नई फ्रेंचाइजी के लिए टेंडर जारी करने के लिए स्वतंत्र हो गया। लेकिन मध्यस्थ का आदेश बीसीसीआई को बर्खास्तगी प्रक्रिया आगे बढ़ाने से रोक रहा था।
डेक्कन चार्जर्स उम्मीद कर रही थी कि टीम बेचने से उनकी वित्तीय समस्यायें सुलझ जाएंगी, लेकिन 13 सितंबर को चेन्नई में हुई नीलामी में उन्होंने एकमात्र बोली को नकार दिया था। हैदबराद की कंपनी पीवीपी वेंचर्स लिमिटेड ने 900 करोड़ रुपये की पेशकश की थी, लेकिन डेक्कन ने इसे खारिज कर दिया था। डीसीएचएल ने हैदराबाद फ्रेंचाइजी को 2008 में 428 करोड़ रुपये में खरीदा था।
बीसीसीआई ने प्रमुख समाचार पत्र में विज्ञापन निकाला। इसमें बीसीसीआई ने कहा, इस टेंडर के निमंत्रण के अनुसार इसे हासिल करने वाले बोलीदाता को इस नई टीम का मालिकाना और परिचालन अधिकार दिया जाएगा, जो 2013 में और इसके बाद प्रत्येक साल आईपीएल में भाग लेगी। टीम के पास 2013 से प्रत्येक और किसी भी चैंपियंस लीग ट्वेंटी-20 में भाग लेने का मौका होगा।
ये बोलियां 12 शहरों अहमदाबाद, कटक, धर्मशाला, इंदौर, हैदराबाद, कानपुर, कोच्चि, नागपुर, नोएडा, राजकोट, रांची और विजाग के लिए आमंत्रित की गई हैं। इस टेंडर नोटिस के अनुसार सभी बोली लगाने वाले पक्षों को पात्रता की शर्तें और टेंडर की सभी जरूरी आवश्यकताओं को पूरा करना होगा। बीसीसीआई के विज्ञापन के अनुसार, बोली गुरुवार 25 अक्टूबर तक भारतीय समयानुसार दोपहर 12 बजे तक जमा हो जानी चाहिए। विजयी बोली की घोषणा टेंडर के मुताबिक ही घोषित की जाएगी।
इससे पहले, एक महीने की कानूनी लड़ाई के बाद डेक्कन चार्जर्स ने आईपीएल टीम का दर्जा खो दिया था। बॉम्बे हाईकोर्ट ने मध्यस्थ के यथास्थिति बनाए रखने के आदेश पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी थी, जिससे कर्ज में डूबी डेक्कन चार्जर्स आईपीएल टीम नहीं रही। डेक्कन चार्जर्स के मालिक हाईकोर्ट के पास 100 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी जमा करने में नाकाम रहे थे।
यह इस टीम को बनाए रखने के लिए एक शर्त थी। उन्होंने बाद अदालत से नियुक्त मध्यस्थ का सहारा लिया, जिन्होंने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। डेक्कन क्रॉनिकल होल्डिंग्स लिमिटेड (डीसीएचएल) निर्धारित समयानुसार 12 अक्टूबर शाम पांच बजे तक गारंटी जमा करने में नाकाम रही थी, जिसका मतलब था बीसीसीआई का टीम का अनुबंध समाप्त करने का फैसला कायम रहा और बोर्ड नई फ्रेंचाइजी के लिए टेंडर जारी करने के लिए स्वतंत्र हो गया। लेकिन मध्यस्थ का आदेश बीसीसीआई को बर्खास्तगी प्रक्रिया आगे बढ़ाने से रोक रहा था।
डेक्कन चार्जर्स उम्मीद कर रही थी कि टीम बेचने से उनकी वित्तीय समस्यायें सुलझ जाएंगी, लेकिन 13 सितंबर को चेन्नई में हुई नीलामी में उन्होंने एकमात्र बोली को नकार दिया था। हैदबराद की कंपनी पीवीपी वेंचर्स लिमिटेड ने 900 करोड़ रुपये की पेशकश की थी, लेकिन डेक्कन ने इसे खारिज कर दिया था। डीसीएचएल ने हैदराबाद फ्रेंचाइजी को 2008 में 428 करोड़ रुपये में खरीदा था।