फ़्रांस में मानवाधिकारों पर कट्टरपंथियों के हमले से आजादी को 14 जुलाई को इस देश के बस्तिल्ले दिवस या नेशनल डे के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन फ़्रेंच रिवोल्यूशन (फ़्रांस की क्रांति) संपन्न हुई। इस साल जब फ़्रांसीसी बस्तिल्ले डे की खुशियां मना रहे थे और आतिशबाज़ी देखने के लिए नीस शहर में समुद्र के किनारे एकत्र हुए थे, एक आतंकी ने लगभग भीड़ पर ट्रक चढ़ा दिया। घटना में 80 से अधिक लोग मारे गए। पिछले दो साल में यह फ्रांस में यह तीसरा आतंकी हमला है।
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पढ़ें, आतंक से लड़ाई के नजरिये में बदलाव की मांग कर रहा यह हमला
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हाल के दिनों में पूरे यूरोप में खासतौर पर नीदरलैंड और फ्रांस में ध्रुवीकरण बढ़ा है। वहां के कई युवा इराक़, सीरिया और अफ़ग़ानिस्तान जाकर लड़ रहे हैं। इन युवाओं की धार्मिक भावनाओं को भड़काकर उन्हें आतंकी बनाने की साज़िश रची जा रही है। साथ ही पूरे यूरोप के एक सीमारहित महाद्वीप बनने से आतंकियों के एक देश से भागकर दूसरे में चले जाने की घटनाएं बढ़ रही हैं।
आजादी के पहरुआ के रूप में प्रसिद्ध है फ्रांस
आतंकियों के निशाने पर फ्रांस इसलिए आ रहा है क्योकि यह दुनिया भर में आजादी के पहरुआ के रूप में प्रसिद्ध है। हर तरह की आजादी। पहनने की। खाने की। बोलने की। लिखने की। आलोचना की और कार्टून बनाने की...। यही वजह है कि पिछले साल आतंकियों का पहला निशाना चार्ली हेब्दो थी। एक ऐसी पत्रिका जो कार्टून के जरिए अभिव्यक्ति की आजादी जगाये रखती है। लेकिन धन्य है फ्रांस की किसी भी क़ीमत पर आजादी का जीवित रखने की भावना। मुख्य कार्टूनिस्टों के मारे जाने के बावजूद और कार्यालय ख़ून से लाल होने के बाद भी, पत्रिका का अगला अंक समय पर निकला।
इसी उन्मुक्त भावना को खत्म करना चाहता है ISIS
फ़्रांसीसी लोगों की यही भावना आतंकियों के निशाने पर है। किसी भी तरह से लोगों को डरा कर उनकी उन्मुक्त भावना के खत्म कर देना। अगर खत्म न भी हो तो सहम तो जाए। इसीलिए लगातार वे फ्रांस को निशाना बना रहे हैं। आज की तारीख़ में फ्रांस की पुलिस कम से कम 150 ऐसे मामलों की पड़ताल कर रही है जिनमें आतंकियों के शामिल होने का संदेह है। सितंबर 2014 में आईएसआईएस ने एक बयान देकर फ्रांस को निशाना बनाने की बात कही भी थी। इसके बाद नवंबर में उसने फ़्रांसीसी युवाओं को अपने काडर में शामिल करने का एक वीडियो भी जारी किया। इसी के तुरंत बाद स्टेडियम और उसके आसपास किए हमले में 130 लोग मार दिए।
सुरक्षा बलों के सामने बड़ी चुनौती
इस तरह के हमलों के चलते इस साल मार्च में फ्रांस की सरकार ने तीन महीने के लिए इमरजेंसी लगा दी थी, जिसे बाद में तीन और महीनों के लिए बढ़ा दिया गया। आतंकियों ने इतनी कड़ी सुरक्षा के बावजूद जबरदस्त हमला कर फ़्रांसीसियों का मनोबल तोड़ने की कोशिश की है। उनका सबसे बड़ा हथियार है - सरप्राइज़ अटैक करना। इसीलिए हर बार वे हमले का नया तरीक़ा निकालते हैं क्योंकि पहले वाले तरीके की काट तो सरक्षा बल निकाल ही लेते हैं। सुरक्षा बलों के सामने यही चुनौती है। आतंकियों को सरप्राइज़ करना, इससे पहले कि वे हमें सरप्राइज़ करें...।
शरद गुप्ता वरिष्ठ पत्रकार और समीक्षक हैं।
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This Article is From Jul 15, 2016
आतंकवादियों के निशाने पर इसलिए आ रहा फ्रांस...
Sharad Gupta
- ब्लॉग,
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Updated:जुलाई 15, 2016 17:41 pm IST
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Published On जुलाई 15, 2016 16:21 pm IST
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Last Updated On जुलाई 15, 2016 17:41 pm IST
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