
भारतीय निवेशकों की नजर अब सिर्फ देश के बाजारों पर नहीं है, बल्कि वे लगातार इंटरनेशनल रियल एस्टेट मार्केट में भी निवेश कर रहे हैं. खासकर लंदन, न्यूयॉर्क और सिंगापुर जैसे शहर अभी भी भारतीयों के टॉप चॉइस बने हुए हैं. हाल ही में आई नाइट फ्रैंक की रिपोर्ट में बताया गया कि 2025 की दूसरी तिमाही में दुनिया के 16 शहरों में लग्जरी रेंटल औसतन 3.5% बढ़े हैं, जो पिछले साल की धीमी रफ्तार के बाद एक बेहतर संकेत माना जा रहा है.
कौन से शहर हैं सबसे आगे
हांगकांग में 8.6% और टोक्यो में 8.3% की सबसे ज्यादा सालाना रेंटल ग्रोथ देखी गई. यूरोप के बर्लिन और फ्रैंकफर्ट जैसे शहरों ने भी 4.9% और 4.7% की स्थिर बढ़त दिखाई. वहीं लंदन सिर्फ 1.5% की ग्रोथ के साथ नीचे जरूर रहा, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मांग ने इसे अब भी मजबूत बनाए रखा है.
भारतीय निवेशकों की पसंद
नाइट फ्रैंक इंडिया के एमडी शिशिर बैजल के मुताबिक, भारतीय निवेशकों का न्यूयॉर्क, सिंगापुर और लंदन जैसे ग्लोबल शहरों के प्रति हमेशा से खास रुझान रहा है. इन जगहों पर लगातार हो रही रेंटल ग्रोथ यह साबित करती है कि ये मार्केट लंबे समय के लिए सेफ और आकर्षक निवेश विकल्प बने हुए हैं.
क्यों बढ़ रहे हैं किराये?
रिपोर्ट के अनुसार, बड़े शहरों में नई बिल्डिंग और कंस्ट्रक्शन की कमी है, जिससे सप्लाई पर असर पड़ा है. वहीं कोविड के बाद ऑफिस कल्चर की वापसी ने किराये की मांग को और ज्यादा बढ़ा दिया है. इसी कारण लग्जरी रेंटल में तेजी देखी जा रही है.
ब्याज दर और महंगाई का असर
उच्च ब्याज दर और लगातार बढ़ रही महंगाई किराये की तेजी को थोड़ा धीमा कर रही है, क्योंकि बहुत से किरायेदार अब ज्यादा किराया अफोर्ड नहीं कर पा रहे. लेकिन दूसरी ओर, बढ़ती इमीग्रेशन और लिमिटेड सप्लाई के कारण आने वाले समय में रेंटल ग्रोथ फिर से तेज होने की उम्मीद जताई जा रही है.
आने वाले समय में भी रेंटल ग्रोथ रहेगा जारी
नाइट फ्रैंक की रिपोर्ट कहती है कि न्यूयॉर्क और मियामी जैसे शहरों में आने वाले समय में भी मध्यम स्तर की रेंटल ग्रोथ जारी रहेगी. वहीं हांगकांग और टोक्यो जैसे शहरों में रेग्युलेटरी चैलेंज के चलते ग्रोथ थोड़ी धीमी हो सकती है. यूरोप के बर्लिन और लंदन जैसे मार्केट नई सप्लाई की कमी के चलते लो से मिड लेवल ग्रोथ दिखा सकते हैं.
इससे साफ है कि भारतीय निवेशकों के लिए ग्लोबल लग्जरी रेंटल मार्केट एक मजबूत ऑप्शन बन चुका है. लिमिटेड सप्लाई और लगातार डिमांड इसे और भी आकर्षक बना रही है, जिससे ये मार्केट पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन के लिए बेहतरीन चॉइस साबित हो सकते हैं.
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