विज्ञापन

ट्रंप का दबाव और महंगाई की मार... ब्याज दर घटेगी या नहीं? फेड फेड चेयर पॉवेल के फैसले पर टिकी दुनिया की नजर

US फेड ने पिछले कुछ महीनों से ब्याज दरें 4.25 से 4.50 प्रतिशत के बीच स्थिर रखी हैं. इसकी वजह यह बताई गई कि अमेरिका का जॉब मार्केट अभी भी मजबूत है. लेकिन ताजा आंकड़ों में सामने आया है कि मई और जून में भर्ती के आंकड़े पहले से काफी कमजोर रहे. यही वजह है कि अब कई एक्सपर्ट मानते हैं कि ब्याज दर घटाने पर विचार किया जा सकता है.

ट्रंप का दबाव और महंगाई की मार... ब्याज दर घटेगी या नहीं?  फेड फेड चेयर पॉवेल के फैसले पर टिकी दुनिया की नजर
US Federal Reserve chief Jerome Powell: फेड के लिए फैसला और कठिन हो गया है कि ब्याज दरें घटाएं या नहीं.
नई दिल्ली:

अमेरिका के फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) चेयर जेरोम पॉवेल  (Jerome Powell) आज  शुक्रवार को जैक्सन होल सेंट्रल बैंकिंग कॉन्फ्रेंस में अपना आखिरी भाषण देने वाले हैं. यह भाषण इसलिए खास माना जा रहा है क्योंकि पॉवेल  पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump)  लगातार दबाव बना रहे हैं कि ब्याज दरों को घटाया जाए. वहीं दूसरी तरफ अमेरिका की अर्थव्यवस्था में महंगाई और नौकरियों से जुड़े मिले-जुले संकेत फेड को मुश्किल स्थिति में डाल रहे हैं.

ट्रंप का दबाव और पॉवेल की मुश्किल

ट्रंप कई बार पॉवेल  पर नाराजगी जता चुके हैं.ट्रंप का कहना है कि फेड ने ब्याज दरें घटाने में बहुत देर कर दी. यही नहीं, ट्रंप ने फेड के वॉशिंगटन ऑफिस की मरम्मत पर खर्च को लेकर भी सवाल उठाए और यहां तक कहा कि यह पॉवेल  को हटाने की वजह बन सकता है. हालांकि बाद में उन्होंने यह विचार छोड़ दिया.

महंगाई और नौकरी दोनों पर संकट

फेड ने पिछले कुछ महीनों से ब्याज दरें 4.25 से 4.50 प्रतिशत के बीच स्थिर रखी हैं. इसकी वजह यह बताई गई कि अमेरिका का जॉब मार्केट अभी भी मजबूत है. लेकिन ताजा आंकड़ों में सामने आया है कि मई और जून में भर्ती के आंकड़े पहले से काफी कमजोर रहे. यही वजह है कि अब कई एक्सपर्ट मानते हैं कि ब्याज दर घटाने पर विचार किया जा सकता है.

महंगाई अभी भी फेड के टारगेट से ऊपर है. जून में महंगाई 2.6 प्रतिशत रही और फूड एंड एनर्जी को छोड़कर देखी गई महंगाई 2.8 प्रतिशत रही. फेड का लक्ष्य सिर्फ 2 प्रतिशत है.

ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी का असर

ट्रंप प्रशासन ने कई सामानों पर ज्यादा टैरिफ लगा दिया है. इसका सीधा असर महंगाई पर पड़ सकता है क्योंकि इंपोर्ट महंगा होगा और कीमतें बढ़ेंगी. ऐसे में फेड के लिए फैसला और कठिन हो गया है कि ब्याज दरें घटाएं या नहीं.

ब्याज दरें  घटाने पर बंटे हैं फेड अधिकारी

पिछली बैठक में दो फेड गवर्नर ने ब्याज दर घटाने के पक्ष में वोट किया था. यह 1993 के बाद पहली बार हुआ जब किसी फेड मीटिंग में अलग राय दर्ज की गई. उनका कहना था कि धीरे-धीरे ब्याज दरें घटाना बेहतर होगा ताकि अर्थव्यवस्था और नौकरी बाजार को सहारा मिल सके.

बाजार की उम्मीदें

फिलहाल बाजार मान रहा है कि सितंबर में ब्याज दरें घट सकती हैं. CME ग्रुप के फेडवॉच टूल के अनुसार, 73.5 प्रतिशत संभावना है कि सितंबर की बैठक में दरें घटाई जाएंगी. लेकिन एनालिस्ट का कहना है कि जब तक और नए रोजगार डेटा सामने नहीं आते, पॉवेल अपने भाषण में कोई साफ संकेत नहीं देंगे.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com