
मॉर्गन स्टेनली की बुधवार ,16 अप्रैल को आई एक लेटेस्ट रिपोर्ट में कहा गया कि भारत उनके पसंदीदा इक्विटी बाजारों में से एक है. यहां की स्थितियां लचीली हैं या प्रोत्साहन द्वारा पर्याप्त रूप से सुरक्षित हैं.ग्लोबल ब्रोकरेज के अनुसार, नए अमेरिकी प्रशासन में शुरुआती दौर में ड्राइविंग सीट पर रही ‘ब्रेव न्यू वर्ल्ड' गतिशीलता में, बड़े बाजारों में, हम घरेलू भारत, घरेलू जापान, सिंगापुर और यूएई पर ओवरवेट (ओडब्ल्यू) की अपनी मुख्य सिफारिश को बनाए रखते हैं.
भारत को क्यों मान रहा है मॉर्गन स्टेनली पसंदीदा बाजार?
ब्रोकरेज ने कहा, "हम ताइवान और न्यूजीलैंड पर सबसे अधिक सतर्क बने हुए हैं, जबकि हम कोरिया पर अंडरवेट को कम करते हैं और ऑस्ट्रेलिया पर ईडब्ल्यू रुख अपनाते हैं."
भारत और ऑस्ट्रेलिया में निर्यात का मध्यम स्तर है. साथ ही अमेरिका से सूचीबद्ध इक्विटी में कुल राजस्व का भी मध्यम स्तर है, जो मुख्य रूप से स्वास्थ्य सेवा, आईटी सेवाओं (भारत) और उद्योगों (ऑस्ट्रेलिया) पर केंद्रित है.
सिंगापुर, यूएई और जापान भी लिस्ट में शामिल
ब्रोकरेज वित्तीय आय के लिए लचीला दृष्टिकोण रखता है, जिसमें कैपिटल रेश्यो और एसेट्स क्वालिटी आउटलुक इसके कवरेज के अधिकांश हिस्से में मजबूत स्थिति में हैं.
ब्रोकरेज ने कहा, "हमें विशेष रूप से सिंगापुर, भारत, चिली, यूएई और जापान में वित्तीय क्षेत्र पसंद हैं. सबसे डिफेंसिव सिफारिशों के लिए, हम उन अर्थव्यवस्थाओं के सबसे अधिक घरेलू जोखिम वाले बाजारों को तलाशने की सलाह देंगे, जहां मैक्रो स्थितियां लचीली बनी हुई हैं या प्रोत्साहन के जरिए पर्याप्त रूप से सुरक्षित बनी हुई हैं."
लो बीटा स्टॉक्स बना रहे भारत को मजबूत
मंगलवार को सामने आई एक दूसरी मॉर्गन स्टेनली रिपोर्ट के अनुसार, भारत का 'लो बीटा' वैश्विक बिकवाली के बीच इसे काफी बेहतर प्रदर्शन करने में मदद कर रहा है, भले ही सूचकांक कई महीनों के निचले स्तर पर पहुंच सकता है.विशेषज्ञों के मुताबिक, 'लो बीटा' स्टॉक स्थिरता और बाजार में गिरावट के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करके पोर्टफोलियो जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं.
आरबीआई की पॉलिसी और जीएसटी में राहत अहम फैक्टर
भारत के लिए प्रमुख कैटेलिस्ट में आरबीआई की ओर से जारी नरम रुख कार्रवाइयां, जीएसटी दरों में कटौती के माध्यम से प्रोत्साहन और अमेरिका के साथ व्यापार समझौता शामिल हैं.मॉर्गन स्टेनली को खाद्य मुद्रास्फीति और तेल की कीमतों में भी कमी की उम्मीद है, जिससे खाद्य और गैर-खाद्य मुद्रास्फीति सामान्य स्तर पर बनी रहेगी.
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