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This Article is From Nov 02, 2016

प्राइम टाइम इंट्रो : वन रैंक, वन पेंशन पर क्यों आ रही है मुश्किल?

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    नवंबर 02, 2016 21:32 pm IST
    • Published On नवंबर 02, 2016 21:32 pm IST
    • Last Updated On नवंबर 02, 2016 21:32 pm IST
पूर्व सैनिक रामकिशन गेरेवाल ने मंगलवार को दिल्ली में ज़हर खाकर आत्महत्या कर ली. हरियाणा के भिवानी ज़िले के बामला गांव के रहने वाले रामकिशन ने ज़हर खाने से पहले किसी को नहीं बताया. रामकिशन ने ज़हर खाने के बाद अपने बेटे को भी फोन किया कि मैंने ज़हर खा ली है. अपनी पत्नी से भी बात करने की इच्छा ज़ाहिर की और बेटे से कहा कि उनके साथ आए साथियों को बता दे कि ऐसा हो गया है. रामकिशन गेरेवाल ने छह साल टेरिटोरियल आर्मी में सेवा दी थी.

इनके साथी जगदीश जी ने बताया कि रामकिशन ने 105 इंफैंट्री बटालियन में 6 साल नौकरी की और उसके बाद डिफेंस सर्विस कोर चले गए. 2004 में सूबेदार मेजर के पद से रिटायर हुए. डिफेंस सर्विस कोर से रिटायर हुए जवानों को पेंशन मिलती है, लेकिन जगदीश जी ने फोन पर बताया कि वे टेरिटोरियल आर्मी से रिटायर हुए हैं. इस अंग को वाजपेयी सरकार के समय पहली बार मान्यता दी गई लेकिन उन्हें वन रैंक वन पेंशन का लाभ नहीं मिला है. सेना में 30 साल काम करने वाले रामकिशन जी ने सबको जमा किया कि हम सबकी लड़ाई लड़ेंगे. उनके साथ रेगुलर आर्मी के पूर्व सैनिक भी 1 नवंबर को दिल्ली आए, लेकिन वे सभी जंतर मंतर की तरफ चले थे कि रामकिशन जी ने आत्महत्या कर ली. चूंकि वे सीनियर थे इसलिए वे इस लड़ाई का नेतृत्व कर रहे थे. उन्होंने रक्षा मंत्री के नाम एक आवेदन पत्र भी लिखा- आज मेरी तरह हज़ारों सैनिक ऐसे हैं जिन्होंने इस प्रकार दोनों सर्विस की है. और उनको छठे और सातवें वेतन आयोग और वन रैंक वन पेंशन की बढ़ोतरी नहीं मिली है. आपसे निवेदन है कि इन सभी कमियों को पूरा किया जाए. हम आपको आभारी होंगे. मैं, मेरे देश के लिए, मेरी मातृभूमि के लिए एवं मेरे देश के वीर जवानों के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर कर रहा हूं.

रक्षा मंत्री और प्रधानमंत्री कई बार वन रैंक वन पेंशन की बात कर चुके हैं. हाल ही में प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में कहा था कि पिछली सरकार ने वन रैंक वन पेंशन के लिए 500 करोड़ दिया था, लेकिन मौजूदा सरकार ने करीब 5500 करोड़ की पहली किश्त भी जारी कर दी है. प्रधानमंत्री ने कहा कि वन रैंक, वन पेंशन के रूप में 10,000 करोड़ का बजट है, मैंने प्रधानमंत्री बनने के बाद फैसला कर लिया, कब रिटायर होगा, किस साल रिटायर होगा, कुछ नहीं, सबको वन रैंक वन पेंशन मिलेगा. 10,000 करोड़ में से साढ़े पांच हज़ार करोड़ की राशि दी जा चुकी है. यानी आधी राशि बंट चुकी है. पूर्व सेनाध्यक्ष और अब केंद्रीय मंत्री वीके सिंह का भी बयान आया है. वीके सिंह ने कहा कि अफसर लेवल पर 90 फीसदी से ज्यादा मांगें पूरी हो चुकी है. जवानों के स्तर पर कुछ दिक्कत है. फिर कोई जवान आत्महत्या क्यों करेगा. सवाल है कि क्या सभी को वन रैंक, वन पेंशन मिल चुका है. हमारे सहयोगी अरशद जमाल यूपी के इटावा के सैनिक कल्याण बोर्ड के दफ्तर गए. राज्य सरकार की यह संस्था है, जिसका काम होता है भूतपूर्व फौजियों के विवादों को संबंधित विभागों से मिलकर निपटाना. मैंने भी दिल्ली से दो तीन सैनिकों से बात की कि वन रैंक, वन पेंशन के बारे में जो कहा जा रहा है, क्या उन्हें मिल रहा है.

सैनिक कल्याण बोर्ड के एक सदस्य ने बताया कि इटावा में 6,491 भूतपूर्व फौजी हैं. इस दफ्तर के सूत्रों ने बताया कि ज़िले में सिर्फ 30 से 40 प्रतिशत सैनिकों को ही वन रैंक, वन पेंशन की पहली किश्त मिली है. हर दिन कोई न कोई पूछने आता है कि पेंशन की कोई सूचना आई. यहां आने वाले बड़ी संख्या में सैनिक बताते हैं कि बहुतों को पेंशन ऑर्डर नहीं मिला है. एक सैनिक ने कहा कि पचास फीसदी सैनिको को वन रैंक, वन पेंशन की राशि नहीं मिली है. प्रतिशत में भले अंतर हो मगर बातों से लगा कि आधे से भी ज्यादा रिटायर सैनिकों को वन रैंक, वन पेंशन की किश्त नहीं मिली है.

आत्महत्या करने वाले रामकिशन जी के साथ आए साथी सैनिक ने भी यही बात कही थी. किसी को मिला है किसी को नहीं मिला है. इटावा के एक व्यक्ति ने अपने पिता का आर्मी नंबर देते हुए कहा कि लखनऊ के ग्राम पोस्ट गढ़ी चुनौटी के रहने वाले हवलदार भीखम सिंह को वन रैंक, वन पेंशन की किश्त नहीं मिली है. मिलेगी भी या नहीं, इसकी कोई सूचना उन तक नहीं पहुंची है. उनके बेटे ने अपने पिता का आर्मी नंबर 2947955 बताया. कहा कि 89 में रिटायर हुए थे और 11,000 पेंशन मिल रही है, जबकि वन रैंक, वन पेंशन की राशि का अभी तक पता नहीं.

केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने कहा कि जवानों को लेकर दिक्कतें आ रही हैं, लेकिन अफसरों की 90 फीसदी मांगें पूरी हो गई हैं. देखिये यहां भी अफसर का काम पहले होता है, जवानों का काम बाद में होता है. उसी तरह इलेक्ट्रॉनिक मैकेनिकल इंजीनियर से रिटायर हुए हवलदार बलराम ने फोन पर बताया कि वे 2012 में रिटायर हुए थे. अभी तक वन रैंक, वन पेंशन की कोई किश्त नहीं आई है. उनके कुछ साथियों की पेंशन आ गई है.

वन रैंक, वन पेंशन के तहत नई पेंशन राशि क्या होगी, कितने की किश्त मिलेगी, इसके लिए पेंशन ऑर्डर नहीं मिला है. जिनके खाते में पैसा आया है, उन्हें भी कोई पेंशन ऑर्डर नहीं मिला है कि कितना मिलना चाहिए और कितना दिया जा रहा है. कम से कम हमने जितनों से बात की, सबने ये बात कही है. यूपी के औरैया के एक्स सूबेदार गंभीर सिंह को भी मैंने फोन लगाया जो 2003 में लखनऊ के आर्मी मेडिकल कोर से रिटायर हुए थे. गंभीर सिंह ने बताया कि 2003 में रिटायर होने के बाद उन्हें 25,506 रुपये पेंशन के तौर पर मिल रही थी. उन्हें तीन तीन हज़ार की दो किश्त यानी 6000 की रकम तो मिली है, लेकिन कोई पेंशन ऑर्डर नहीं मिला है कि वन रैंक, वन पेंशन के तहत नई राशि क्या होगी. मगर 6,000 रुपया किस हिसाब से दिया गया यही पता नहीं हैं. गंभीर सिंह ने बताया कि उनके बाद अलग-अलग यूनिट और रैंक से रिटायर हुए कुछ साथियों के खाते में 16,000 की राशि आई है, तो किसी के खाते में 21,000 की राशि. मगर सबका कहना है कि किसी के पास ये लिखित नहीं है कि उनकी नई पेंशन क्या होगी, 16,000 क्यों दिया जा रहा है. ज़्यादातर साथियों के खाते में तो पेंशन की कोई नई राशि नहीं आई है.

ज़्यादातर सैनिक इसकी भी शिकायत करते मिले कि सातवें वेतन आयोग का पैसा नहीं मिला है, जबकि नौकरशाही के कई अंगों को मिल चुका है. जान देने में तो हमारे सैनिक एक पल की नहीं सोचते तो क्या सरकार को उनकी पेंशन और वेतन का काम भी जल्दी-जल्दी नहीं कर देना चाहिए. एक ऐसे वक्त में जब हर दिन सेना के जवानों की बात हो रही है, उनके नाम पर सवालों को दबाया जा रहा हो, एक सैनिक की आत्महत्या की खबर सामान्य तो नहीं है. देखते देखते वेबसाइट से लेकर ट्विटर की टाइमलाइन पर यह ख़बर फैलने लगी. दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और आप के विधायक कमांडर सुरेंद्र सिंह राममनोहर लोहिया अस्पताल पहुंचे. पुलिस ने उन्हें वहां से डिटेन कर लिया और संसद मार्ग थाने पर ले गई. मुख्यमंत्री केजरीवाल से धक्कामुक्की हुई, जिससे उनका चश्मा टूट गया.

दोपहर में ही कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी अस्पताल पहुंचे. राहुल गांधी को भी अस्पताल के गेट पर रोक दिया. उसके बाद रामकिशन गेरेवाल के परिवार वाले बाहर आने लगे, लेकिन कुछ पता नहीं चला. राहुल गांधी परिवार के सदस्यों से मिलने की ज़िद करने लगे तो उन्हें भी डिटेन कर लिया गया. वहां से राहुल को मंदिर मार्ग थाने ले जाया गया. वहां जब कांग्रेसी नेता जुटे तो पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया.

राहुल गांधी अड़ गए कि परिवारवालों को रिहा किया जाए. मंदिर मार्ग थाने से निकलकर वे नई दिल्ली इलाके के थानों की चक्कर लगाने लगे. पहले साउथ एवेन्यू पुलिस चौकी गए, वहां से कनॉट प्लेस थाना गए, लेकिन जब मुलाकात नहीं हुई तो वहां से तुगलक रोड स्थित अपने घर चले गए. फिर जैसे ही जानकारी मिली कि रामकिशन गेरेवाल के परिवार वाले कनॉट प्लेस थाने पर हैं, तो राहुल वहां पहुंच गए. जहां उन्हें पुलिस ने दोबारा डिटेन कर लिया. तब तक कांग्रेस के तमाम नेता और कार्यकर्ता वहां पहुंच गए. अब पुलिस ने राहुल को बिठाकर थाने-थाने घुमाना शुरू कर दिया. पुलिस पहले उन्हें संसद मार्ग थाने ले गई, फिर तिलक मार्ग थाने, फिर कनॉट प्लेस थाने ले गई. वहां समर्थकों की भीड़ थी, तो वहां से फिर तिलक मार्ग थाने ले आई. पर सवाल उठता है कि राहुल को रामकिशन गेरेवाल के परिवार वालों से क्यों नहीं मिलने दिया गया. पुलिस अफसर एमके मीणा साहब इतने क्यों अड़े रहे. क्या मीणा साहब ने अस्पतालों के लिए नियम बना दिया है कि कोई नेता अस्पतालों में जाकर पीड़ित परिवार से नहीं मिलेगा. क्या ये नियम सबके लिए है. क्या यह खबर आम नहीं है कि एक पूर्व सैनिक रामकिशन गेरेवाल ने आत्महत्या की है. उनके बेटे मीडिया से बात तो कर ही रहे हैं, फिर इन लोगों की मुलाकात राहुल गांधी या मनीष सिसोदिया से हो जाती तो क्या हो जाता. बहरहाल शाम को राहुल को छोड़ दिया गया.
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