भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी से जब पूछा गया कि क्या वह विदेशी सरजमीं पर एक और टेस्ट शृंखला में मिली हार के बाद कप्तानी छोड़ने को तैयार हैं तो उन्होंने खुलकर जवाब दिया।
इंग्लैंड के खिलाफ मौजूदा शृंखला में मिली 1-3 की करारी शिकस्त के बाद जब उनसे पूछा गया कि क्या वह टेस्ट कप्तानी छोड़ने के बारे में विचार कर रहे हैं तो धोनी ने उत्तर दिया, 'आपको यह पता करने के लिए इंतजार करना होगा कि मैं इस शिकस्त से उबरने के लिए मजबूत हूं या नहीं।'
क्या उन्होंने बतौर भारतीय टेस्ट कप्तान काफी काम किया है तो धोनी ने एक पंक्ति का जवाब दिया, 'शायद, हां।' लेकिन उनके बल्लेबाज लगातार पांच पारियों में असफल रहे हैं तो उन्होंने पिछले तीन टेस्ट मैचों में खराब प्रदर्शन के बारे जरा भी बचाव नहीं किया।
धोनी ने तीन दिन से भी कम समय में खत्म हुए मैच के बाद कहा, 'यह बल्लेबाजी क्रम का ही प्रतिबिंब है जिसने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है।'
उन्होंने कहा, 'मुरली विजय ने अच्छा किया है, लेकिन पहले टेस्ट से ही हम अच्छी सलामी साझेदारी नहीं हासिल कर पा रहे हैं। चेतेश्वर पुजारा को मध्य में खेलने के लिए जल्दी उतरना पड़ा जो प्रत्येक पारी में तीसरे और चौथे ओवर में ही था। इससे हमारा तीसरे नंबर का बल्लेबाज जल्दी उतरता रहा और विराट कोहली खराब दौर से गुजरा।'
धोनी ने कहा कि जब टीम छह बल्लेबाजों के साथ खेलती है तो लगातार विकेट गंवाने से मुश्किल हो जाती है। उन्होंने कहा, 'अगर आप छह बल्लेबाजों के साथ खेल रहे हों, जिसमें विकेटकीपर भी शामिल है तो अगर आप जल्दी कई विकेट गंवा देते हो तो यह थोड़ा मुश्किल हो जाता है। जब निचले क्रम ने रन जुटाए तो हमने 300 से ज्यादा रन का स्कोर बनाया और एक बार वे सस्ते में आउट हो गए तो हम बोर्ड पर रन जुटाने में जूझते रहे।'
धोनी ने कहा, 'हां, हम बहुत निराश थे कि हम अंतिम तीन टेस्ट मैच में कोई चुनौती पेश नहीं कर सके। उम्मीद है कि बल्लेबाज इस हार से सकारात्मक चीजें सीखेंगे। सभी युवा खिलाड़ी हैं जो यहां आकर खेलने और अच्छा करने के लिए अच्छे हैं।'
भारतीय टीम इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में 2011 में 0-8 से हारी थी और अब 2013-14 में टीम ने दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड और फिर इंग्लैंड में लगातार शृंखलायें गंवाई हैं।
सवाल हालांकि यही है कि भारतीय टीम प्रबंधन ने 2011 में मिली हार से कोई सबक नहीं लिया जिसमें उन्हें यहां इंग्लैंड से 0-4 से पराजय मिली थी। धोनी ने कहा, 'टीम तबकी टीम से पूरी तरह से बदल गई है।'
धोनी ने कहा, 'मैंने उस शृंखला से जो भी रणनीतियां सीखीं थी, मैंने इस शृंखला में भी उन्हें लागू करने की कोशिश की है। बतौर कप्तान आप फील्ड में बदलाव करने की कोशिश करते हो तो आपको तेज गेंदबाजों की मजबूती देखने की जरूरत होती है। हमारे गेंदबाज इंग्लैंड के गेंदबाजों के अलग हैं, जो एक ही लाइन एवं लेंथ में हिट करते रहते हैं।'
उन्होंने कहा, 'वे भले ही थोड़े बोरिंग हों लेकिन एक बार उन्हें मौका मिलता है तो वे आप पर आक्रमण करना शुरू कर देते हैं।' भुवनेश्वर कुमार को भारत के लिए 'प्लेयर ऑफ द सीरीज' चुना गया।
धोनी ने कहा कि शृंखला के खत्म होने तक वह थक गया था।
उन्होंने कहा, 'भुवनेश्वर कुमार ही एकमात्र खिलाड़ी था जो खेला, अगर आप उसके पहले टेस्ट की गेंदबाजी देखो और उसकी तुलना अंतिम टेस्ट से करो तो निश्चित रूप से वह थोड़ा थका हुआ था। लेकिन हमारे पास उसकी जगह लाने के लिए कोई और नहीं था।'
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