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This Article is From May 18, 2015

प्रियदर्शन की बात पते की : उसकी ज़िंदगी का भी एक मतलब था

Priyadarshan
  • Blogs,
  • Updated:
    मई 18, 2015 23:00 pm IST
    • Published On मई 18, 2015 22:57 pm IST
    • Last Updated On मई 18, 2015 23:00 pm IST
वह 42 साल तक एक बिस्तर पर रही- बिना यह जाने कि वह ज़िंदा है या मर चुकी है, बिना यह महसूस किए कि सोना क्या होता है, जागना क्या होता है, खाना-पीना और जीना क्या होता है, हंसना और रोना, फ़िक्र करना और बेफ़िक्र हो जाना क्या होता है।

इन 42 सालों में वह न रोई, न गाई, न ख़ुश हुई, न दुखी हुई, बस एकटक देखती रही- बिना यह जाने कि वह कुछ देख रही है। यह कैसी ज़िंदगी है जो यौन हमले के एक हादसे से गुज़रने के बाद अरुणा शानबाग जी रही थी? ऐसी ज़िंदगी का क्या कोई मतलब था?

लेकिन उन ज़िंदगियों का भी क्या मतलब होता है जो हंसते हुए, रोते हुए, गाते हुए, इतराते हुए जी जाती हैं? आख़िर सारा हंसना-रोना, गाना-इतराना एक दिन छूट जाना है। वह अरुणा शानबाग के लिए जीते-जी छूट गया था, बस इतना ही न? लेकिन यह जीवन दरअसल एक जटिल चीज़ है- वह दूसरों के बिना पूरा नहीं होता। उसके लिए अपने से बाहर जाना और जीना होता है। आंखें दूसरों को देखती हैं, कान दूसरों को सुनते हैं, ज़ुबान दूसरों से बात करती है- यह दूसरे न हों तो हमारे होने का अर्थ नहीं है। हम में से बहुत सारे लोग हैं जिनके जीवन में ऐसे दूसरे लोग कम होते जा रहे हैं- ऐसे लोग जो उनके कुछ न लगते हों और फिर भी उनके जीने की परवाह करें।

अरुणा शानबाग जो आंख, नाक, कान, मुंह होने के बावजूद न कुछ देख रही थी, न सुन रही थी, न महसूस कर रही थी और न बोल रही थी, वह इस मामले में हममें से बहुत सारे लोगों से ज़्यादा समृद्ध थी। उसके आसपास कुछ ऐसे लोग थे, कुछ ऐसी दीवानी सखियां, उनके साथ काम करने वाली कुछ ऐसी जुनूनी नर्सें, जिन्हें अरुणा शानबाग का मरना मंज़ूर नहीं था। यह इन दोस्तों की करुणा थी, यह उनका सरोकार था, यह उनकी ज़िद थी जिसने अरुणा शानबाग को जिलाए रखा।

वे जैसे अरुणा शानबाग की हर लड़ाई लड़ने को तैयार थीं। उन्होंने 42 साल तक मौत से लोहा लिया, हिंदुस्तान की सबसे बड़ी कचहरी में उसके लिए इच्छा मृत्यु की मांग से लोहा लिया। उन्होंने अरुणा शानबाग के जीवन को वह गरिमा दी जो हर ऐंद्रिक अनुभव से बड़ी होती है- अरुणा शानबाग भले चली गई, लेकिन वे इस गरिमा की याद की तरह बची रहेंगी- ज़िंदगी के मायने समझने में हमारी मदद करती रहेंगी।

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