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This Article is From Oct 25, 2023

मुंबई पर प्रदूषण के साथ गर्मी की मार, शहर के लोगों की सेहत हो रही खराब

मुंबई में वायु प्रदूषण लगातार मध्यम श्रेणी में, अंधेरी, चेम्बूर और बीकेसी में बुरा हाल, अस्पतालों के ओपीडी में 60 प्रतिशत मरीज सांस संबंधी तकलीफ वाले आ रहे

मुंबई में प्रदूषित हवा के कारण सांस से संबंधित बीमारियों से ग्रस्त मरीज बढ़ रहे हैं.

मुंबई:

Mumbai Pollution: मुंबईकर प्रदूषण के साथ गर्मी के प्रकोप की दोहरी मार झेल रहे हैं. प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए नई कोशिशें हो तो रही हैं पर कंस्ट्रक्शन साइट पर नियमों की अनदेखी भी दिख रही है. इधर, अस्पतालों के OPD में पहुंच रहे कुल मरीजों में करीब 50 से 60 प्रतिशत मरीज सांस की तकलीफ वाले बताए जा रहे हैं.

सुबह नौ बजे की मुंबई जहरीली धुंध (स्मॉग) से नहाने लगती है. दोपहर में मरीन ड्राइव-वर्ली सहित शहर के तमाम हिस्सों में यह धुंध फैल जाती है. दोपहर दो बजे की मुंबई भी इस दम घोंटने वाली धुंध से सनी हुई होती है. देश की आर्थिक राजधानी को यह क्या हो गया है? आम मुंबईकर भी हैरान-परेशान हैं. शहर पर प्रदूषण के साथ-साथ 34 से 36 डिग्री सेल्सियस तापमान की दोहरी मार पड़ रही है.

मरीन ड्राइव पर लोगों ने बताया कि, अक्टूबर में इतना प्रदूषण हैरान करने वाला है. सांस लेने में दिक्कत हो रही है. ट्रेन में गर्मी से घुटन होती है, हालत खराब है. ठंड के समय इतनी गर्मी हो क्यों रही है? ठंड में बारिश हुई थी, बारिश में गर्मी, ठंड में भी गर्मी... मौसम का पता ही नहीं चल रहा. 

दक्षिण मुंबई में धुंध को देखते हुए अब डस्ट सप्रेशन कैमिकल का छिड़काव शुरू हुआ है. AQI कई इलाक़ों में खराब श्रेणी में है. 

सरकारी कंस्ट्रक्शन साइटों पर मलबा पड़ा

मुंबई में फिलहाल 6000 कंस्ट्रक्शन साइटें हैं. सरकारी साइटों पर मिट्टी, मलबा पड़ा है. वर्ली और गिरगांव में मुंबई कोस्टल रोड का तेजी से निर्माण हो रहा है. कंस्ट्रक्शन साइट पर कई नियमों की अनदेखी दिखी. एक मजदूर ने एनडीटीवी को बताया कि, ''मिट्टी, मलबा साइट पर तीन दिन से पड़ा है. उन्होंने कहा कि, मलबा तो दो तीन से पड़ा है. छिड़काव करीब 2-3 बार ही करते हैं, पूरे दिन में. आयरन शीट भी नहीं है.''

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वायु प्रदूषण के कारण मुंबई के अस्पतालों में श्वांस के मरीजों की तादाद बढ़ रही है,
खास तौर से कोमॉर्बिड मरीज़ लंग्स की तकलीफ से गुजर रहे हैं.  फोर्टिस अस्पताल की सलाहकार चिकित्सक डॉ शोभा इटोलिकर ने कहा कि, ‘'ओपीडी लेवल पर जो रोजाना मरीज आ रहे हैं उनमें करीब 60 प्रतिशत वायु प्रदूषण से प्रभावित हैं. सांस की समस्या अचानक बढ़ी है.''

शहर में अक्टूबर में लगातार प्रदूषित हवा

मधुमेह विशेषज्ञ और ज़ैंड्रा हेल्थकेयर के अध्यक्ष डॉ राजीव कोविल ने बताया कि, डायबिटीज वाले मरीज हर रोज 2-3 की संख्या में लंग्स, सांस की तकलीफ के साथ आ रहे हैं. जिनोवा शैल्बी अस्पताल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ चेतन जैन ने कहा कि,‘'हमारे यहां सांस की तकलीफ़ वाले करीब 15 प्रतिशत मरीज बढ़े हैं. अक्टूबर महीने में ऐसी हालत नहीं होती थी. प्रदूषण से बीमारियां भी इस बार बढ़ी हैं.''

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मुंबई में अक्टूबर महीने में एक भी दिन ऐसा नहीं गया जब हवा अच्छी श्रेणी में रही हो. हेल्थ एक्सपर्टों को चिंता है कि कहीं दिवाली के बाद गिरे तापमान में हालात और ज्यादा न बिगड़ें, इसलिए धूल-कंस्ट्रक्शन वाली जगह मास्क पहनने की सलाह दी जा रही है.

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