अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव (Israel-Iran War) के कारण कच्चे तेल की कीमतों (Crude Oil Prices) में अक्टूबर में करीब 12 फीसदी का उछाल देखा गया है. यदि ऐसी ही स्थिति बनी रही तो आने वाले समय में भारत पर तेल आयात का दबाव बढ़ने की आशंका है. इस साल 30 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड की कीमत 71.81 डॉलर प्रति बैरल थी जो 7 अक्टूबर को बढ़कर 80 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गई.
साल के अंत तक थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद
हालांकि ओपेक के सदस्य देशों, और रूस तथा कुछ अन्य पेट्रोलियम उत्पादक देशों के इस साल दिसंबर से उत्पादन बढ़ाने की उम्मीद है. इससे इस साल के अंत तक थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है.
कच्चे तेल की कीमतों में क्यों आ रही तेजी?
हमास और हिजबुल्लाह के खिलाफ इजरायल (Israel Hezbollah War) की कार्रवाई में अब ईरान के इजरायल (Iran-Israel War) के खिलाफ खड़े होने से कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आ रही है. ईरान समेत पश्चिम एशिया के देश पेट्रोलियम के बड़े निर्यातक हैं. इस क्षेत्र में लड़ाई बढ़ने का मतलब है आपूर्ति पक्ष पर नकारात्मक प्रभाव. इससे कच्चे तेल के दाम बढ़ रहे हैं.
कच्चे तेल के दाम बढ़ने का भारत पर क्या होगा असर?
कच्चे तेल के दाम बढ़ने का भारत पर गहरा प्रभाव पड़ेगा क्योंकि देश के आयात में सबसे बड़ा हिस्सा पेट्रोलियम और कच्चे तेल का है.
दरअसल, भारत शुद्ध रूप से पेट्रोलियम आयातक देश है. यानी कच्चे तेल और एलएनजी-पीएनजी जैसे उत्पादों के लिए हम आयात पर निर्भर करते हैं. हालांकि सरकार ऊर्जा के दूसरे विकल्पों को अपना कर आयात पर निर्भरता कम करने का प्रयास कर रही है, लेकिन फिलहाल ऐसा संभव होता नहीं दिख रहा है.
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