सार्वजनिक क्षेत्र की इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन आईओसी (Indian Oil Corporation) के चेयरमैन अरविंदर सिंह साहनी ने कहा कि रूस के खिलाफ किसी भी नए प्रतिबंध (sanctions on Russia) का भारत की कच्चे तेल की जरूरतों पर कोई बड़ा असर नहीं होगा. उन्होंने कहा कि वैश्विक तेल कीमतें (Global Oil Prices) 75-80 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में स्थिर रहेंगी. उन्होंने कहा कि इसका कारण हमें पहले से ही प्रतिबंध की आशंका थी.
विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की वार्षिक बैठक के दौरान पीटीआई-भाषा से बातचीत में उन्होंने बताया कि ऐसे कई ऊर्जा स्रोत हैं जिनका उपयोग किसी भी आपात स्थिति में भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जा सकता है. भारत को अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए कई वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत मिल गए हैं. रूस से पहले भारत को केवल 2 प्रतिशत तेल मिलता था, लेकिन युद्ध के बाद ये आंकड़ा बढ़कर 30 प्रतिशत तक पहुंच गया है.
ट्रंप के बयान से भारतीय ऊर्जा क्षेत्र को फायदा
डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका का दूसरी बार राष्ट्रपति बनने और भारत पर इसके प्रभाव के बारे में उन्होंने कहा कि यह भारतीय ऊर्जा क्षेत्र (Indian Energy Sector) के लिए सकारात्मक होगा. उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि हमें अधिक ऊर्जा का उत्पादन करना होगा और हम अधिक ऊर्जा स्रोतों के खिलाफ नहीं हैं. अधिक से अधिक ऊर्जा स्रोत होना हमेशा बेहतर होता है. उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका का फोकस अधिक ऊर्जा उत्पादन (Energy production) पर होगा और भारत को इससे लाभ होगा.
साहनी ने स्पष्ट किया कि यदि रूस पर और प्रतिबंध लगाए जाते हैं, तो भी भारत के पास अन्य ऊर्जा स्रोत हैं. उन्होंने खाड़ी देशों, ओपेक, अमेरिका, गुयाना और ब्राजील जैसे स्रोतों का जिक्र किया, जिससे तेल की आपूर्ति सुनिश्चित रहती है.
वैश्विक कंपनियों से विचार-विमर्श में भारत की प्रमुख भूमिका
दावोस में भारत की भागीदारी के बारे में पूछे जाने पर साहनी ने कहा कि यहां भारत की बड़ी उपस्थिति देखकर बहुत अच्छा लग रहा है. विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum) में भारत की बड़ी उपस्थिति पर साहनी ने खुशी व्यक्त की और कहा कि इस मंच पर वैश्विक कंपनियों (Global companies) से विचार-विमर्श करना भारतीय कंपनियों और अर्थव्यवस्था (Indian Economy) के लिए फायदेमंद है.
आईओसी के चेयरमैन के मुताबिक, रूस पर प्रतिबंधों (sanctions on Russia) के बावजूद भारत की तेल आपूर्ति की स्थिति मजबूत बनी रहेगी और वैश्विक तेल कीमतों (global oil prices) में स्थिरता बनी रहेगी. भारत के पास विविध स्रोतों से कच्चे तेल (crude oil) की आपूर्ति सुनिश्चित है, जिससे भविष्य में किसी भी आपात स्थिति का सामना किया जा सके.
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