
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने मेडिकल कॉलेज से जुड़ी सीबीआई की कार्रवाई की सराहना करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ की गई यह बड़ी कार्रवाई देश हित में है. इसके लिए उन्होंने सीबीआई को धन्यवाद दिया और कहा कि जो भी देश की संपत्ति या नागरिकों के साथ गड़बड़ी करेगा, भ्रष्टाचार करेगा, उसे जेल की सलाखों के पीछे जाना ही चाहिए. दरअसल, सीबीआई को लंबे समय से पैसे देकर मेडिकल कॉलेज की मान्यता लेने की शिकायत मिल रही थी. इसके बाद सीबीआई ने एक जुलाई को छत्तीसगढ़ सहित 6 राज्यों में 40 जगह छापे मारे थे, जिसमें तीन डॉक्टरों सहित 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
मंत्री जायसवाल ने कहा, "जो भी देश की संपत्ति या नागरिकों के साथ गड़बड़ी करेगा, भ्रष्टाचार करेगा, उसे जेल की सलाखों के पीछे जाना ही चाहिए. सीबीआई ने मेडिकल कॉलेज की मान्यता को लेकर रंगे हाथ लेन-देन करते हुए पकड़ा है, यह बहुत बड़ा काम है. चाहे छत्तीसगढ़ हो या अन्य राज्य, सीबीआई जो भी कार्रवाई करती है वह संविधान और कानून के तहत होती है और देश-जनहित में होती है. हम इसकी सराहना करते हैं."
छत्तीसगढ़ सरकार से संबंधित नहीं कार्रवाई: जायसवाल
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि यह कार्रवाई सीधे तौर पर छत्तीसगढ़ सरकार से संबंधित नहीं है. मेडिकल कॉलेज की मान्यता और लाइसेंसिंग की प्रक्रिया नेशनल मेडिकल काउंसिल (NMC) के अधीन होती है, जो भारत सरकार की एक स्वतंत्र संस्था है.
साथ ही उन्होंने कहा कि लेनदेन की जो बात सामने आई है, वह एनएमसी की मान्यता प्रक्रिया से जुड़ी है. साथ ही उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पारदर्शिता और ईमानदारी के पक्ष में है और हर प्रकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख रखती है.
ऐसे समझिए पूरा मामला
केंद्रीय जांच ब्यूरो ने देश के इतिहास में सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज घोटालों में से एक का पर्दाफाश किया है, जिसमें वरिष्ठ अधिकारी, बिचौलिए, शीर्ष शिक्षाविद और यहां तक कि एक स्वयंभू धर्मगुरु भी शामिल हैं. सीबीआई जांच में एक रिश्वतखोरी के रैकेट का पता चला है. इस घोटाले में डीपी सिंह (पूर्व यूजीसी अध्यक्ष और वर्तमान टीआईएसएस चांसलर), स्वयंभू धर्मगुरु रावतपुरा सरकार, इंदौर के इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के सुरेश सिंह भदौरिया के साथ ही अधिकारियों और बिचौलियों का विशाल नेटवर्क शामिल है.
CBI की एफआईआर में 35 लोगों के नाम हैं, जिनमें रिटायर्ड आईएफएस अधिकारी संजय शुक्ला भी शामिल हैं, जो रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) के चेयरमैन भी रह चुके हैं. छत्तीसगढ़ वन विभाग के पूर्व प्रमुख और पीसीसीएफ शुक्ला ट्रस्टी की भूमिका में रावतपुरा समूह से जुड़े हुए हैं.
CBI को शिकायत मिल रही थी कि NMC के कुछ अधिकारी पद का दुरुपयोग करते हुए रिश्वत लेकर निजी मेडिकल कॉलेजों की मान्यता रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं. इसी के आधार पर CBI ने ट्रैप तैयार किया और बेंगलुरू में इंस्पेक्शन टीम के डॉक्टर को 55 लाख रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया. इस जांच में श्री रावतपुरा समेत आठ राज्यों के मेडिकल कालेज प्रबंधन से पैसे लेकर मान्यता देने का मामला सामने आया है.
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