जब हम स्कूल में पढ़ते थे, हमें कहा गया था कि धरती हमारी माता हैं, पर शायद धरती मां ने तो हमें अपनी संतान मान लिया, लेकिन हम उन्हें मां का दर्जा नहीं दे पाए. मेरी इस बात का मतलब समझने के लिए आपको जरा आसपास नजर घुमाने की जरूरत होगी. इतना कूड़ा-कचरा, इतना प्रदूषण, यह व्यवहार भला कोई अपनी मां के साथ कैसे कर सकता है? इस शनिवार, 22 अप्रैल को पूरी दुनिया वर्ल्ड अर्थ डे मनाएगी. लेकिन शायद हम और दिनों की ही तरह इस दिन को भी महज एक दिन मनाकर भूल जाएंगे. क्यों न हम इस दिन खुद से कुछ ऐसे वादे करें, जो धरती को हमारे लिए एक प्रदूषित जगह बनाने के बजाए हमें एक स्वस्थ वातावरण दे...
लौट चलें जड़ों की ओर
इंसान ने बहुत तरक्की कर ली है. आज उसने अपने लिए सुविधाओं का अंबार बना लिया है. लेकिन शायद वह इस बात से वाकिफ नहीं था कि यही सुविधाएं उसके लिए खतरा साबित हो सकती हैं. शहरों में तो तकरीबन हर इंसान के पास अपनी कार है. किसी के पास तो दो या तीन-तीन गाड़ियां हैं. जिनके पास कार नहीं उनके लिए भी कैब, ऑटो की सुविधा है. जो सस्ते में आपको आपके गंतव्य पर पहुंचा देती है. खुद को सहूलियत देते-देते हम यह भूल गए हैं कि हमारी इस आरामदायक जिंदगी से पर्यावरण को जो नुकसान हो रहा है वह आने वाले समय में हमारा धरती पर जीना दूभर कर सकता है. तो चलिए क्यों न अपनी इस आदत को जरा अर्थ फ्रेंडली बना लिया जाए. और इसके लिए लौटते हैं अपनी जड़ों की ओर. क्यों ने अलग-अलग कार की बजाए ऑफिस के लोगों से कार पूल की जाए, ऑफिस ज्यादा दूर नहीं तो साइकिल से जाएं या फिर पैदल. इन तरीकों से आप एक साथ कई चीजें बचा सकते हैं- जैसे वातावरण, पैसे और समय..
रिसाइकिल का फंडा
आपके घर में ऐसी कई चीजें होंगी, जो सालों, महीनों या कई दिनों से कोने में पड़ी हों. हो सकता है कि किसी दिन आपकी नजर उन पर चली जाए और आप उन्हें उठाकर सीधे कूड़े के ढेर में डाल आएं. जरा ठहरिए, क्यों न उन्हें रिसाइकिल किया जाए. अपने पुराने खराब फोन को ऐसे ही पुर्जा-पुर्जा कर फेंकने से अच्छा है कि उसे किसी ऐसे फोन सेंटर को दें, जो पुराने फोन को रिसाइकिल करते हैं. घर में जो कूड़ेदान है वह एक ही न हो. दो या तीन कूड़ेदान रखें, ताकि आप प्लास्टिक, मेटल और खाने से जुड़ा कूड़ा अलग-अलग डाल सकें. इससे इसे रिसाइकिल करना आसान होगा.
एक पौधा लगाएं
अगर धरती पर रहने वाला हर व्यक्ति एक पौधा लगाए, तो धरती का वातावरण बहुत ही सुधर जाएगा. तो क्यों न इस वर्ल्ड अर्थ डे पर एक पौधा लगाया जाए. इससे एक तो आपका शहर सुंदर होगा, दूसरा आपका स्वास्थ्य भी बेहतर होगा. यह बात मैं यकीन से कह सकती हूं कि दिल्ली में रहने वाला हर व्यक्ति अपनी सेहत और यहां के बिगड़ते वातावरण के चलते दिन में, महीन में या साल में एक बार तो यह सोच ही लेता है कि वह दिल्ली छोड़कर कहीं और चला जाएगा. क्यों न इस तरह के विचारों को खत्म करने के लिए काम किया जाए. जिस शहर में आप रहते हैं उसे बेहतर बनाने के लिए काम किया जाए.
(अनुवाद - अनीता शर्मा)
(जेनिफर थॉमस एनडीटीवी में कार्यरत हैं.)
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This Article is From Apr 19, 2017
वर्ल्ड अर्थ डे : खुद को बचाना है, तो धरती को नया जीवन देना होगा...
Jennifer Thomas
- ब्लॉग,
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Updated:अप्रैल 19, 2017 18:02 pm IST
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Published On अप्रैल 19, 2017 18:02 pm IST
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Last Updated On अप्रैल 19, 2017 18:02 pm IST
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