विज्ञापन
This Article is From Nov 15, 2024

मजबूत विकास के साथ बेहतर स्थिति में भारत की अर्थव्यवस्था, महंगाई में आ सकती है कमी : मूडीज

भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था (India Economy) को लेकर मूडीज की रिपोर्ट में कहा गया है कि हाई फ्रीक्वेंसी इंडीकेटर तीसरी तिमाही में स्थिर आर्थिक गति का संकेत देते हैं.

मजबूत विकास के साथ बेहतर स्थिति में भारत की अर्थव्यवस्था, महंगाई में आ सकती है कमी : मूडीज
नई दिल्‍ली :

मूडीज ग्लोबल मैक्रो आउटलुक की शुक्रवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार भारत की अर्थव्यवस्था (India Economy) मजबूत विकास के साथ बेहतर स्थिति में है और आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति में कमी आने की उम्मीद है. वैश्विक रेटिंग एजेंसी ने कैलेंडर वर्ष 2024 के लिए 7.2 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है, इसके बाद 2025 में 6.6 प्रतिशत और 2026 में 6.5 प्रतिशत की वृद्धि होगी. यह भी उम्मीद है कि अप्रैल-जून तिमाही में 6.7 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज करने के बाद जुलाई-सितंबर तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था अपनी स्थिर गति बनाए रखेगी.

मूडीज रेटिंग्स ने कहा, "हाई फ्रीक्वेंसी इंडीकेटर, जिसमें मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस पीएमआई का विस्तार, मजबूत ऋण वृद्धि और उपभोक्ता आशावाद शामिल हैं - तीसरी तिमाही में स्थिर आर्थिक गति का संकेत देते हैं."

बढ़ सकता है घरेलू उपभोग 

रिपोर्ट में कहा गया है, "घरेलू उपभोग में वृद्धि की संभावना है, जो कि मौजूदा त्योहारी सीजन के दौरान खर्च में वृद्धि और बेहतर कृषि के कारण ग्रामीण मांग में निरंतर वृद्धि की वजह से है."

इसमें कहा गया है, "भारत की अर्थव्यवस्था मजबूती से बढ़ रही है और इसमें उच्च विकास दर को बनाए रखने की क्षमता है, क्योंकि निजी क्षेत्र की मजबूत वित्तीय स्थिति एक सकारात्मक आर्थिक चक्र को मजबूत करती है."

रिपोर्ट में कहा गया है कि क्षमता उपयोग में वृद्धि, मजबूत कारोबारी भावना और सरकार के बुनियादी ढांचे में निवेश से निजी निवेश को समर्थन मिलने की संभावना है.

मुद्रास्‍फीति दरों में गिरावट का अनुमान 

मूडीज ने यह भी बताया कि भारत की मजबूत आर्थिक बुनियाद, जैसे हेल्दी कॉर्पोरेट और बैंक बैलेंस शीट, एक लचीली बाहरी स्थिति और मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार, परिदृश्य को मजबूत करते हैं. साथ ही रिपोर्ट में आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति दरों में गिरावट की भी बात कही गई है.

रिपोर्ट के अनुसार, "निकट अवधि में तेजी के बावजूद, आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति आरबीआई के लक्ष्य के अनुरूप कम होनी चाहिए, क्योंकि अधिक बुवाई और पर्याप्त खाद्यान्न बफर स्टॉक के बीच खाद्य कीमतों में कमी आएगी."

अक्टूबर में भारत की मुद्रास्फीति 14 महीने के उच्चतम स्तर 6.2 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो आरबीआई के 2-6 प्रतिशत बैंड की ऊपरी सीमा को पार कर गई. इसका कारण खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतें और मानसून की देरी से वापसी है, जिससे आलू और प्याज जैसी सब्जी की फसलों को भारी नुकसान हुआ.

RBI दरों में कटौती की उम्‍मीद खत्‍म 

मूडीज की रिपोर्ट में कहा गया है, आरबीआई द्वारा आर्थिक विकास को गति देने के लिए दरों में कटौती की उम्मीदें खत्म हो चुकी हैं, क्योंकि केंद्रीय बैंक ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह नीतिगत दर में तभी कमी करेगा, जब मुद्रास्फीति टिकाऊ आधार पर 4 प्रतिशत पर आ जाएगी.

"हालांकि केंद्रीय बैंक ने अक्टूबर में रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखते हुए अपनी मौद्रिक नीति के रुख को तटस्थ कर दिया, लेकिन यह अगले साल भी सख्त मौद्रिक नीति सेटिंग्स को बनाए रखेगा."

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com