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This Article is From Feb 26, 2015

रवीश कुमार : रबड़ी से लेकर कचौरी से बनती एक रेल

Ravish Kumar
  • Blogs,
  • Updated:
    फ़रवरी 26, 2015 15:12 pm IST
    • Published On फ़रवरी 26, 2015 13:51 pm IST
    • Last Updated On फ़रवरी 26, 2015 15:12 pm IST

नई दिल्ली : रेल बजट का दिन आमतौर पर रोने-धोने में ही गुज़र जाता है। रेल अपने आप में किसी कथाकार से कम नहीं है। रोज़ अनगिनत कहानियां रचती चली जाती है। लेट होने से लेकर टिकट न मिलने के बीच कुछ अच्छी यादें भी हैं, जिन्हें यात्री अपने साथ किसी धरोहर की तरह संभालकर रखते हैं। इसी खयाल से आज मैंने अपने ट्विटर खाते पर पूछ लिया कि बताइए, किस स्टेशन का खाना आपको पसंद आता है और आप सफर के दौरान उस स्टेशन के आने का इंतज़ार करते हैं। इन व्यंजनों और स्टेशनों के नाम पढ़ते-पढ़ते मिनट भर में टाइमलाइन पर रेल का एक ऐसा नक्शा बना, जिससे पढ़ने वालों के मुंह में पानी भर आय़ा। मैं भी उनके जवाब को री-ट्वीट करने लगा।

देखते-देखते मेरी टाइमलाइन पर सुरेश प्रभु से अलग ही रेल दौड़ने लगी। मैंने सोचा कि क्यों न व्यंजनों के हिसाब से इन्हें सजाकर देखा जाए, ताकि एक लिस्ट हम सबके पास हो कि क्या खाने के लिए कहां जाना चाहिए। यह लेख ट्विटर के हमारे मित्रों के सहयोग से तैयार हुआ है। इसके रेलमंत्री वही हैं। मैं तो बस सेवक हूं जी। लेख लंबा हो गया है, लेकिन क्या करें।

सबसे पहले वड़ा-पाव। नमिता ने ट्वीट किया है कि ठाणे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर तीन पर वड़ा-पाव बढ़िया है। रत्नागिरी का वड़ा-पाव खाकर देखें। चालीसगांव, भुसावल, करजत स्टेशनों के वड़ा-पाव का भी सुझाव आया है। उबैदुल्ला ने ट्वीट किया है कि कोंकण रेलवे स्टेशन पर चिपलुन का वड़ा-पाव खाना चाहिए। एलिफिस्टन रोड स्टेशन मुंबई का वड़ा-पाव भी खाने के लिए कहा गया है। बेलगाम ज़िले के घटाप्रभा स्टेशन के मेदूवड़े खाने के लिए सुझाए गए हैं।

मार्टिन ने बताया कि महाराष्ट्र के नंदुरबार स्टेशन पर मिलने वाला दही-चावल शानदार है। संग्राम गावडे ने लिखा कि सतारा का कंदी-पेढ़ा खाइये। कंदी-पेढ़ा मुझे नहीं मालूम, क्या है। मधु का सुझाव है कि राजकोट स्टेशन का डोसा टेस्ट करना कभी, बहुत टेस्टी है। हितेश पटेल का दावा है कि सूरत का लोचा सूरती की शान है।

समोसे कहां अच्छे मिलते हैं, इसकी भी एक जानकारी मिली। अंकिता मौर्या के अनुसार लखनऊ से जौनपुर के बीच निहालगढ़ के समोसे इतने अच्छे हैं कि ट्रेन रुकने से पहले ही सारे खत्म हो जाते हैं। माही का दावा है कि राजस्थान के सूरतगढ़ के समोसे बेहतरीन हैं। उन्नाव स्टेशन के समोसे की भी तारीफ हुई है। बाराबंकी स्टेशन के बाहर विश्वनाथ के समोसे खाकर देखिए। नदीम सिद्दीकी का दावा है। समोसे के मामले में दिल्ली के शकूरबस्ती स्टेशन का भी नाम आ गया। रेवाड़ी स्टेशन के समोसे की भी तारीफ हुई है। गौरव का कहना है कि हापुड़ स्टेशन के समोसे और कॉफी दिलचस्प हैं। हापुड़ की कॉफी के बारे में कई लोगों ने लिखा है।

मुरादाबाद के संदीप चौधरी ने ट्वीट किया है कि फुलेरा स्टेशन पर आमलेट कमाल का बनता है। मुरादाबाद के अन्य व्यंजनों की भी तारीफ हुई है। पल्लव अग्रवाल ने ट्वीट किया है कि मुरादाबाद में सब बकवास ही मिलता है। बाड़मेर के पास समदरी की पूड़ी-सब्ज़ी का 50 बरस से वही टेस्ट है। यहां से पाकिस्तान जाने वाली ट्रेन भी गुज़रती है। विकास जैन का ट्वीट है यह। मलम रानावत ने ट्वीट किया है कि जोधपुर का मिर्ची-बड़ा तो राज्य का व्यंजन बन गया है।

दीप ने बताया कि झांसी कानपुर के बीच एक स्टेशन है ओरई। ओरई के रसगुल्ले बेहद इतने मज़ेदार कि खाते ही आप सारे व्यंजन भूल जाएंगे। ओरई के रसगुल्ले की तारीफ़ में कई ट्विटर मिले। लोकेश दवे ने ट्वीट किया कि इंदौर के रूट पर मीटर गेज लाइन में फतेहाबाद स्टेशन आता है। वहां का गुलाब जामुन। कोई मुकाबला नहीं है उनका। कौशल ने ट्वीट किया है कि महाराष्ट्र के अकोला के नज़दीक शेगाव रेलवे स्टेशन कैंटीन की कचौरी बहुत अच्छी है। राहुल ने लिखा है कि बरौनी के ब्रेड-पकौड़े के सब दीवाने हैं।

सचिन तो विशाखापत्तनम के प्लेटफार्म नंबर एक पर ही ले गए और कहा कि यहां जो फलों का जूस मिलता है, उसे कौन भूल सकता है। भुसावल का केला तो जगतप्रसिद्ध है ही। सिद्धार्थ ने लिखा कि झारखंड के चक्रधरपुर स्टेशन का स्वीट पुलाव खाकर देखिए तो शाहिद ने बताया कि बलिया स्टेशन पर लिट्टी-चोखा बहुत फेमस है। बलिया स्टेशन का लिट्टी-चोखा हमने भी खाए हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान स्टेशन के बाहर लिट्टी-चोखा नाश्ते ने तबीयत हरी कर दी थी। आज़मगढ़ की चोटिया जलेबी क्या है भाई सौरभ अस्थाना। कन्नौज स्टेशन पर देसी घी का गट्टा मिलता है। कुलदीप सिंह यादव ने ट्वीट किया है कि 'गट्टा गटको, गटा गट'। विवेक ने लिखा कि लिच्छवी एक्सप्रेस से चल रहे हों तो भटनी जंक्शन पर जलेबी ज़रूर खा लेना। अंकुर निगम के अनुसार झांसी के प्लेटफार्म पर पूरी-सब्ज़ी ज़रूर खाएं। अजातशत्रु शर्मा का दावा है कि ग्वालियर स्टेशन के बाहर बृजवासी की कचौरी हरी चटनी खाइएगा। गोटेगांव मध्यप्रदेश के आलू-बड़े और अलवर का कलाकंद। जबलपुर स्टेशन से पहले श्रीधाम के आले-बड़े भी मुंह में पानी ला देते हैं।

अनित तो हमें छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के पास चंपा स्टेशन ले गए और बताया कि वहां का बड़ा-चटनी कमाल का है। गुरुराज़ हमें बंगलुरू के पास अरसीकेरे स्टेशन ले गए और कहा कि बढ़िया इडली-चटनी मिलती है। हुबली में मटका दही तो सकलेशपुर का सांबर-चावल बेजोड़ है। प्रतीक ने दावा किया है कि विजयवाड़ा स्टेशन का ब्रेड-आमलेट, वड़ा और फलों का जूस आज़माकर देखिएगा। आशीष तो कहते हैं कि जालंधर स्टेशन पर फ्रूट चाट अच्छा मिलता है।

रतलाम का सेव भुजिया भी पसंदीदा व्यंजनों की लिस्ट में चोटी पर रहा। कई लोगों ने ट्वीट कर बताया कि रतलाम का सेव भुजिया खाने के लिए रातभर जागे रहते थे कि कहीं स्टेशन न निकल जाए। संजीव झा ने ट्वीट किया है कि रतलाम जैसा सेव भुजिया कहीं नहीं मिलेगा। एक सज्जन ने ट्वीट किया है कि ग्वालियर से भिंड के बीच एक शनिचरा स्टेशन है, यहां के शुद्ध देसी घी के बेसन के लड्डू बहुत फेमस है। ऋचा अनिरुद्ध से लेकर कई लोगों ने आबू रोड की रबड़ी की तारीफ की है।

अंबाला कैंट के कुलचे-चने, इगतपुरी का तीखा चाट, जालंधर का फ्रूट चाट, बांदीकुई स्टेशन की कचौरी, गोमोह स्टेशन का आलू चाप, जमालपुर स्टेशन पर पकौड़ी-चटनी, ऊहा का घाटी, पनियहवा का मछरी-भूजा। मोतिहारी रेलवे स्टेशन का भूजा, बंगाल के खड़गपुर स्टेशन का आलू चाप, लुची घुघनी। प्रदीप ने लिखा है कि नसीराबाद का कचौरा फेमस है। कचौरी नहीं कचौरा। अर्चना के अनुसार इटारसी के छोले और चावल खाकर देखना चाहिए। आदित्य के अनुसार सिकंदराबाद स्टेशन के बाहर अल्फा होटल की बिरयानी बहुत फेमस है। तमिलनाडु के स्टेशनों की बिरयानी की तारीफ हुई है। अनुराग श्रीवास्तव ने ट्वीट किया है कि रामपुर स्टेशन पर दस रुपये में काऊ (कौवा) बिरयानी मिलती है, कभी खाकर देखिएगा। राम जाने, यह कौवा बिरयानी क्या है। मैंने तो पहली बार सुनी है। मध्यप्रदेश के नागदा के पोहे। लोग ट्रेन रुकते ही दौड़ पड़ते हैं।

ऐसा नहीं है कि सारे अनुभव अच्छे ही हैं। कुछ ख़राब भी है। पंकज सिंह ने ट्वीट किया है कि बिलासपुर स्टेशन की नज़दीक करीगरोड में मिलने वाली सबसे खराब चाय का जवाब नहीं है। हरियाणा में भिवानी के पास दादरी स्टेशन पर हर रोज़ यात्रियों को स्वयंसेवक फ्री में दौड़-दौड़कर पानी पिलाते थे। इऱफान खान ने ट्वीट किया है कि सर कानपुर स्टेशन पर उल्लू अच्छा बनाते हैं और गन्दगी के साथ परोसते हैं। गाज़ियाबाद और धनबाद की चाय के बारे में भी ऐसी राय आई है। तो मज़ा आया कि नहीं इस लंबे लेख को पढ़कर। भूख लग गई हो तो माफ कर दीजिएगा।

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