वाराणसी:
काशी में देशभर से आए किन्नरों ने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिशाच मोचन तीर्थ में पिंड दान कर सदियों पहले की अपनी परंपरा की फिर से शुरुआत की. झमाझम बारिश के बीच शनिवार को वाराणसी के पिशाच मोचन तीर्थ पर हजारों साल बाद किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर पीठाधीश्वर और महंत सभी ने एक साथ अपने पूर्वजों के लिए त्रिपिंडी श्राद्ध किया. किन्नरों ने पूरे विधि विधान के साथ पिंड दान किया और कहा कि महाभारत काल के बाद उन्हें पिंड दान करने का मौका मिला है और अब यह परंपरा हमेशा जारी रहेगी.
किन्नर अखाड़े को आशीर्वाद देने आए स्वामी जितेंद्रानंद ने कहा कि जो भी इस धरती में आया है, सभी को पिंड दान का अधिकार है. किन्नर अपनी परंपरा को दोबारा हासिल कर रहे हैं ये सबसे ज्यादा खुशी की बात है. वहीं पिशाच मोचन के तीर्थ पुरोहित ने कहा कि यहां पिंडदान करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है. यह तीर्थ सबसे पुराना है.
किन्नरों के पिंड दान करने से एक नया इतिहास बन रहा था और इसका गवाह बनने के लिए वाराणसी की जनता भी किन्नर के साथ खड़ी दिखी. उनका भी कहना था कि इन्हें वो सभी हक मिलने चाहिए जो हमें मिलता है.
किन्नर अखाड़े को आशीर्वाद देने आए स्वामी जितेंद्रानंद ने कहा कि जो भी इस धरती में आया है, सभी को पिंड दान का अधिकार है. किन्नर अपनी परंपरा को दोबारा हासिल कर रहे हैं ये सबसे ज्यादा खुशी की बात है. वहीं पिशाच मोचन के तीर्थ पुरोहित ने कहा कि यहां पिंडदान करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है. यह तीर्थ सबसे पुराना है.
किन्नरों के पिंड दान करने से एक नया इतिहास बन रहा था और इसका गवाह बनने के लिए वाराणसी की जनता भी किन्नर के साथ खड़ी दिखी. उनका भी कहना था कि इन्हें वो सभी हक मिलने चाहिए जो हमें मिलता है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं