प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
ग्रीनपीस इंडिया की ओर से जारी एक वैज्ञानिक विश्लेषण में यह तथ्य सामने आया है कि दिल्ली में पीएम 2.5 कणों में खतरनाक धातु हैं। गुरुवार को ग्रीनपीस द्वारा जारी रिपोर्ट में दिल्ली स्कूलों को शामिल किया गया है। अक्टूबर-नंवबर 2015 के दौरान इन स्कूलों में 24 घंटे वायु गुणवत्ता की निगरानी करके पीएम 2.5 के नमूनों को इकट्ठा किया गया। इन पीएम 2.5 के विश्लेषण से यह पता चला है कि उसमें खतरनाक स्तर पर भारी धातु जैसे निकेल, आर्सेनिक, कैडमियम हैं जो कैंसरकारक और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होते हैं।
यह अध्ययन पीएम 2.5 में शामिल घटकों को पता करने के लिए किया गया था। स्कूलों के क्लासरूम में लगाए गए मॉनिटर द्वारा एकत्रित किए गए पांच नमूनों में शामिल भारी धातु भारत सरकार द्वारा जारी एहतियाती मानकों से 5 गुना और विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक स्तर से 11 गुना ज्यादा है। पीएम 2.5 में पाए गए भारी धातु जैसे सीसा और मैंगनीज न्यूरोटॉक्सिक हैं जो खासकर बच्चों के ज्ञान संबंधी विकास को प्रभावित करते हैं। दूसरी तरफ कैडियम, निकल और क्रोमियम कैंसरकारक धातु हैं जिससे मानव में कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
ग्रीनपीस इंडिया के कैंपेनर सुनील दहिया कहते हैं, 'रिपोर्ट में आए तथ्य से पता चलता है कि स्कूली बच्चे उन खतरनाक धातुओं की चपेट में हैं, जिसकी वजह से बच्चों में कैंसर और उनके विकसित होने की समस्या का खतरा उत्पन्न होता है। इन कणों की सांद्रता जितनी अधिक होगी, प्रदूषण में निहित भारी धातुओं की मात्रा भी उतनी ही अधिक बढ़ेगी। इन कणों का सबसे बड़ा कारण जीवाश्म ईंधन (कोयला और तेल) का ऊर्जा और परिवहन क्षेत्र में किया जा रहा इस्तेमाल है।'
इसी तरह के एक और अध्ययन में भारतीय और सिंगापुर के विशेषज्ञों द्वारा वायुमंडलीय प्रदूषण अनुसंधान में यह बात सामने आई है कि पीएम 2.5 में कैडियम और लीड औद्योगिक उत्सर्जन की वजह से आती है, वहीं लीड और जिंक कोयला तथा अलौह धातु गलाने- जलाने की वजह से उत्पन्न होते हैं। दिल्ली में स्कूली बच्चों को वायु प्रदुषण की जद में आने से बचाने के लिये तत्काल योजना बनाने की जरूरत है। इसमें अधिक वायु प्रदुषण वाले दिन स्कूलों को बंद करने से लेकर बच्चों के बाहरी गतिविधियों को रोकने जैसे उपाय अपनाये जा सकते हैं।
सुनील दहिया का कहना है, 'हमें एक व्यवस्थित स्वच्छ वायु योजना बनाने की जरूरत है जिसमें सभी तरह के प्रदूषक कारकों की समस्या पर विचार करना होगा और क्षेत्रीय के साथ-साथ एक राष्ट्रीय कार्य योजना की रुपरेखा भी तय करनी होगी। फिलहाल दिल्ली की हवा में खतरनाक धातुओं की मात्रा को देखते हुए सरकार को स्कूली बच्चों के बचाव के लिए तत्काल एहतियाती कदम उठाने होंगे और वायु प्रदूषण से निपटने के लिए स्थायी हल खोजने होंगे। इसके अलावा उर्जा और परिवहन सेक्टर में स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा साधनों पर निर्भरता बढ़ानी होगी।'
यह अध्ययन पीएम 2.5 में शामिल घटकों को पता करने के लिए किया गया था। स्कूलों के क्लासरूम में लगाए गए मॉनिटर द्वारा एकत्रित किए गए पांच नमूनों में शामिल भारी धातु भारत सरकार द्वारा जारी एहतियाती मानकों से 5 गुना और विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक स्तर से 11 गुना ज्यादा है। पीएम 2.5 में पाए गए भारी धातु जैसे सीसा और मैंगनीज न्यूरोटॉक्सिक हैं जो खासकर बच्चों के ज्ञान संबंधी विकास को प्रभावित करते हैं। दूसरी तरफ कैडियम, निकल और क्रोमियम कैंसरकारक धातु हैं जिससे मानव में कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
ग्रीनपीस इंडिया के कैंपेनर सुनील दहिया कहते हैं, 'रिपोर्ट में आए तथ्य से पता चलता है कि स्कूली बच्चे उन खतरनाक धातुओं की चपेट में हैं, जिसकी वजह से बच्चों में कैंसर और उनके विकसित होने की समस्या का खतरा उत्पन्न होता है। इन कणों की सांद्रता जितनी अधिक होगी, प्रदूषण में निहित भारी धातुओं की मात्रा भी उतनी ही अधिक बढ़ेगी। इन कणों का सबसे बड़ा कारण जीवाश्म ईंधन (कोयला और तेल) का ऊर्जा और परिवहन क्षेत्र में किया जा रहा इस्तेमाल है।'
इसी तरह के एक और अध्ययन में भारतीय और सिंगापुर के विशेषज्ञों द्वारा वायुमंडलीय प्रदूषण अनुसंधान में यह बात सामने आई है कि पीएम 2.5 में कैडियम और लीड औद्योगिक उत्सर्जन की वजह से आती है, वहीं लीड और जिंक कोयला तथा अलौह धातु गलाने- जलाने की वजह से उत्पन्न होते हैं। दिल्ली में स्कूली बच्चों को वायु प्रदुषण की जद में आने से बचाने के लिये तत्काल योजना बनाने की जरूरत है। इसमें अधिक वायु प्रदुषण वाले दिन स्कूलों को बंद करने से लेकर बच्चों के बाहरी गतिविधियों को रोकने जैसे उपाय अपनाये जा सकते हैं।
सुनील दहिया का कहना है, 'हमें एक व्यवस्थित स्वच्छ वायु योजना बनाने की जरूरत है जिसमें सभी तरह के प्रदूषक कारकों की समस्या पर विचार करना होगा और क्षेत्रीय के साथ-साथ एक राष्ट्रीय कार्य योजना की रुपरेखा भी तय करनी होगी। फिलहाल दिल्ली की हवा में खतरनाक धातुओं की मात्रा को देखते हुए सरकार को स्कूली बच्चों के बचाव के लिए तत्काल एहतियाती कदम उठाने होंगे और वायु प्रदूषण से निपटने के लिए स्थायी हल खोजने होंगे। इसके अलावा उर्जा और परिवहन सेक्टर में स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा साधनों पर निर्भरता बढ़ानी होगी।'
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