नई दिल्ली:
नोटबंदी के बाद सरकार को नकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिली थीं. इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने सबसे ज्यादा सौगात ग्रामीण क्षेत्र में दी है. वित्तमंत्री अरुण जेटली ने अपना चौथा बजट पेश किया. नोटबंदी के बाद पेश किए गए बजट में सरकार का पूरा जोर गरीब, गांव, किसान और मिडिल क्लास पर रहा. सरकार ने काफी हद तक संतुलित बजट पेश करने की कोशिश की है. लगभग हर पक्ष को खुश करने का प्रयास किया गया है. विपक्षी पार्टियां मोदी सरकार पर 'सूटबूट की सरकार' और 'अमीरों के सरकार' होने का आक्षेप लगाती रही हैं. सरकार ने इस छवि से निकलने की पूरी कोशिश की है. सरकार ने बजट में कई ऐसी घोषणाएं की हैं जिससे यह संदेश देने की कोशिश की गई कि मोदी सरकार गरीबों की सरकार है और अमीरों के खिलाफ है. विशेषज्ञों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गरीबों के मसीहा की छवि पर पूरा जोर लगा रहे हैं.
पहले किया मनरेगा का विरोध, अब आवंटन बढ़ाया
मोदी सरकार ने जिस मनरेगा का संसद सदन में विरोध किया था और उसे विफल करार दिया था, अब उसको ग्रामीण विकास का जरिया मान लिया है. साल 2009-10 में नरेगा के लिए 52 हज़ार करोड़ रुपये का बजट था. उसके बाद बजट में भी कटौती हुई और घटते-घटते अब ये 33 हज़ार करोड़ तक आ गया. पिछले बजट में मोदी सरकार ने मनरेगा का कोष आवंटन 33,000 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 36,997 करोड़ रुपये कर दिया. इस साल वित्तमंत्री अरुण जेटली ने साल 2017-18 के बजट में मनरेगा के लिए आवंटन 11 हजार करोड़ रुपए का इजाफा करते हुए इसे 48 हजार करोड़ रुपए कर दिया है. इससे सरकार की मानसिकता में आए बदलाव का साफ पता चलता है. मनरेगा में अंतरिक्ष विज्ञान की मदद ली जाएगी, काम स्पेस टेक्नोलॉजी से जांचा जाएगा. एक करोड़ परिवारों को गरीबी से बाहर लाना है.
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गांवों एवं किसान के लिए ये घोषणाएं
बजट में सरकार ने किसान कर्ज पर ब्याज में कटौती, किसानों को लोन के लिए दस लाख करोड़ रुपये दिए हैं. इस साल खेती 4.1 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद जताई गई है. माइक्रो सिंचाई फंड के लिए शुरुआती 5000 करोड़ रुपये का फंड दिया गया है. डेयरी उद्योग के लिए नाबर्ड के जरिये 8 हजार करोड़ रुपये का इंतजाम किया गया है. दुग्ध पैदावार के लिए 300 करेाड़ का शुरुआती फंड रिलीज किया गया है. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना कॉन्ट्रैक्ट खेती के लिए नया कानून लाने की घोषणा की है. सरकार ने दावा किया है कि मार्च 2018 तक सभी गावों में बिजली पहुंचाई जाएगी.
ब्रांडबैंड की कनेक्टविटी गांव में बढ़ाने पर जोर
150 लाख गांवों में ब्रॉडबैंड सेवा पहुंचाई जाएगी. गांवों में महिला शक्ति केंद्र स्थापना के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. गामीण इलाकों में अब 60 फीसदी सैनिटेशन प्रबंध. मार्च 2018 तक सभी गावों में बिजली पहुंचाई जाएगी.
मिडिल क्लास को भी राहत
वहीं 3 लाख रुपये से ज्यादा के नकद लेन-देन पर रोक लगा दी गई है. मीडिल क्लास को राहत देते हुए अब 2.5 लाख से 5 लाख तक की आयकर सीमा 10 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी गई है. एक करोड़ रपये से अधिक की आय पर 15 प्रतिशत का अधिभार बना रहेगा. एक तरह से सुपर रिच को कोई राहत मोदी सरकार ने नहीं दी है.
सुपर रिच को कोई राहत नहीं
एक करोड़ रपये से अधिक की आय पर 15 प्रतिशत का अधिभार बना रहेगा. एक तरह से सुपर रिच को कोई राहत मोदी सरकार ने नहीं दी है.इससे साफ पता चलता है कि मोदी सरकार केवल गरीबों की हिमायती बनना चाहती है.
पहले किया मनरेगा का विरोध, अब आवंटन बढ़ाया
मोदी सरकार ने जिस मनरेगा का संसद सदन में विरोध किया था और उसे विफल करार दिया था, अब उसको ग्रामीण विकास का जरिया मान लिया है. साल 2009-10 में नरेगा के लिए 52 हज़ार करोड़ रुपये का बजट था. उसके बाद बजट में भी कटौती हुई और घटते-घटते अब ये 33 हज़ार करोड़ तक आ गया. पिछले बजट में मोदी सरकार ने मनरेगा का कोष आवंटन 33,000 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 36,997 करोड़ रुपये कर दिया. इस साल वित्तमंत्री अरुण जेटली ने साल 2017-18 के बजट में मनरेगा के लिए आवंटन 11 हजार करोड़ रुपए का इजाफा करते हुए इसे 48 हजार करोड़ रुपए कर दिया है. इससे सरकार की मानसिकता में आए बदलाव का साफ पता चलता है. मनरेगा में अंतरिक्ष विज्ञान की मदद ली जाएगी, काम स्पेस टेक्नोलॉजी से जांचा जाएगा. एक करोड़ परिवारों को गरीबी से बाहर लाना है.
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गांवों एवं किसान के लिए ये घोषणाएं
बजट में सरकार ने किसान कर्ज पर ब्याज में कटौती, किसानों को लोन के लिए दस लाख करोड़ रुपये दिए हैं. इस साल खेती 4.1 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद जताई गई है. माइक्रो सिंचाई फंड के लिए शुरुआती 5000 करोड़ रुपये का फंड दिया गया है. डेयरी उद्योग के लिए नाबर्ड के जरिये 8 हजार करोड़ रुपये का इंतजाम किया गया है. दुग्ध पैदावार के लिए 300 करेाड़ का शुरुआती फंड रिलीज किया गया है. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना कॉन्ट्रैक्ट खेती के लिए नया कानून लाने की घोषणा की है. सरकार ने दावा किया है कि मार्च 2018 तक सभी गावों में बिजली पहुंचाई जाएगी.
ब्रांडबैंड की कनेक्टविटी गांव में बढ़ाने पर जोर
150 लाख गांवों में ब्रॉडबैंड सेवा पहुंचाई जाएगी. गांवों में महिला शक्ति केंद्र स्थापना के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. गामीण इलाकों में अब 60 फीसदी सैनिटेशन प्रबंध. मार्च 2018 तक सभी गावों में बिजली पहुंचाई जाएगी.
मिडिल क्लास को भी राहत
वहीं 3 लाख रुपये से ज्यादा के नकद लेन-देन पर रोक लगा दी गई है. मीडिल क्लास को राहत देते हुए अब 2.5 लाख से 5 लाख तक की आयकर सीमा 10 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी गई है. एक करोड़ रपये से अधिक की आय पर 15 प्रतिशत का अधिभार बना रहेगा. एक तरह से सुपर रिच को कोई राहत मोदी सरकार ने नहीं दी है.
सुपर रिच को कोई राहत नहीं
एक करोड़ रपये से अधिक की आय पर 15 प्रतिशत का अधिभार बना रहेगा. एक तरह से सुपर रिच को कोई राहत मोदी सरकार ने नहीं दी है.इससे साफ पता चलता है कि मोदी सरकार केवल गरीबों की हिमायती बनना चाहती है.
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