
भारतीय मुक्केबाजी संघ (बीएफआई) ने सोमवार को विश्व चैम्पियनशिप के रजत पदक विजेता अमित पंघाल और अनुभवी विकास कृष्णन को राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार के लिए नामित किया. बीएफआई ने विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीतने वाली तिकड़ी लोवलिना बोरगोहिन (69 किग्रा), सिमरनजीत कौर (64 किग्रा) और मनीष कौशिक (63 किग्रा) को अर्जुन पुरस्कार के लिए नामित किया है, बीएफआई ने इस वार्षिक पुरस्कार के लिए सिर्फ ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाले मुक्केबाजों को नामित किया.
The BFI has nominated world bronze-winning trio of Lovlina Borgohain (69kg), Simranjit Kaur (64kg) and Manish Kaushik (63kg) for the Arjuna awards#KhelRatna #ArjunaAward #Boxinghttps://t.co/ZoWbgSJXD4
— NDTV Sports (@Sports_NDTV) June 1, 2020
द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए बीएफआई ने महिला टीम के राष्ट्रीय कोच मोहम्मद अली कमर और सहायक कोच छोटे लाल यादव को नामित किया. बीएफआई ने कहा, ‘एथलीटों और कोचों का नामांकन पिछले चार वर्षों के उनके प्रदर्शन के आधार पर किया गया है.' एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता 24 साल के पंघाल (52 किग्रा) ने अब तक कोई भी राष्ट्रीय खेल पुरस्कार नहीं जीता है. उन्हें पिछले तीन वर्षों से अर्जुन पुरस्कार के लिए नामांकित किया जा रहा है, लेकिन 2012 की ‘अनजाने' में डोपिंग करने के मामले में दोषी पाये जाने के कारण चयन समिति द्वारा उनके नाम पर विचार नहीं किया गया.
बीएफआई के कार्यकारी निदेशक आरके सचेती ने कहा, ‘‘उन्हें देश के लिए प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति है और उनके पदक का जश्न मनाया जाता है. ऐसे में वह सम्मान पाने के हकदार हैं.'बीएफआई ने पिछले साल फैसला किया था कि उनका नामांकन तब तक भेजा जाएगा जब तब उस पर विचार करना शुरू नहीं होगा. यह डोपिंग का उल्लंघन उस समय हुआ था जब पंघाल आयु (युवा) वर्ग में थे और चेचक का इलाज करा रहे थे.
पंघाल ने हाल ही में कहा था, ‘युवा स्तर की गलतियां हर जगह माफ होती है. मैंने जानबूझकर ऐसा नहीं किया. मैंने परिणामों को जाने बिना ही केवल उन दवाओं का सेवन किया जो चिकित्सकों ने मुझे दी थी. मुझे उम्मीद है कि मेरे नाम पर विचार होगा.' उन्होंने पिछले दिनों खेल मंत्री किरेन रिजीजू को पत्र लिखकर राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों के लिये चयन प्रक्रिया बदलने का अनुरोध किया और मौजूदा तरीके को ‘भेदभावपूर्ण' करार दिया. उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों को खुद का नामांकन कर आवेदन नहीं करना चाहिए.
उन्होंने कहा था, ‘‘मौजूदा प्रक्रिया में एक खिलाड़ी को आवेदन भेजना होता है और फिर खेल समिति इन आवेदनों के आधार पर चयन करती है. पुरस्कार चयन में खेल समिति के सदस्यों द्वारा भेदभावपूर्ण फैसले होते हैं जिनकी कोई जवाबदेही नहीं है.' भारतीय सेना में सूबेदार पंघाल के मुताबिक खुद नामांकन करना या राष्ट्रीय महासंघों द्वारा नामांकन करना प्रक्रिया का पहला कदम होता है. उन्होंने कहा, ‘यह प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है और ऐसे कई उदाहरण है जहां हकदार खिलाड़ियों को पुरस्कार हासिल करने के लिये अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा, यह खिलाड़ियों के लिये और खेल प्रशासकों के लिये काफी असहज होता है.'
राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता कृष्णन (69 किग्रा) 2012 में अर्जुन पुरस्कार हासिल कर चुके है. वह 2018 एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीतने के बाद पेशेवर बन गये थे. पिछले साल उन्होंने हालांकि दक्षिण-एशियाई खेलों के साथ एमेच्योर मुक्केबाजी में वापसी की और स्वर्ण पदक जीता. उन्होंने इस साल जॉर्डन में हुए एशियाई ओलिंपिक क्वालीफायर्स से तोक्यो का टिकट पक्का किया.
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