अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के अंदर विवाद ने सोमवार को गंभीर रूप ले लिया, जब उसके अध्यक्ष मुस्तफा कमाल ने कुछ लोगों की 'शरारतों' का खुलासा करने की धमकी दी जिन्होंने उन्हें विश्वकप ट्राफी सौंपने के 'संवैधानिक अधिकार' से वंचित रखा।
ऑस्ट्रेलिया के कप्तान माइकल क्लार्क को फाइनल के बाद विश्व कप ट्राफी चेयरमैन एन. श्रीनिवासन ने दी, लेकिन कमाल ने दावा किया किया आईसीसी के जनवरी 2015 में संशोधित किए गए नियमों के अनुसार वैश्विक प्रतियोगिताओं में ट्राफी देने का अधिकार अध्यक्ष के पास है।
कमाल ने बांग्लादेशी चैनलों से कहा, 'ट्राफी मुझे देनी चाहिए थी। यह मेरा संवैधानिक अधिकार है। लेकिन दुर्भाग्य से मुझे ऐसा नहीं करने दिया गया। मेरे अधिकार का सम्मान नहीं किया गया। स्वदेश लौटने के बाद मैं पूरी दुनिया को बताउंगा कि आईसीसी में क्या चल रहा है। मैं पूरी दुनिया को उन लोगों के बारे में बताउंगा जो शरारती चीजें कर रहे हैं।'
कमाल ने कहा, 'मुझे नहीं पता कि मुझे ट्राफी क्यों नहीं देने दी गई।' आईसीसी के मेमोरेंडम और आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन में संशोधन को जनवरी 2015 में पूर्ण परिषण ने सर्वसम्मति से मंजूरी दी थी और इसके नियम से ऐसा लगता है कि वैश्विक प्रतियोगिताओं में ट्राफी देने का अधिकार आईसीसी अध्यक्ष को है।
गौरतलब है कि कमाल ने विश्वकप के क्वार्टर फाइनल में भारत के हाथों बांग्लादेश की शिकस्त के बाद अंपायरों के भेदभाव की कड़ी आलोचना की थी। इस मैच में भारत के रोहित शर्मा को रूबेल हुसैन की गेंद नोबॉल होने के कारण नाटआउट दिया गया था जब यह फैसला काफी करीबी था।
कमाल ने कहा कि उन्होंने किसी देश के खिलाफ कुछ नहीं कहा था लेकिन सच बोलने के कारण उन्हें विश्वकप ट्राफी देने के मौके से वंचित किया गया। उन्होंने कहा, 'मैंने खराब अंपायरिंग पर बयान दिया था और यहां तक कि आईसीसी ने भी प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी। मैं अध्यक्ष था, मैं अध्यक्ष हूं और मैं अध्यक्ष रहूंगा। लेकिन सच बोलने, क्रिकेट लिए बोलने और क्रिकेट के हित में खड़ा होने के लिए मुझसे मेरा संवैधानिक अधिकार छीन लिया गया।'
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