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This Article is From Apr 02, 2022

नीतीश कुमार CM रहेंगे या नहीं, BJP में इस पर एक राय क्यों नहीं?

Manish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अप्रैल 02, 2022 22:20 pm IST
    • Published On अप्रैल 02, 2022 21:34 pm IST
    • Last Updated On अप्रैल 02, 2022 22:20 pm IST

बिहार के मुख्यमंत्री पद पर नीतीश कुमार (Nitish Kumar) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) की कृपा से हैं और उनकी कुर्सी उस समय तक बची रहेगी जब तक ये कृपा बनी रहेगी. लेकिन इसके बावजूद नीतीश कुमार के पिछले दस दिनों के दौरान दो कदम से उनके भविष्य को लेकर अटकलें तेज कर दी हैं. अब तो भाजपा के विधायक सार्वजनिक रूप से नीतीश कुमार से मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़कर भाजपा के किसी वरिष्ठ नेता को मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं. लेकिन सबसे पहले नीतीश कुमार के वो दो कदम- जिसमें पहला लखनऊ में योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण समारोह में जैसे जिस ऐंगल से उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अभिवादन किया. उससे उनकी खूब सार्वजनिक तौर पर और सोशल मीडिया पर किरकिरी हुई. ये कयास लगाया जाने लगा कि नीतीश उतर प्रदेश चुनाव के बाद अपने भविष्य को लेकर आशंकित हैं और इस डर से उन्होंने जिस मुद्रा से अभिवादन किया वो एक तरह से राजनीतिक रूप से आत्मसमर्पण का संदेश गया.

नीतीश कुमार ने राज्यसभा जाने की अटकलों को दिया विराम बोले, "व्यक्तिगत इच्छा नहीं"

फिलहाल नीतीश को आलोचना और राजनीतिक साख से कहीं अधिक कुर्सी बनी रहे, उसकी चिंता है. दूसरा राज्यसभा जाने वाली खबर जो उनके खुद के मुंह से निकले शब्द थे, उससे भी उनकी कुर्सी जाने की अटकलों को बल मिला. हालांकि उनकी पार्टी के दो नेताओं उपेन्द्र कुशवाहा और मंत्री संजय झा ने ट्वीट कर इन अटकलों को विराम देने की कोशिश की,  लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ.खासकर दिल्ली में भाजपा के एक शीर्ष नेता द्वारा पत्रकारों को अनौपचारिक बातचीत में बिहार के चार अच्छे नेताओं के नाम गिनाना और मुख्यमंत्री पद के लिए नित्यानंद राय के बारे में जब ये पूछा गया कि इससे क्या अगड़ी जाति के लोग नाराज नहीं हो जाएंगे तो उन्होंने कहा कि इसका कोई असर नहीं होगा. इससे इन अटकलों को और बल मिला कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को अब बिहार की गद्दी चाहिए. लेकिन कब उसके समय को लेकर कुछ तय नहीं है. बिहार भाजपा के नेताओं का एक तबका, जिसकी संख्या बढ़ रही हैं, उसका मानना है कि नीतीश अब कमजोर हो चुके हैं और उनसे कुर्सी लेकर अपने आलाकमान के किसी व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाने का ये सबसे उपयुक्त समय है.

उनका मानना है कि अगर अभी उन्हें सम्मानपूर्वक हटाया जाए तो कोई नुकसान नहीं होगा बदले में नीतीश के मनपसंद किसी व्यक्ति को उप मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है. वहीं, नीतीश समर्थक भाजपा नेताओं का कहना है कि भले अभी नीतीश कुमार के तेजस्वी यादव के साथ जाने की संभावना न हो लेकिन अगर वे ही कुर्सी पर रहें तो क्या दिक्कत है. इन नेताओं का कहना है कि नीतीश समर्थक जो दलील दें, लेकिन अब नीतीश फ़िलहाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भविष्य में अपने पुराने दिनों की तरह चैलेंजर कहीं से नहीं बन सकते. उनकी ये यूएसपी अब ख़त्म हो चुकी है.

लेकिन भाजपा नेता ये भी तर्क देते हैं कि नीतीश अगर कुर्सी पर ना रहे तो उनके विधायकों में भी असंतोष बढ़ेगा और उनका दोतरफा विभाजन होगा. एक भाजपा की तरफ़ और दूसरा राजद के पक्ष में हो सकता है. इसे फ़िलहाल भाजपा के पक्ष में नहीं कहा जा सकता. हां, लेकिन नीतीश अब कुर्सी पर बैठे रहेंगे तो भाजपा के विधायक जैसे उनकी आलोचना करते हैं या चुनौती देते हैं उससे आखिर नीतीश का इकबाल कम होता है.

लेकिन नीतीश के समर्थक और विरोधी दोनों तरह के भाजपा नेता इस बात को लेकर सहमत हैं कि नीतीश के भविष्य का फ़ैसला ना तो बिहार जनता दल यूनाइटेड के नेता ना बिहार भाजपा के विधायकों की अपने मुख्यमंत्री की मांग से तय होगा बल्कि वो आख़िरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का फ़ैसला होगा. शायद अगले लोकसभा चुनाव तक उन्हें मोहलत मिल भी जाए क्योंकि वो नहीं चाहेंगे कि कोई ऐसा कदम उठाए जिससे बिहार से सीटों की संख्या में कमी आए.

(मनीष कुमार NDTV इंडिया में एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर हैं...)

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.

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