एमएस धोनी को क्रिकेट में हेलिकॉप्टर शॉट के लिए भी जाना जाता है (फाइल फोटो)
विश्व का सर्वश्रेष्ठ फिनिशर, सीमित ओवर के क्रिकेट का उस्ताद, कैप्टन कूल और छक्के के साथ गेम का खत्म करने वाला महारथी..। ऐसे कई तमगे हैं जो फैन्स और विशेषज्ञों ने टीम इंडिया के वनडे कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को दिए हैं। टीम इंडिया के 'कैप्टन कूल' को छक्के का साथ मैच खत्म करने के लिए जाना जाता है।
'माही' ने अब तक 9 वनडे मैचों में ऐसा किया है, जो क्रिकेट के इतिहास में एक रिकॉर्ड है। यही नहीं, उन्होंने 50वें ओवर की अंतिम गेंद पर 4 बार छक्का लगाया है। यह भी एक रिकॉर्ड है। आज जब वह अपना जमन्दिन मना रहे हैं, तो हम आपको उनकी खास 8 यादगार पारियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो सबके दिलों में आज भी ताजा हैं-
वर्ल्ड कप फाइनल 2011, नाबाद 91 रन
भारत में खेले गए आईसीसी वनडे वर्ल्ड कप 2011 का फाइनल भला कौन भूल सकता है। श्रीलंका ने इस खिताबी मुकाबले में पहले बल्लेबाजी करते हुए 275 रनों का लक्ष्य दिया। एक समय टीम इंडिया 114 रन पर तीन विकेट खो चुकी थी। ओपनर गौतम गंभीर क्रीज पर थे कि इतने में कप्तान धोनी ने सबको चौंकाते हुए युवराज से पहले क्रीज पर आ गए। इसके बाद उन्होंने न केवल एक छोर थाम लिया बल्कि सारथी की भूमिका निभाते हुए गंभीर को संभलकर खेलने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने गंभीर के साथ 109 रनों की साझेदारी की। धोनी ने 79 गेंदों में 91 रन बनाए और उनका वर्ल्ड कप विजयी छक्का तो आज भी सबके दिल में बसा हुआ है।
वनडे वर्ल्ड कप 2011 जीतने के बाद सचिन ने धोनी को गले लगा लिया था...(फाइल फोटो)
विकेटकीपर कुंदरन का 49 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा, बनाए 224 रन
2013 में चेन्नई में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट मैच में 224 रन की पारी खेलकर धोनी ने टेस्ट क्रिकेट में भारतीय विकेटकीपर के सर्वाधिक स्कोर का रिकॉर्ड बना दिया। उनसे पहले विकेटकीपर बुधि कुंदरन ने 1964 में चेन्नई में ही इंग्लैंड के खिलाफ 192 रन की पारी खेली थी। उन्होंने कुंदरन के 49 साल पुराने रिकॉर्ड को पीछे छोड़ते हुए टीम इंडिया के लिए कप्तानी पारी खेलते हुए 2013 की सीरीज में जीत का रास्ता खोल दिया और टीम इंडिया ने अंत में सीरीज पर कब्जा कर लिया। यदि इंटरनेशनल लेवल पर देखें तो विकेटकीपरों की सूची में वह जिम्बाब्वे के एंडी फ्लावर के बाद दूसरे नंबर पर हैं। फ्लावर ने साल 2000 में भारत के खिलाफ नागुपर में 232 रन की पारी खेली थी।
धोनी ने यह पारी अक्टूबर, 2005 में श्रीलंका के खिलाफ खेली थी। इस मैच में सचिन तेदुलकर जल्दी आउट हो गए थे। ऐसे में कप्तान राहुल द्रविड़ ने 299 रन के बड़े लक्ष्य को देखते हुए धोनी को नंबर 3 पर भेज दिया। धोनी ने ऐसी आक्रामक पारी खेली कि श्रीलंकाई गेंदबाजों की हालत खराब कर दी। धोनी ने 40 गेंदों में फिफ्टी पूरी की और 85 गेंदों में सेंचुरी पूरी कर ली। अंत में वह 145 बॉल में 183 रन बनाकर नाबाद लौटे और टीम इंडिया को जीत दिला दी। हेलिकॉप्टर शॉट से सजी इस पारी में उन्होंने 15 चौके और 10 छक्के उड़ाए।
धुरविरोधी पाकिस्तान को भी नहीं छोड़ा, ठोक दिए 113 रन
चेन्नई में दिसंबर, 2012 में खेले गए इस मैच में टीम इंडिया एक समय 29 रन पर 5 विकेट खो चुकी थी। ऐसे में एमएस धोनी पर दबाव था। उनके बल्ले से 125 गेंदों में 113 रन निकले, जिसमें 7 चौके और 3 छक्के शामिल रहे। इस मैच में धोनी ने रैना के साथ 73 और अश्विन के साथ नाबाद 125 रन जोड़े। हालांकि उनकी यह पारी काम नहीं आई और पाकिस्तान ने 227 रन के लक्ष्य का आसानी से पीछा कर लिया, लेकिन मुश्किल समय में खेली गई यह उनकी शानदार पारी थी, जिससे टीम इंडिया 200 से अधिक का लक्ष्य खड़ा कर पाई।
वेस्टइंडीज के खिलाफ 95 रन, किंगस्टन (वनडे)
टीम इंडिया इन दिनों वेस्टइंडीज के दौरे पर है। विंडीज की धरती पर हमारा रिकॉर्ड कुछ खास नहीं रहा है। 2009 के दौरे में टीम इंडिया ने किंग्स्टन में खेले गए दूसरे वनडे में पहले दो ओवरों के बाद 7 रन पर 3 विकेट खो दिए थे। इतना ही नहीं 82 रन पर 8 विकेट गिर गए। एक बार फिर टीम की उम्मीदें धोनी थे। उन्होंने निराश भी नहीं किया और आरपी सिंह के साथ नौंवे विकेट के लिए 101 रन जोड़कर टीम को 188 रन तक पहुंचा दिया। धोनी ने 95 रन की पारी खेली, लेकिन स्कोर काफी कम था, जिसे विंडीज ने 2 विकेट खोकर हासिल कर लिया। फिर भी यह पारी धोनी की संघर्षशीलता और हार नहीं मानने की जीवटता का एक प्रमाण थी। पोर्ट ऑफ स्पेन में त्रिकोणीय सीरीज जिताई
यह पारी भी धोनी ने विदेशी धरती पर खेली थी। पोर्ट ऑफ स्पेन में भारत, श्रीलंका और वेस्टइंडीज के बीच त्रिकोणीय सीरीज, 2013 के फाइनल में श्रीलंका ने पहले बैटिंग करते हुए महज 201 रन बनाए थे। लग रहा था कि टीम इंडिया इसका आसानी से पीछा कर लेगी, लेकिन 139 पर उसके 4 विकेट गिर गए। तभी धोनी बैटिंग करने आए। भारत को 113 गेंदों में 63 रनों की दरकार थी, लेकिन टीम ऐसे बिखरी कि आसान लक्ष्य मुश्किल हो गया। गेंद बल्ले पर नहीं आ रही थी। आखिरी ओवर में स्कोर 187 रन पर 9 विकेट हो गया। अब अंतिम ओवर में टीम इंडिया को 15 रन चाहिए थे और धोनी क्रीज पर थे। फिर क्या उन्होंने एक चौका और 2 लंबे छक्के लगाकर भारत को मैच और सीरीज जिता दी।
टी-20 वर्ल्ड कप , 2007, दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 45 रन
डरबन में खेले गए इस मैच में फॉर्म में चल रहे युवराज सिंह दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ जल्दी चलते बने। इससे पहले उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ शानदार पारी खेली थी। टीम इंडिया के 61 रन पर 4 विकेट गिर गए। फिर धोनी ने पहला मैच खेल रहे रोहित शर्मा के साथ मिलकर 85 रन की साझेदारी की और भारत का स्कोर 150 तक पहुंचा दिया, जो पिच को देखते हुए सुरक्षित स्कोर रहा और टीम इंडिया ने 37 रन से जीत दर्ज कर ली। धोनी इस पारी में 33 गेंदों पर 4 चौके और 1 छक्का जड़कर 45 रन बनाए थे।
वनडे की पहली संकटमोचक-मैच विजयी फिफ्टी
सितंबर, 2005 में खेला गया यह वह मैच था, जिससे धोनी को वनडे में पहचान मिली। यह उनकी पहली अंतरराष्ट्रीय फिफ्टी भी रही। जिम्बाब्वे जैसी कमजोर टीम के खिलाफ भी टीम इंडिया ने 251 रन का पीछा करते हुए 91 पर 5 विकेट गंवा दिए थे। युवराज एक छोर पर शानदार तरीके से खेल रहे थे। फिर धोनी आए और युवी के साथ 158 रन की साझेदारी करके मैच टीम इंडिया के पक्ष में मोड़ दिया। धोनी ने यह मैच छक्के के साथ खत्म किया और यहीं से उनके छक्का मारकर मैच खत्म करने की शुरुआत हुई।
'माही' ने अब तक 9 वनडे मैचों में ऐसा किया है, जो क्रिकेट के इतिहास में एक रिकॉर्ड है। यही नहीं, उन्होंने 50वें ओवर की अंतिम गेंद पर 4 बार छक्का लगाया है। यह भी एक रिकॉर्ड है। आज जब वह अपना जमन्दिन मना रहे हैं, तो हम आपको उनकी खास 8 यादगार पारियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो सबके दिलों में आज भी ताजा हैं-
वर्ल्ड कप फाइनल 2011, नाबाद 91 रन
भारत में खेले गए आईसीसी वनडे वर्ल्ड कप 2011 का फाइनल भला कौन भूल सकता है। श्रीलंका ने इस खिताबी मुकाबले में पहले बल्लेबाजी करते हुए 275 रनों का लक्ष्य दिया। एक समय टीम इंडिया 114 रन पर तीन विकेट खो चुकी थी। ओपनर गौतम गंभीर क्रीज पर थे कि इतने में कप्तान धोनी ने सबको चौंकाते हुए युवराज से पहले क्रीज पर आ गए। इसके बाद उन्होंने न केवल एक छोर थाम लिया बल्कि सारथी की भूमिका निभाते हुए गंभीर को संभलकर खेलने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने गंभीर के साथ 109 रनों की साझेदारी की। धोनी ने 79 गेंदों में 91 रन बनाए और उनका वर्ल्ड कप विजयी छक्का तो आज भी सबके दिल में बसा हुआ है।
वनडे वर्ल्ड कप 2011 जीतने के बाद सचिन ने धोनी को गले लगा लिया था...(फाइल फोटो)
विकेटकीपर कुंदरन का 49 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा, बनाए 224 रन
2013 में चेन्नई में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट मैच में 224 रन की पारी खेलकर धोनी ने टेस्ट क्रिकेट में भारतीय विकेटकीपर के सर्वाधिक स्कोर का रिकॉर्ड बना दिया। उनसे पहले विकेटकीपर बुधि कुंदरन ने 1964 में चेन्नई में ही इंग्लैंड के खिलाफ 192 रन की पारी खेली थी। उन्होंने कुंदरन के 49 साल पुराने रिकॉर्ड को पीछे छोड़ते हुए टीम इंडिया के लिए कप्तानी पारी खेलते हुए 2013 की सीरीज में जीत का रास्ता खोल दिया और टीम इंडिया ने अंत में सीरीज पर कब्जा कर लिया। यदि इंटरनेशनल लेवल पर देखें तो विकेटकीपरों की सूची में वह जिम्बाब्वे के एंडी फ्लावर के बाद दूसरे नंबर पर हैं। फ्लावर ने साल 2000 में भारत के खिलाफ नागुपर में 232 रन की पारी खेली थी।
जयपुर वनडे में मैराथन 183 रन की पारी
धुरविरोधी पाकिस्तान को भी नहीं छोड़ा, ठोक दिए 113 रन
चेन्नई में दिसंबर, 2012 में खेले गए इस मैच में टीम इंडिया एक समय 29 रन पर 5 विकेट खो चुकी थी। ऐसे में एमएस धोनी पर दबाव था। उनके बल्ले से 125 गेंदों में 113 रन निकले, जिसमें 7 चौके और 3 छक्के शामिल रहे। इस मैच में धोनी ने रैना के साथ 73 और अश्विन के साथ नाबाद 125 रन जोड़े। हालांकि उनकी यह पारी काम नहीं आई और पाकिस्तान ने 227 रन के लक्ष्य का आसानी से पीछा कर लिया, लेकिन मुश्किल समय में खेली गई यह उनकी शानदार पारी थी, जिससे टीम इंडिया 200 से अधिक का लक्ष्य खड़ा कर पाई।
वेस्टइंडीज के खिलाफ 95 रन, किंगस्टन (वनडे)
टीम इंडिया इन दिनों वेस्टइंडीज के दौरे पर है। विंडीज की धरती पर हमारा रिकॉर्ड कुछ खास नहीं रहा है। 2009 के दौरे में टीम इंडिया ने किंग्स्टन में खेले गए दूसरे वनडे में पहले दो ओवरों के बाद 7 रन पर 3 विकेट खो दिए थे। इतना ही नहीं 82 रन पर 8 विकेट गिर गए। एक बार फिर टीम की उम्मीदें धोनी थे। उन्होंने निराश भी नहीं किया और आरपी सिंह के साथ नौंवे विकेट के लिए 101 रन जोड़कर टीम को 188 रन तक पहुंचा दिया। धोनी ने 95 रन की पारी खेली, लेकिन स्कोर काफी कम था, जिसे विंडीज ने 2 विकेट खोकर हासिल कर लिया। फिर भी यह पारी धोनी की संघर्षशीलता और हार नहीं मानने की जीवटता का एक प्रमाण थी।
यह पारी भी धोनी ने विदेशी धरती पर खेली थी। पोर्ट ऑफ स्पेन में भारत, श्रीलंका और वेस्टइंडीज के बीच त्रिकोणीय सीरीज, 2013 के फाइनल में श्रीलंका ने पहले बैटिंग करते हुए महज 201 रन बनाए थे। लग रहा था कि टीम इंडिया इसका आसानी से पीछा कर लेगी, लेकिन 139 पर उसके 4 विकेट गिर गए। तभी धोनी बैटिंग करने आए। भारत को 113 गेंदों में 63 रनों की दरकार थी, लेकिन टीम ऐसे बिखरी कि आसान लक्ष्य मुश्किल हो गया। गेंद बल्ले पर नहीं आ रही थी। आखिरी ओवर में स्कोर 187 रन पर 9 विकेट हो गया। अब अंतिम ओवर में टीम इंडिया को 15 रन चाहिए थे और धोनी क्रीज पर थे। फिर क्या उन्होंने एक चौका और 2 लंबे छक्के लगाकर भारत को मैच और सीरीज जिता दी।
टी-20 वर्ल्ड कप , 2007, दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 45 रन
डरबन में खेले गए इस मैच में फॉर्म में चल रहे युवराज सिंह दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ जल्दी चलते बने। इससे पहले उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ शानदार पारी खेली थी। टीम इंडिया के 61 रन पर 4 विकेट गिर गए। फिर धोनी ने पहला मैच खेल रहे रोहित शर्मा के साथ मिलकर 85 रन की साझेदारी की और भारत का स्कोर 150 तक पहुंचा दिया, जो पिच को देखते हुए सुरक्षित स्कोर रहा और टीम इंडिया ने 37 रन से जीत दर्ज कर ली। धोनी इस पारी में 33 गेंदों पर 4 चौके और 1 छक्का जड़कर 45 रन बनाए थे।
वनडे की पहली संकटमोचक-मैच विजयी फिफ्टी
सितंबर, 2005 में खेला गया यह वह मैच था, जिससे धोनी को वनडे में पहचान मिली। यह उनकी पहली अंतरराष्ट्रीय फिफ्टी भी रही। जिम्बाब्वे जैसी कमजोर टीम के खिलाफ भी टीम इंडिया ने 251 रन का पीछा करते हुए 91 पर 5 विकेट गंवा दिए थे। युवराज एक छोर पर शानदार तरीके से खेल रहे थे। फिर धोनी आए और युवी के साथ 158 रन की साझेदारी करके मैच टीम इंडिया के पक्ष में मोड़ दिया। धोनी ने यह मैच छक्के के साथ खत्म किया और यहीं से उनके छक्का मारकर मैच खत्म करने की शुरुआत हुई।
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