आईपीएल के इतिहास में यह दूसरी बार होगा जब हैदराबाद और बेंगलुरू की टीम खिताबी मुकाबले में दो-दो हाथ करेंगी। फाइनल मैच 29 मई को होगा। पिछली बार यह मौका वर्ष 2009 के दौरान आया था। यह बात अलग है कि उस समय हैदराबाद की फ्रेंचाइजी डेक्कन ग्रुप के पास थी और इस टीम का नाम डेक्कन चार्जर्स हैदराबाद था। तब ऑस्ट्रेलिया के विकेटकीपर बल्लेबाज एडम गिलक्रिस्ट ने विजयी नेतृत्व प्रदान करते हुए हैदराबाद टीम को विजेता बनाया था। गौरतलब है कि भारत में चुनावी दौर के कारण वर्ष 2009 का IPL दक्षिण अफ्रीका में आयोजित किया गया था।
जोहांसबर्ग शहर बना था फाइनल का मेजबान
वर्ष 2009 में दक्षिण अफ्रीका का जोहांसबर्ग शहर फाइनल का मेजबान बना था। रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू के आमंत्रण पर पहले बल्लेबाजी करते हुए हैदराबाद ने 20 ओवर्स में 6 विकेट पर 143 रन बनाए थे। सात रन प्रति ओवर के आसपास (7.15) के कमोबेश आसान रन औसत के चलते इस मैच में क्रिकेट समीक्षक बेंगलुरू की जीत की संभावनाएं जता रहे थे। इस विश्वास के कारण भी थे। रॉयल चैलेंजर्स के पास जैक्स कैलिस, राहुल द्रविड़, विराट कोहली, रॉस टेलर, मार्क बाउचर और रॉबिन उथप्पा जैसे बल्लेबाज थे, लेकिन प्रज्ञान ओझा, एंड्रयू साइमंड्स और हरमीत सिंह की गेंदबाजी तिकड़ी ने बेंगलुरू के कदमों पर बखूबी ब्रेक लगाया और निर्धारित 20 ओवर्स में टीम को 9 विकेट पर 137 रन तक ही सीमित कर दिया था। आखिरी क्षणों तक रोमांचक रहे इस फाइनल में डेक्कन चार्जर्स हैदराबाद ने छह रन से जीत हासिल करते हुए विजेता ट्राफी पर कब्जा जमाया था। हैदराबाद के लिए फाइनल में स्थान बनाने का यही एकमात्र मौका रहा।
बेंगलुरू दूसरी बार फाइनल में पहुंचा पर नहीं जीत पाया खिताब
बेंगलुरू टीम 2011 में भी फाइनल में पहुंचने के बावजूद खिताब से वंचित रह गई थी। इस वर्ष क्रिस गेल की धमाकेदार बल्लेबाजी की बदौलत इस टीम ने खिताबी मुकाबले में जगह बनाई थी और चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाफ इसे खिताबी जीत का प्रबल दावेदार माना जा रहा था। लेकिन मुरली विजय और माइकल हसी की धमाकेदार पारियों और पहले विकेट के लिए हुई 159 रन की साझेदारी ने ही उसके हौसले पस्त कर दिये। इन पारियों की बदौलत महेंद्र सिंह धोनी की चेन्नई टीम ने 20 ओवर्स में 5 विकेट पर 205 रन का बड़ा स्कोर खड़ा किया और बाद में बेंगलुरू टीम को 147 रन पर ही सीमित कर दिया। इस तरह खिताब के नजदीक पहुंचकर भी विराट कोहली की टीम इससे 'बहुत दूर' रह गई थी।
सही समय पर फॉर्म मेंं आई बेंगलुरू टीम के पास अब सुनहरा मौका
रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू के पास एक बार फिर खिताब जीतने का सुनहरा मौका है। शुरुआती मैचों में लगातार मिली हार के बाद इस टीम ने जो धमाकेदार प्रदर्शन किया है, उसके कारण इस बार विराट कोहली ब्रिगेड को प्रबल दावेदार माना जा रहा है। कोहली इस समय अपने बल्लेबाजी के सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में हैं और टूर्नामेंट में अब तक 919 रन (चार शतक, औसत 83.54, स्ट्राइक रेट 151.90 ) बना चुके हैं।
बल्लेबाजी में विराट से होड़ ले रहे एबी डिविलियर्स
अपनी ताबड़तोड़ बल्लेबाजी से विशाल लक्ष्य को भी आसान बनाने में माहिर एबी डिविलियर्स भी मानो विराट से होड़ लगा रहे हैं। एबी के खाते में 15 मैचों में 682 रन हैं, उनका औसत 56.83 का तथा स्ट्राइक रेट 170.07 का है। गुजरात लायंस के खिलाफ प्ले ऑफ में एक समय लगभग तय मानी जा रही हार को बेंगलुरू ने डिविलियर्स के जबर्दस्त प्रहारों से जिस तरह जीत में बदला, उसने इस टीम का मनोबल सातवें आसमान पर पहुंचा दिया है। रविवार के फाइनल में देखने वाली बात यही होगी कि क्या बेंगलुरू अपने तीसरे प्रयास में विजेता बन पाएगी...।
जोहांसबर्ग शहर बना था फाइनल का मेजबान
वर्ष 2009 में दक्षिण अफ्रीका का जोहांसबर्ग शहर फाइनल का मेजबान बना था। रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू के आमंत्रण पर पहले बल्लेबाजी करते हुए हैदराबाद ने 20 ओवर्स में 6 विकेट पर 143 रन बनाए थे। सात रन प्रति ओवर के आसपास (7.15) के कमोबेश आसान रन औसत के चलते इस मैच में क्रिकेट समीक्षक बेंगलुरू की जीत की संभावनाएं जता रहे थे। इस विश्वास के कारण भी थे। रॉयल चैलेंजर्स के पास जैक्स कैलिस, राहुल द्रविड़, विराट कोहली, रॉस टेलर, मार्क बाउचर और रॉबिन उथप्पा जैसे बल्लेबाज थे, लेकिन प्रज्ञान ओझा, एंड्रयू साइमंड्स और हरमीत सिंह की गेंदबाजी तिकड़ी ने बेंगलुरू के कदमों पर बखूबी ब्रेक लगाया और निर्धारित 20 ओवर्स में टीम को 9 विकेट पर 137 रन तक ही सीमित कर दिया था। आखिरी क्षणों तक रोमांचक रहे इस फाइनल में डेक्कन चार्जर्स हैदराबाद ने छह रन से जीत हासिल करते हुए विजेता ट्राफी पर कब्जा जमाया था। हैदराबाद के लिए फाइनल में स्थान बनाने का यही एकमात्र मौका रहा।
बेंगलुरू दूसरी बार फाइनल में पहुंचा पर नहीं जीत पाया खिताब
बेंगलुरू टीम 2011 में भी फाइनल में पहुंचने के बावजूद खिताब से वंचित रह गई थी। इस वर्ष क्रिस गेल की धमाकेदार बल्लेबाजी की बदौलत इस टीम ने खिताबी मुकाबले में जगह बनाई थी और चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाफ इसे खिताबी जीत का प्रबल दावेदार माना जा रहा था। लेकिन मुरली विजय और माइकल हसी की धमाकेदार पारियों और पहले विकेट के लिए हुई 159 रन की साझेदारी ने ही उसके हौसले पस्त कर दिये। इन पारियों की बदौलत महेंद्र सिंह धोनी की चेन्नई टीम ने 20 ओवर्स में 5 विकेट पर 205 रन का बड़ा स्कोर खड़ा किया और बाद में बेंगलुरू टीम को 147 रन पर ही सीमित कर दिया। इस तरह खिताब के नजदीक पहुंचकर भी विराट कोहली की टीम इससे 'बहुत दूर' रह गई थी।
सही समय पर फॉर्म मेंं आई बेंगलुरू टीम के पास अब सुनहरा मौका
रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू के पास एक बार फिर खिताब जीतने का सुनहरा मौका है। शुरुआती मैचों में लगातार मिली हार के बाद इस टीम ने जो धमाकेदार प्रदर्शन किया है, उसके कारण इस बार विराट कोहली ब्रिगेड को प्रबल दावेदार माना जा रहा है। कोहली इस समय अपने बल्लेबाजी के सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में हैं और टूर्नामेंट में अब तक 919 रन (चार शतक, औसत 83.54, स्ट्राइक रेट 151.90 ) बना चुके हैं।
बल्लेबाजी में विराट से होड़ ले रहे एबी डिविलियर्स
अपनी ताबड़तोड़ बल्लेबाजी से विशाल लक्ष्य को भी आसान बनाने में माहिर एबी डिविलियर्स भी मानो विराट से होड़ लगा रहे हैं। एबी के खाते में 15 मैचों में 682 रन हैं, उनका औसत 56.83 का तथा स्ट्राइक रेट 170.07 का है। गुजरात लायंस के खिलाफ प्ले ऑफ में एक समय लगभग तय मानी जा रही हार को बेंगलुरू ने डिविलियर्स के जबर्दस्त प्रहारों से जिस तरह जीत में बदला, उसने इस टीम का मनोबल सातवें आसमान पर पहुंचा दिया है। रविवार के फाइनल में देखने वाली बात यही होगी कि क्या बेंगलुरू अपने तीसरे प्रयास में विजेता बन पाएगी...।
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