केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने आज अपना सबसे छोटा बजट (Budget 2022) भाषण पढ़ा. इसमें न तो आय करदाताओं को कोई रियायत दी गई है, न ही रेल मुसाफिरों के लिए कोई खास सौगात दी गई है. वित्त मंत्री ने करीब 12 लाइनों में और चार प्वाइंट में रेल बजट का कोरम पूरा कर लिया. पहले से कई ट्रेनों के शुरू किए जाने की उम्मीद लगाए लोगों को इससे निराशा हाथ लगी है.
हालांकि, सीतारमण ने कहा कि अगले तीन वर्षों के दौरान 400 नई पीढ़ी की वंदे भारत ट्रेनों का विकास और विनिर्माण किया जाएगा जो कि ऊर्जा क्षमता और यात्रियों के सुखद अनुभव की दृष्टि से बेहतर होगी. वित्त मंत्री ने इस घोषणा में ये नहीं बताया कि ये ट्रेनें इस वित्तीय वर्ष में चलाई जाएंगी या नहीं. उन्होंने अपने भाषण में सिर्फ इनके निर्माण और विकास का ही एलान किया है.
इसके अलावा उन्होंने कहा कि अगले तीन वर्षों के दौरान मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक सुविधाओं के लिए 100 पीएम गतिशक्ति कार्गो टर्मिनल्स तैयार किए जाएंगे. वित्त मंत्री ने आत्मनिर्भर भारत के अंतर्गत वर्ष 2022-23 में 2000 किलोमीटर के रेल नेटवर्क को कवच योजना के अंतर्गत लाने की बात कही है. कवच योजना सुरक्षा और क्षमता संवर्धन के लिए विश्व स्तर की स्वदेशी प्रौद्योगिकी होगी.
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रेलवे के नाम पर वित्त मंत्री ने दो और बातें कहीं हैं. उन्होंने कहा है कि स्थानीय कारोबार तथा आपूर्ति श्रृंखला की सहायता के लिए एक स्थान, एक उत्पाद की अवधारणा को लोकप्रिय बनाया जाएगा. इसके अलावा सीतारमण ने कहा कि रेलवे पार्सलों के निर्विघ्न आवाजाही की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए डाक और रेलवे को जोड़ने में अग्रणी भूमिका निभाने के साथ-साथ रेलवे छोटे किसानों तथा लघु एवं मध्यम उद्यमों के लिए नए उत्पाद और कार्यकुशल लॉजिस्टिक सेवाएं विकसित करेगा.
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वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण के प्वाइंट नंबर 21 से 24 के बीच कुल 12 लाइनों में रेलवे बजट की औपचारिकता पूरी कर दी है. बता दें कि सितंबर 2016 में रेल बजट की परंपरा मोदी सरकार ने खत्म कर दी थी. इसके अगले साल 2017 से आम बजट में ही रेल बजट को समाहित कर पेश किया जा रहा है.
2016 में तब के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि हम सुनिश्चित करेंगे कि आम बजट में हम हर साल रेलवे पर समुचित चर्चा करेंगे और इसकी स्वायत्तता पर कोई असर नहीं पड़ेगा. शुरू के वर्षों में, यहां तक कि पिछले साल के बजट तक आम बजट में ही कई ट्रेनें चलाने की घोषणा हुई हैं लेकिन इस साल ऐसा नहीं हो सका.
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