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This Article is From Sep 17, 2015

महिलाओं का दर्द और देशों की प्रतिष्ठा...

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    सितंबर 17, 2015 21:24 pm IST
    • Published On सितंबर 17, 2015 21:17 pm IST
    • Last Updated On सितंबर 17, 2015 21:24 pm IST
एक तरफ दो औरतें हैं जिनके साथ बेहिसाब नाइंसाफी हुई है, दूसरी तरफ तीन देश हैं जो अपने संबंधों की बेड़ियों में बंधे हैं। उन दो औरतों पर जो बीती है, जो कुछ उनके बीच चल रहा होगा वो निश्चित रूप से मुल्कों के बीच नहीं चल रहा होगा। इंसाफ़ का सवाल हवा में है और संबंध का सवाल सबसे अहम। आप किसके साथ हैं। मुल्कों के बीच बने कानून के या इन दो औरतों के।

गुड़गांव की इस सोसायटी का नाम है एंबिएंश कैत्रियोना। कैत्रियोना ग्रीक शब्द है जिसका मतलब है शुद्ध। बताया जाता है कि यहां हर फ्लैट की कीमत बहुत ज़्यादा नहीं है। सिर्फ 11 करोड़ है। अगर आप फाइव स्टार होटलों से वाक्फ़ियत रखते हों तो इस हाउसिंस सोसायटी को सेवेन स्टार का दर्जा हासिल है। इसके टावर ई के फ्लैट नंबर 502 में आरोप है कि दो नेपाली ओरतों के साथ ज़ुल्म ओ सितम की ऐसी घटना होती है जिसकी बारीक़ जानकारियों पर अब सरकार ने पर्दा लगा दिया है। पुलिस से कहा गया है कि वे तमाम जानकारियों को मीडिया में लीक न करें वर्ना ये मामला आम जनता के बीच बहस का मसला बन जाएगा और दो मुल्कों के संबंधों पर असर डालने लगेगा।

जिनती जानकारी मीडिया में है उसके अनुसार अप्रैल के महीने में नेपाल में आए भूकंप के बाद वहां से दो औरतों एक एजेंट के ज़रिये सऊदी अरब के दूतावास में प्रथम सचिव के रूप में कार्यरत राजनियक के घर पहुंचती हैं। एक बेहतर ज़िंदगी की तलाश में इनका सपना भारत में काम करने के बाद सऊदी अरब भी जाना था। फ्लैट नंबर 502 में दो तीन महीनों के दौरान इनके साथ जो हुआ आपको बिल्कुल ही यकीन करना चाहिए कि ऐसी घटना हर दिन आपके मुल्क में औरतों के साथ हो रही है। इनका आरोप है कि इन्हें भूखा रखा गया।

बुखार और बीमार होने के बाद भी काम कराया गया। इनके साथ बलात्कार हुआ और राजनयिक के साथ साथ कथित रूप से उनके दोस्त भी इस करतूत में शामिल रहे। इनका आरोप है कि एक दिन में सात आठ लोगों ने बलात्कार किये हैं।  दो दो बार मेडिकल जांच में यही बात आई है कि शरीर के अलग अलग हिस्सों में चोट के निशान हैं और बलात्कार हुआ है।

किसी तरह ये दोनों जान बचाकर भागने में सफल रहे। चूंकि इस बहस में मुल्कों की कहानी बड़ी हो जाएगी इसलिए मैं पहले इन दोनों औरतों की कहानी बताना चाहता हूं। इनके साथ जो अब हो रहा है उस पर न तो किसी विएना कंवेशन का बस चल रहा है न किसी कानून का। इनका जो परिवार और समाज है वो हर तरह के कंवेंशन से आज़ाद है। उसे भी वैसी ही छूट हासिल है जैसी राजनयिक को

दोनों में एक 50 साल की महिला है। नेपाल में इनका कोई नहीं है। सिर्फ एक बेटी है जिनकी शादी हो चुकी है। अलग अलग अख़बारों से जानकारी जुटाई है उसके अनुसार बेटी ने मां को आने से मना कर दिया है। बेटी का मानना है कि पति को पता चलेगा तो वो उसे ही छोड़ देगा। मां के पास एक बेटी है और बेटी के पास एक पति है। मां किसी के पास नहीं है। न पति के पास न बेटी के पास।

50 साल की पीड़िता नेपाल जाना चाहती हैं। दूसरी पीड़िता तीस साल की हैं। इनकी एक चार साल की बेटी है और दो साल का बेटा है। अख़बारों की रिपोर्ट के अनुसार इनसे मिलने सिर्फ पति ही आया। ससुराल वाले नाराज़ हो गए हैं। 50 साल की पीड़िता की बेटी और 30 साल की पीड़िता के ससुरालवालों की एक ही चिन्ता है कि समाज में उनकी प्रतिष्ठा चली गई। ठीक उसी तरह मुल्कों की चिन्ता है कि ऐसा कुछ न हो जिससे संबंधों की प्रतिष्ठा पर आंच आ जाए। दोनों औरतों समाज और मुल्क से इस तरह बेदखल कर दी गईं हैं जैसे वो औरत तो थीं मगर किसी भूगोल से बाहर ।

अब आते हैं दो मुल्कों के संबंधों पर। वियना कंवेंशन के अनुसार राजनयिको पर स्थानीय कानून लागू नहीं होते हैं। पराये मुल्क में उन पर तभी मामला चलता है जब उनके मायके से इस संरक्षण को हटा लिया जाता है। आप जानते हैं कि भारत और सऊदी अरब के बीच दोस्ताना संबंध हैं। सऊदी अरब में तीस लाख भारतीय काम करते हैं।

इसलिए इतना आसान नहीं है कि भारत झट से कोई कार्रवाई कर दे। उल्टा सऊदी अरब दूतावास ने पहले कहा कि हमारा राजनयिक निर्दोष है। फिर भी भारत ने कहा कि हरियाणा पुलिस को जांच में सहयोग करे। मेडिकल रिपोर्ट में यातना और बलात्कार की पुष्टि होने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि भारत सऊदी अरब से कहेगा कि राजनयिक संरक्षण हटाये और और भारतीय कानून का सामना करने के लिए कहे। दोनों ही औरतों ने आरोप लगाया है कि राजनयिक के अलावा उसके दोस्त भी उनके साथ बलात्कार करते थे। अलग अलग कमरों में ले जाकर यातना देते थे। सवाल उठा कि मुख्य आरोपी अगर राजनयिक है तो क्या इसके बहाने उन लोगों को भी छूट मिल रही है जो इस अपराध में शामिल थे। वे कौन लोग हैं। इसकी कोई सार्वजनिक जानकारी नहीं है।

आज इसलिए चर्चा हो रही है क्योंकि बुधवार को खबर आई कि सऊदी अरब ने अपने इस राजनयिक को वापस बुला लिया है। हरियाणा पुलिस के पास केस तो है लेकिन मुख्य आरोपी नहीं है। हम अपने मेहमानों से पूछेंगे कि इन औरतों को इंसाफ कैसे मिलेगा। भारत में अपराध हुआ, मुख्य आरोपी सऊदी अरब चला गया, औरतों नेपाल की हैं। क्या भारत को राजनयिक मर्यादाओं के तहत कुछ और सख्त कार्रवाई नहीं करनी चाहिए थी। मसलन उसे निकाला जा सकता था जिससे कड़ा संदेश जा सकता था। उसे पर्सोनो नान ग्राटा घोषित किया जा सकता था, क्योंकि वियना कंवेंशन के मुताबिक भारत अगर यह घोषित करता तो सऊदी को मजबूर होना पड़ता वापस बुलाने के लिए।

हिन्दू अख़बार ने अपने संपादकीय में लिखा है कि 1997 में जार्जिया में अपने राजनयिक से डिप्लोमेटिक संरक्षण हटा लिया था। अन्य देशों ने भी अपने राजनयिकों से संरक्षण हटाए हैं लेकिन सऊदी अरब ने हमेशा ही अपने राजनयिकों का बचाव किया है। जबकि उसके राजनयिकों के ख़िलाफ गंभीर आरोपों के मामले सामने आते रहे हैं। अमरीका और इंग्लैंड में भी औरतों को दासी बनाकर रखने के आरोप लगे हैं। 2004 में इंग्लैंड में सऊदी अधिकारी पर 11 साल की एक लड़की को प्रताड़ित करने का आरोप लगा मगर कुछ नहीं हुआ। हिन्दू अख़बार लिखता है कि भारत सऊदी अरब सरकार को जवाबदेही के लिए बाध्य करे। भारत की ज़िम्मेदारी ज़्यादा बनती है क्योंकि नेपाल उसके भरोसे का साथी है।

2013 का साल याद कीजिए। न्यूयार्क में भारतीय विदेश सेवा की अधिकारी देव्यानी खोब्रागडे की एक मामले में पूछताछ होती है और सर्च किया जाता है, गिरफ्तार होती हैं। अमरीका कहता है कि उन्हें राजनयिक संरक्षण हासिल नहीं था इसलिए ऐसा किया गया क्योंकि वे दूतावास में नहीं काउंसलेट में तैनात थीं। देवयानी ने कहा था कि उनके साथ अपराधियों जैसा सलूक किया गया। बस क्या सरकार क्या विपक्ष सब अपमान से बदला लो राजनीतिक उद्योग में बदल गए थे।

सबको देवयानी खोब्रागढे के ज़रिये भारतीय राष्ट्र के पुरुषार्थ को चमकाने का मौका मिल गया। दिल्ली में अमरीकन सेंटर से कहा गया कि बिना लाइसेंस के फिल्म नहीं दिखा सकते हैं। अमरीकी दूतावास से बाहर से शराब मंगाने की अनुमति वापस ले ली गई। बीजेपी नेता और पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि भारत को भी इसका बदला लेना चाहिए । जितने भी समलैंगिग राजनियक हैं उन सबको जेल में डाल देना चाहिए।

तब के विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने अमरीकी राजदूत को बुलाकार अपना विरोध जताया कि ये तो अपमान हुआ है। तब गुजरात से नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर दिया कि वे भी अपने देश के साथ खड़े हैं और हमारी महिला राजनयिक के साथ जो अपमान हुआ है उसके विरोध में अमरीकी प्रतिनिधिमंडल से मिलने से इंकार कर दिया है। वैसे अब भारतीय विदेश मंत्रालय ने यहां की अदालत से कहा है कि उन्हें देवयानी खोब्रागडे की निष्ठा पर संदेह है। 2013 से 2015 आ गया है। औरत तो तब भी थी, औरत ही अब भी है। फर्क सिर्फ इतना है कि चुनाव नहीं है। मगर आरोप तो लग ही रहे हैं कि भारत सरकार ने सऊदी अरब के राजनयिक को जाने कैसे दे दिया।

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