
टैरिफ वॉर की आशंका से बीते तीन ट्रेडिंग सेशन में लगातार गिरती कच्चे तेल की कीमतें (Crude Oil Price) अब रिकवरी के मोड में दिख रही हैं. मंगलवार को इंटरनेशनल मार्केट में ब्रेंट क्रूड करीब 1.5% की बढ़त के साथ 65 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर ट्रेड कर रहा है. वहीं, WTI क्रूड में भी मजबूती देखने को मिल रही है.
सोमवार को चार साल के निचले स्तर पर पहुंचा था क्रूड
ट्रंप के नए टैरिफ अलर्ट के चलते सोमवार को क्रूड की कीमतें 2% गिर गई थीं और ब्रेंट क्रूड चार साल के निचले लेवल तक पहुंच गया था. अमेरिका ने चीन पर 50% तक का इंपोर्ट टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है. चीन दुनिया का सबसे बड़ा क्रूड ऑयल इंपोर्टर है, और अगर यह ट्रेड वॉर बढ़ता है तो इसका असर पूरी ग्लोबल इकोनॉमी पर पड़ सकता है.
ट्रेड वॉर से मंदी का खतरा बढ़ा
मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर चीन टैरिफ के जवाब में रेसिप्रोकल टैरिफ (Reciprocal Tariffs) लगाता है, तो अमेरिका में चीन से होने वाले इंपोर्ट पर कुल टैरिफ रेट 104% तक पहुंच सकता है. इससे ग्लोबल स्टॉक मार्केट में गिरावट, रिस्क सेंटीमेंट में गिरावट और इकोनॉमिक स्लोडाउन तेज हो सकता है.
बैंकों ने घटाए तेल के अनुमान
ट्रेड टेंशन की वजह से गोल्डमैन सैक्स, मॉर्गन स्टेनली और सोसाइटी जनरल जैसे बड़े बैंकों ने आने वाले महीनों के लिए क्रूड के प्राइस फोरकास्ट (Oill Price Forecast) घटा दिए हैं. उनका मानना है कि अगर टैरिफ ज्यादा बढ़ते हैं तो चीन की इकोनॉमी और ग्लोबल डिमांड दोनों पर दबाव बनेगा.
यूएस में प्रोडक्शन हो सकता है धीमा
एनालिस्ट्स का कहना है कि अमेरिका में ऑयल प्रोडक्शन का ब्रेकईवन पॉइंट 60 डॉलर प्रति बैरल के आस-पास है. अगर क्रूड के दाम ज्यादा नीचे जाते हैं, तो ऑयल कंपनियां प्रोडक्शन कम कर सकती हैं. इससे WTI के लिए एक प्राइस फ्लोर बन सकता है जो 50 डॉलर प्रति बैरल के आसपास हो सकता है.फिलहाल ब्रेंट क्रूड 1.26% की तेजी के साथ 65.02 डॉलर प्रति बैरल पर और WTI क्रूड 1.52% की तेजी के साथ 61.61 डॉलर प्रति बैरल पर है.
इस बढ़त से यह संकेत मिल रहा है कि भले ही ग्लोबल डिमांड पर दबाव हो, लेकिन कीमतें अब धीरे-धीरे स्टेबल हो सकती हैं. हालांकि, अगर ट्रेड वॉर और टैरिफ की टेंशन बनी रही, तो क्रूड में उतार-चढ़ाव बना रहेगा.
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