इंडियन प्रीमियर लीग, यानी आईपीएल पर बैन से महाराष्ट्र में पानी की समस्या का समाधान नहीं होगा, फिर इस पर इतना विवाद क्यों...?
इंडिया (आई) में प्रतीकों (पी) की लड़ाई (एल) है - देश में वास्तविक मुद्दों पर संघर्ष के बजाए प्रतीकों पर लड़ाई हो रही है, फिर आईपीएल इसका अपवाद क्यों बने...? दिल्ली में ऑड-ईवन के प्रतीकात्मक अभियान को ही अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा स्वराज और लोकपाल की उपलब्धि बताया जा रहा है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार भी 'भारत माता की जय' के प्रतीक को ही सुशासन और अच्छे दिन का पर्याय बता रही है, फिर 'आईपीएल विरोध' को भी संसाधनों की लूट के विरुद्ध जनता का प्रतीकात्मक अभियान क्यों न माना जाए...?
इंडिया (आई) में पूंजीवाद (पी) के खिलाफ लड़ाई (एल) है - पनामा लीक्स के बाद 'टाइम' मैगज़ीन ने कहा है कि यह विकृत पूंजीवाद के लिए संकट का समय है और आईपीएल का विरोध कहीं उसी की शुरूआत तो नहीं है...? आईपीएल के खेल में अनियमितताओं के लिए फिल्मजगत से शाहरुख खान (कोलकाता नाइटराइडर्स), प्रीति जिंटा (किंग्स इलेवन पंजाब) एवं शिल्पा शेट्टी (राजस्थान रॉयल्स); उद्योग जगत से ललित मोदी, सुब्रत रॉय (पुणे वॉरियर्स), डेक्कन क्रॉनिकल (डेक्कन चार्जर्स) एवं जीएमआर ग्रुप (दिल्ली डेयरडेविल्स); राजनीति से शशि थरूर (कोच्चि टस्कर्स), मारन ब्रदर्स (सनराइज़र्स हैदराबाद), विजय माल्या (रॉयल चैलेंजर्स बैंगलौर) द्वारा नियमों के गंभीर उल्लंघन के बावजूद सरकार उन लोगों के विरुद्ध प्रतीकात्मक कार्रवाई ही कर पाई...! कहीं इसीलिए पानी के प्रतीक से आईपीएल का विरोध तो नहीं हो रहा है...?
इंडिया (आई) में पनामा (पी) के खिलाफ लड़ाई (एल) है - आईपीएल के भ्रष्ट आपराधिक तंत्र की जड़ें पनामा लीक्स में हैं, जिसके खिलाफ जांच की सिर्फ लीपापोती हो रही है। पनामा लीक्स में भारत के 500 बड़े लोगों के नाम हैं, जो आईपीएल की नीलामी के खेल में भी शामिल हो सकते हैं। आईपीएल में फेमा कानून के उल्लंघन के अलावा सट्टेबाजी, एवं नशीली-रंगीली पार्टियों के आरोप लगते रहे हैं, जिनके खिलाफ प्रभावी कार्रवाई कभी हुई ही नहीं...!
इंडिया (आई) में पॉलिटिकल सिस्टम (पी) के खिलाफ लड़ाई (एल) है - राजनीतिक विरोध के बावजूद खेल संघों के संचालन में नेताओं का समन्वय अचरज भरा है। भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद सुधार नहीं हो रहे, क्योंकि भ्रष्टतंत्र के लाभार्थी लोगों में सभी दलों के नेताओं की भागीदारी है। डीडीसीए के भ्रष्टाचार के लिए केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली पर आरोप लग रहे हैं, जिनके अंतर्गत इनकम टैक्स और ईडी को आईपीएल की अनियमितताओं की जांच करनी है। महाराष्ट्र में जल सकट के लिए प्रकृति के साथ सरकारों का भ्रष्टाचार भी जिम्मेदार है और छगन भुजबल उसकी एक छोटी मिसाल हैं, जिनकी पार्टी एनसीपी के नेता शरद पवार क्रिकेट के मसीहा कहे जाते हैं।
इंडिया (आई) में पानी (पी) के खिलाफ लड़ाई (एल) भी है - यह कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र में आईपीएल के तीन मैचों में 60 लाख लिटर पानी अगर बच भी जाए, तो उससे सिर्फ 175 लोगों की सालाना आवश्यकता पूरी हो सकती है। यदि यह तर्क मान लिया जाए तो फिर सरकार द्वारा पानी की ट्रेन चलाने का ढिंढोरा क्यों पीटा जा रहा है, जिससे सिर्फ 100 लोगों के पानी की आवश्यकता ही पूरी हो पाएगी...?
पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में कानून की समझ में कमी से माफिया की लूट और सरकार की विफलता से नक्सलवाद उपजता है। शहरी जनता को संविधानप्रदत्त अधिकारों की समझ है, जिसके अंतर्गत संसाधनों में अधिकार की समानता तथा जीवन का अधिकार शामिल है। आईपीएल भारत में संगठित लूट का सबसे बड़ा प्रतीक है, जिसने इंडिया को पीकर सुखा दिया है। फिर आईपीएल के भ्रष्ट खेल पर महाराष्ट्र की बजाए पूरे राष्ट्र में क्यों न बैन लगना चाहिए...?
विराग गुप्ता सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता और संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञ हैं...
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This Article is From Apr 11, 2016
आईपीएल - महाराष्ट्र नहीं, पूरे राष्ट्र में ही लग जाए बैन...?
Virag Gupta
- ब्लॉग,
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Updated:अप्रैल 11, 2016 17:58 pm IST
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Published On अप्रैल 11, 2016 17:54 pm IST
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Last Updated On अप्रैल 11, 2016 17:58 pm IST
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