लोगों का बस चले तो दिल्ली मतदान की लाइव गिनती करा दें। इधर मत पड़ा, उधर स्कोर फ्लैश हुआ। क्रिकेट मैच की तरह हर ओवर और हर रन के हिसाब से स्कोर का सीधा प्रसारण ही अब इस तनावपूर्ण क्षण में राहत दे सकता है। लोगों का रक्तचाप बढ़ने लगा है। कोई बाल्कनी में टहल रहा है तो कोई हर वक्त किसी को मैसेज कर अपनी राय बदल रहा है कि यह जीतेगा कि वह जीतेगा।
दिल्ली बंद है। नोएडा, ग़ाज़ियाबाद, फरीदाबाद और गुड़गांव के लोग असहाय-से टीवी देख रहे हैं। यहां के लोग दिल्ली में काम करते हैं, इसलिए चुनाव की सरगर्मियों में शामिल तो हैं, मगर वोट नहीं दे सकते। नोएडा, ग़ाज़ियाबाद से रोज़ाना दिल्ली आते वक्त एफएम चैनलों पर नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल का भाषण सुनते रहे, मगर सिर्फ दर्शक या श्रोता बनकर रह गए।
एनसीआर के लोगों का दर्द चुनाव आयोग तक पहुंचना चाहिए। हमारा खान-पान दिल्ली के साथ, मगर मतदान कहीं और। आज मन मचलता रहा कि जिस जनादेश के दंगल में हम भी पटका रहे हैं, उसमें अपना दांव चल ही नहीं सकते। दिल्ली चुनाव ने बड़ी संख्या में मतदाताओं को दर्शक में बदल दिया है। वे सिर्फ चैनल बदल-बदलकर मन का बोझ हल्का कर रहे हैं, पर मतदान नहीं कर पा रहे हैं।
This Article is From Feb 07, 2015
रवीश कुमार : दिल्ली के चुनाव में दर्द-ए-एनसीआर
Ravish Kumar, Vivek Rastogi
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Updated:फ़रवरी 07, 2015 17:27 pm IST
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Published On फ़रवरी 07, 2015 17:24 pm IST
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Last Updated On फ़रवरी 07, 2015 17:27 pm IST
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