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This Article is From Nov 13, 2016

INDvsENG : क्या यह ड्रॉ इंग्लैंड के लिए जीत जैसा है?

Shailesh Chaturvedi
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    नवंबर 13, 2016 17:40 pm IST
    • Published On नवंबर 13, 2016 17:40 pm IST
    • Last Updated On नवंबर 13, 2016 17:40 pm IST
उस वक्त एडिलेड की याद आ गई, जब इंग्लैंड ने भारत के सामने 49 ओवर्स में जीत के लिए 310 रन का लक्ष्य रखा. दिसंबर 2014 में ऑस्ट्रेलिया ने भारत के सामने 364 का लक्ष्य रखा था. विराट कोहली तब पहली बार टेस्ट में कप्तानी कर रहे थे. टीम इंडिया ने तय किया कि वे लक्ष्य पाने की कोशिश करेंगे. 48 रन दूर रह गए. हालांकि तब लक्ष्य तक पहुंचने के लिए समय ज्यादा था. फिर भी, जब राजकोट में पांचवें दिन लक्ष्य सामने आया, तो दो साल पहले की याद आई. आक्रामक विराट क्या फिर इस लक्ष्य के लिए जाएंगे? शायद उन्होंने सोचा होगा कि पहले 20-25 ओवर्स देखते हैं. फिर टी 20 स्टाइल में खेलकर जीतने की कोशिश करेंगे. टी 20 या 50-50 क्रिकेट के मुकाबले टेस्ट मैच में रन बनाना बहुत अलग है. टेस्ट में गेंदबाजों और फील्डर्स के लिए कोई बंधन नहीं होता और मैच के पांचवें दिन की पिच बहुत अलग होती है. हालांकि मैच वहां तक पहुंचा ही नहीं.

पहले गंभीर और उसके बाद तीन और विकेट गिरने के बाद तय हो गया कि मैच हारा ही जा सकता है, जीता नहीं. स्कोर 71 पर चार हो गया था. छठा विकेट गिरा, तब भी सात ओवर बाकी थे. आखिर में भारत ने छह विकेट पर 172 रन बनाए और मुकाबला ड्रॉ हो गया. वैसे राजकोट का नाम सुनकर सबसे पहले ज़हन में यही नतीजा आता है. अगर इंग्लैंड ने पारी घोषित न की होती, तो नीरस ड्रॉ होता. इस मैच के साथ कुछ सवाल सामने आए.

पहला सवाल, पिच ऐसी क्यों थी?
रसिक मकवाना को देखते ही निर्जीव पिच याद आती है. वही राजकोट में क्यूरेटर है. हालांकि एक अखबार के मुताबिक उन्होंने कहा कि पिच कमेटी ने उनसे टर्नर न बनाने के लिए कहा था. इस कमेटी में धीरज परसाना हैं, जिनके बारे में मजाक किया जाता रहा है कि भारत की सड़क बनाने का कॉन्ट्रैक्ट उन्हीं को देना चाहिए. अगर दे दिया, तो सड़क पर एक भी गड्ढा नहीं मिलेगा. निर्जीव पिच बनाने की यह ख्याति उनके साथ है. न्यूजीलैंड के खिलाफ पिछली सीरीज में कोलकाता की पिच टेस्ट क्रिकेट के लिए बहुत अच्छी थी, जहां तेज गेंदबाज और स्पिनर दोनों के लिए मदद थी. वैसे भी टेस्ट क्रिकेट अपना रोमांच खो रहा है. इस तरह की पिच टेस्ट खत्म करने की कोशिश में एक कदम जैसी है. मैच आखिरी दिन जरूर रोमांचक बना. लेकिन उसके पीछे इंग्लैंड के कप्तान का पारी घोषित करना और कुछ भारतीय बल्लेबाजों का विकेट गंवा देना कारण था.

दूसरा सवाल, क्या पिच ने करा दी इंग्लैंड की वापसी
इंग्लैंड टीम बांग्लादेश से आई थी. वहां अखाड़ा पिच पर उनका हाल खराब हुआ था. दो टेस्ट की सीरीज का दूसरा मैच हारकर वे भारत आए थे. यहां मिली हार पूरी सीरीज का रुख तय कर सकती थी. लेकिन उन्हें ऐसी पिच मिली, जो भरोसा बढ़ाने का काम कर सकती है. बची-खुची कसर टॉस ने पूरी कर दी, जो मेहमानों ने जीता. पहले दो दिन बल्लेबाजी सबसे आसान थी, जब इंग्लैंड ने पूरा फायदा उठाया. मैच में उनकी तरफ से चार शतक जमाए गए.

तीसरा सवाल, कैचिंग का स्तर
लगातार बात होती है कि क्रिकेट में छोटे फॉरमेट आने के बाद फील्डिंग बेहतर हुई है. आउटफील्ड में भले ही फील्डिंग बेहतर हुई हो, स्लिप में हालत खराब हुई है. अगर इंग्लैंड की टीम पहली पारी में 537 रन बना पाई, तो भारत की कमजोर कैचिंग का उसमें बड़ा योगदान था. करीब आधा दर्जन कैच छोड़े गए. इनमें दो के लिए विकेट कीपर ऋद्धिमान साहा जिम्मेदार थे. पिछली सीरीज में हम साहा की बेहतर होती बल्लेबाजी के बारे में बात कर रहे थे. लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि कीपिंग का स्तर गिरे. धोनी को टेस्ट का बहुत बड़ा कीपर नहीं माना जाता था. लेकिन कैच छोड़ते उन्हें कम ही देखा गया. साहा को सुधार करना ही होगा. उसके बाद स्लिप की फील्डिंग, जो सहवाग, तेंदुलकर, लक्ष्मण, द्रविड़ के बाद हमेशा से कमजोर नजर आई है. बड़ी टीम से मुकाबला होगा, तो एक-दो कैच छोड़ना भी बहुत भारी पड़ेगा. वो तो इंग्लैंड ने भी भारत के कुछ कैच छोड़े, वरना भारी पड़ सकते थे.

चौथा सवाल- किसे हुआ मनोवैज्ञानिक फायदा
पहली पारी में इंग्लैंड को बढ़त मिली, जब 537 के जवाब में भारतीय टीम 488 पर आउट हुई. करीब चार साल में पहली बार विपक्षी टीम को भारत में भारत पर पहली पारी में बढ़त मिली. करीब तीन साल बाद किसी विपक्षी बल्लेबाज ने भारतीय सरजमीं पर शतक जमाया. पहली पारी में तीन अंग्रेज बल्लेबाजों ने शतक जमाए. दूसरी पारी में भी इंग्लैंड ने ही मैच का रुख तय किया. तीन विकेट पर 260 रन बनाते हुए पारी घोषित की. पहली पारी की बढ़त मिलाकर भारत को जीत के लिए 310 रन का लक्ष्य मिला. शुरुआती विकेट गिरने के बाद भारतीय टीम मैच बचाने के लिए खेली. अगर उस दौरान विराट आउट हो जाते, तो मैच हारा जा सकता था. ऐसे में सीरीज की शुरुआत इंग्लैंड ने हावी होकर की है. उनके लिए यह ड्रॉ कामयाबी जैसा ही है. बशर्ते वे इस कामयाबी को सीरीज में आगे भुना सकें.

शैलेश चतुर्वेदी वरिष्‍ठ खेल पत्रकार और स्तंभकार हैं...

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