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This Article is From Apr 24, 2019

फिरोजाबाद में चाचा शिवपाल यादव और भतीजे अक्षय यादव के सियासी मैदान का हाल

Ravish Ranjan Shukla
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अप्रैल 24, 2019 21:33 pm IST
    • Published On अप्रैल 24, 2019 21:33 pm IST
    • Last Updated On अप्रैल 24, 2019 21:33 pm IST

चूड़ियों की नगरी फिरोजाबाद में सबसे बड़े राजनीतिक परिवार का मनमुटाव यहां सियासी जंग में तब्दील हो चुका है. हर गली हर नुक्कड़ पर चाचा शिवपाल यादव और भतीजे अक्षय यादव की ही चर्चा चल रही है.

रामगोपाल यादव की अक्खड़ छवि के चलते सपा के सिरसागंज विधायक हरिओम यादव खुलेआम शिवपाल यादव के खेमे में हैं इसीलिए दैनिक जागरण के ब्यूरो चीफ राहुल सिंघई कहते हैं कि शिवपाल यादव की स्थिति सिरसागंज, जसराना और शिकोहाबाद में मजबूत है लेकिन टुंडला और फिरोजाबाद में उनका प्रभाव ज्यादा नहीं दिखता है जबकि फिरोजाबाद के एक मजबूत नेता और रामगोपाल यादव से नाराज अजीम इस वक्त शिवपाल यादव के साथ हैं. हालांकि एमजी कालेज में वोटिंग करने आए शादाब ने बताया कि मुसलमानों का एक मुश्त वोट साइकिल पर जाएगा. अजीम हमारे वोटों के ठेकेदार बनने की कोशिश करते हैं लेकिन मुसलमानों को पता है कि साइकिल ही बीजेपी को दौड़ा सकती है. फिरोजाबाद में वोटिंग का परसेंटेज पिछली बार के मुकाबले चार फीसदी घटा है. मुझे लग रहा है इसका नुकसान बीजेपी को उठाना पड़ सकता है क्योंकि यहां बीजेपी के कार्यकर्ताओं में वो उत्साह नहीं दिख रहा है जो दूसरी जगह पर देखने को मिलता है.

लेकिन अगर शिवपाल यादव फिरोजाबाद के साढ़े चार लाख यादव वोटरों में सेंध लगाने में कामयाब होते हैं तो इसका सीधा फायदा बीजेपी के प्रत्याशी चंद्रसेन जादौन को जाएगा जो फिलहाल बहुत कमजोर प्रत्याशी माने जा रहे हैं. हम फिरोजाबाद से आगे बढ़े तो हमारी मुलाकात अक्षय यादव से हुई. स्थानीय लोगों में अक्षय यादव के खिलाफ इस बात को लेकर नाराजगी है कि वो मिलनसार नहीं है. अक्षय यादव से जब पूछ कि बीएसपी से आपने गठबंधन कर लिया लेकिन चाचा शिवपाल को आप नहीं मना पाए तो उनका जवाब था कि छोटा भतीजा गया मनाने फिर मैंने खुद मनाने की कोशिश की लेकिन उन्होंने कहा कि 23 तारीख तक न तो तुम मेरे भतीजे हो न मैं तुम्हारा चाचा हूं. चाचा ने सपा को खत्म करने में कोई कसर नहीं छोड़ी पहले मेरे पिता रामगोपाल फिर खुद अखिलेश भैया को ही पार्टी से बाहर करने की कोशिश की. अब इससे ज्यादा नुकसान क्या कर सकते हैं. इसी बात को लेकर यादव मतदाता असमंजस में नजर आ रहा है. एक तरफ शिवपाल यादव की व्यवहारिकता है वो हर आदमी से मिलते हैं उसका काम करवाते हैं दूसरी तरफ सपा के असली वारिस अखिलेश यादव है.

हम यहां से टुंडला विधानसभा के गढ़ श्री राम गांव पहुंचे. यहां के प्रधान ने बताया कि सारा वोट बीजेपी को जा रहा है. प्रधान ने बताया कि दो बीजेपी का वोटर है वो उसे ही वोट करेगा चाहे वो जीते या हारे... यहीं पर हमें एक गाड़ी मेॉ चार लोग बलिया और लखनऊ के दिखे जो शिवपाल यादव के लिए प्रचार करने आए थे और करीब पंद्रह दिन से टुंडला विधानसभा देख रहे थे. अतुल सिंह नाम के एक शख्श ने कहा कि ताला चाभी जीत रही है सर. शिवपाल यादव बीस से तीस हजार वोटों से जीतेंगे. हालांकि वो ये मान रहे थे कि टुंडला में स्थिति कमजोर है. पूरे प्रदेश से इस तरह के सैकड़ों लोग शिवपाल यादव के लिए आपको फिरोजाबाद के सड़कों पर घूमते मिलेंगे और होटलों में डेरा जमाए हैं.

फिरोजाबाद साढ़े चार लाख यादव मतदाता और डेढ़ लाख मुसलमान मतदाताओं से सहारे सपा का गढ़ बना था. लेकिन यहां लड़ाई अक्षय यादव और बीजेपी के बीच ही मुझे दिख रही है मैं व्यक्तिगत तौर पर शिवपाल यादव की स्थिति कमजोर आंकता हूं. मुझे ये भी लगता है कि शिवपाल का मकसद अक्षय यादव को किसी न किसी तरह हराना है. लेकिन अक्षय यादव जिस साइकिल पर सवार हैं उसके पीछे बसपा का वोटर भी है इसीलिए मुझे लगता है कि शिवपाल जितना सेंघ लगाएंगे उसकी भरपाई बसपा के वोटर कर देंगे और सपा के इस गढ़ में शिवपाल यादव के सियासत के बंद हो रहे दरवाजे के ताले फिरोजाबाद में मुश्किल से ही खुलने की उम्मीद नजर आ रही है.

(रवीश रंजन शुक्ला एनडटीवी इंडिया में रिपोर्टर हैं.)

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