ब्रिटिश राज के दौरान लगी पाबंदी को मिलाकर तीन बार प्रतिबंधित किया जा चुका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ही अब सरकार है, और इसका श्रेय जाता है उसके 'कार्यकर्ता' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को. कल, 15 अगस्त को RSS प्रमुख मोहन भागवत ने दुर्लभ तरीके से बेहद उदार शब्दों में अनुच्छेद 370 को हटाकर कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के लिए प्रधानमंत्री की सार्वजनिक रूप से सराहना की. भारतीय जनता पार्टी (BJP) के चुनावी नारे का इस्तेमाल करते हुए RSS के सरसंघचालक ने कहा, "अनुच्छेद 370 इसलिए गया, क्योंकि मोदी है, तो मुमकिन है..."
RSS और उससे जुड़े संगठनों के संघ परिवार की तीन बुनियादी इच्छाओं में से एक था कश्मीर को अनुच्छेद 370 के अंतर्गत दिए जा रहे विशेषाधिकारों का खात्मा. इसके अलावा, संघ परिवार की शेष दो इच्छाएं हैं - विभिन्न धर्मों के लोगों को शादी-ब्याह तथा ज़मीन के मालिकाना हक जैसे मुद्दों पर अपने-अपने कानूनों का पालन करने से रोकने के लिए कॉमन सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) को लागू करना तथा अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करना.
मैंने इस आलेख के लिए BJP तथा संघ के कई नेताओं से बात की. उन्होंने दो अहम बातें कहीं. (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी और उनके शीर्ष सहयोगी व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने (RSS प्रमुख मोहन) भागवत तथा उनके नायब भैयाजी जोशी को आश्वासन दिया है कि अनुच्छेद 370 के बाद एजेंडा पर मौजूद अन्य दो इच्छाएं भी मोदी के प्रधानमंत्री के रूप में मौजूदा कार्यकाल में ही पूरी कर दी जाएंगी. इस वक्त पूरी तरह मोदी के साथ मिलकर काम कर रही RSS ने भी अपने स्वयंसेवकों के व्यापक नेटवर्क के ज़रिये भरपूर चुनावी समर्थन देने और संघ के महान नेताओं में मोदी को स्थान दिए जाने की पेशकश की है (स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने भाषण में मोदी द्वारा संघ के प्रमुख विचारक श्यामा प्रसाद मुखर्जी, जिनका देहांत 1953 में कश्मीर में हुआ था, का ज़िक्र किया जाना मात्र संयोग नहीं था...)
RSS और मोदी के बीच रिश्ते हमेशा से इतने अच्छे नहीं रहे हैं, क्योंकि मोदी के पहले कार्यकाल के दौरान मोदी से जुड़े अधिकतर मामलों को पार्टी अध्यक्ष की हैसियत से अमित शाह ही संभालते रहे थे. उन्होंने हर सप्ताह में दो बार भागवत को कॉल करने की आदत डाल ली थी, और संघ के शीर्ष नेताओं से मुलाकात के लिए वह हमेशा उपलब्ध होते थे. अमित शाह हर महीने नागपुर जाया करते थे, ताकि सुनिश्चित हो सके कि वह और भागवत हर कदम के बारे में जानकारी रखते हों, और सरकार का कोई भी कदम संघ के लिए हैरान करने वाला साबित नहीं हो.
अर्थव्यवस्था अब गहरे संकट की ओर बढ़ती नज़र आ रही है, सो, BJP की सोच यह है कि सांस्कृतिक और वैचारिक एजेंडा पर काम करते रहने से उसका बुनियादी मतदाता संतुष्ट रहेगा, और यह भी सुनिश्चित हो सकेगा कि अख़बारों की सुर्खियां सिर्फ बेरोज़गारी और मंदी के बारे में नहीं रहें.
बेहद शक्तिशाली लोगों का एक छोटा-सा समूह आने वाले कदमों को लेकर सावधानी से काम कर रहा है. BJP के एक वरिष्ठ नेता, जो आने वाली योजनाओं से परिचित हैं, का कहना है, "अनुच्छेद 370 हमारे घोषणापत्र का हिस्सा था, लेकिन किसी को यकीन नहीं था कि हम वादा पूरा करेंगे, लेकिन हमने कर दिया... मोदी और शाह संघ का हिस्सा नहीं हैं, वे ही संघ हैं, और मन की आवाज़ पर काम करने वाले नेता हैं... वे जानते हैं कि अनुच्छेद 370 को हटाया जाना हमें राजनैतिक रूप से लाभ देगा... भारत अब इस सच्चाई को स्वीकार करने से सकुचाता नहीं है कि हम 'हिन्दू प्रधान देश' हैं... मूड बदल चुका है... मोदी विचारधारा के अंतर्गत सरकार चला रहे हैं और वक्त आ गया है कि RSS देशभर के सामने आए और सुनिश्चित करे कि हमारे ही मूल्य देशभर में परिलक्षित हों..."
इस वक्त RSS ही देश को चला रहा है, सो, सामने आने की बात पर बहस की जा सकती है. रायसीना हिल के शीर्ष पर स्थित घर (राष्ट्रपति भवन) से लेकर शीर्ष सरकार कार्यालयों और नॉर्थ व साउथ ब्लॉक में स्थित मंत्रालयों तक सब कुछ पूर्व संघ प्रचारकों द्वारा ही चलाया जा रहा है. RSS को समूचे देश में अपनी विचारधारा को फैलाने के लिए अभूतपूर्व फंडिंग हासिल हो रही है. इसके अलावा, पूर्व राष्ट्रपति डॉ प्रणब मुखर्जी जैसे दिग्गज नागपुर स्थित उसके मुख्यालय में आने लगे हैं.
यहां तक कि मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर दिए गए भाषण में जनसंख्या नियंत्रण का ज़िक्र भी सोच-समझकर लिखी गई स्क्रिप्ट का हिस्सा है. मोदी सरकार ऐसी योजना पर पहले से काम कर रही है, जिसके तहत छोटे परिवारों को लाभ पहुंचाया जाए. तो अब क्या उम्मीद करनी चाहिए...? अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने वाले कदम उठाए जाएंगे, जिन कदमों को 'टैक्स टेररिज़्म' की संज्ञा दी गई, उन पर कदम पीछे नहीं हटाया जाएगा, उद्योगपतियों को समझाया जाएगा कि टैक्स देकर आप अर्थव्यवस्था में योगदान दें. और कॉमन सिविल कोड और राम मंदिर पर बड़े कदम उठाए जाएंगे.
अब राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट रोज़ाना सुनवाई कर रहा है, सो, सरकार को उम्मीद है कि उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले अहम चुनाव से पहले सकारात्मक फैसला आ जाएगा. संसद के दोनों सदनों में यूनिफॉर्म सिविल कोड को पारित कराना सरल है, संभवतः उसी तरीके से, जैसे अनुच्छेद 370 पर किया गया.
संघ के एक वरिष्ठ विचारक का कहना है कि कश्मीर (पर फैसले) के साथ मोदी ने अपना नाम हमेशा के लिए इतिहास में दर्ज कर लिया है. उन्होंने कहा, "अच्छा या बुरा, इतिहास फैसला करेगा, लेकिन संघ के लिए वह अटल और आडवाणी सहित किसी भी अन्य BJP नेता से कहीं आगे निकल गए हैं..." सो, इस वक्त, जो वह कर रहे हैं, वही करने दो...
स्वाति चतुर्वेदी लेखिका तथा पत्रकार हैं, जो 'इंडियन एक्सप्रेस', 'द स्टेट्समैन' तथा 'द हिन्दुस्तान टाइम्स' के साथ काम कर चुकी हैं...
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