विज्ञापन
This Article is From Sep 09, 2022

सिद्दीक कप्पन को मिली जमानत कहीं से भी राहत की खबर नहीं है

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    सितंबर 10, 2022 06:28 am IST
    • Published On सितंबर 09, 2022 23:22 pm IST
    • Last Updated On सितंबर 10, 2022 06:28 am IST

सुप्रीम कोर्ट ने केरला के पत्रकार सिद्दिक कप्पन को शर्तों के साथ ज़मानत देने का फैसला किया है।चीफ जस्टिस यू यू ललित,जस्टिस S रवींद्र भट्ट और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की बेंच में आज कप्पन की ज़मानत को लेकर सुनवाई हो रही थी। आज भी कपिल सिब्बल ने वकील होने की भूमिका निभाई है, तीस्ता सीतलवाड़ के ज़मानत के मामले भी कपिल सिब्बल ने बहस की थी। सिद्दिक कप्पन 5 अक्तूबर 2020 में गिरफ्तार किए गए थे जब यूपी के हाथरस में अनुसूचित जाति की एक पीड़िता की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी। सिद्दिक  कप्पन के साथ अतीक उर्र रहमान, मसूद अहमद और आलम को भी गिरफ्तार किया गया था।कप्पन के खिलाफ UAPA Act के तहत मामला दर्ज किया गया था।

आपको यह दृश्य याद तो होगा, पीड़िता के परिवार वाले पुलिस की जीप के आगे दहाड़ मार कर रो रहे थे कि उनकी बेटी की लाश को कम से कम घर के आंगन में लाने की अनुमति दी जाए, मगर पुलिस आगे बढ़ गई और आधी रात के बाद अंधेरे में पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया गया था। इस हत्याकांड को लेकर प्रशासन की तरफ से क्या क्या दावे किए गए, जाति की पंचायतें हुईं, मगर पीड़िता का अंतिम संस्कार अंधेरे में किया जाता है। 

हाथरस की पीड़िता के साथ जो नाइंसाफी हुई उस पर भी समाज चुप हो गया। हाउसिंग सोसायटी के व्हाट्स एप ग्रुप में किसी को गुस्सा नहीं आया, यह वही समाज है जिसकी चुप्पी पर इन दिनों बहस हो रही है कि बिलकिस बानो के बलात्कार के मामले में सज़ा काटने के बाद रिहा किए गए लोगों को माला पहनाया जा रहा है, समाज कैसे देख रहा है यह सब।

आपको यह दृश्य भी याद होगा जब राहुल गांधी और प्रियंका गांधी हाथरस रवाना होने जाते हैं तो पुलिस उनके साथ धक्का मुक्की करती है  राहुल ज़मीन पर गिर जाते हैं। उल्टा इन पर राजनीति करने का आरोप लगाया जाता है। अंत में किसी तरह प्रियंका गांधी हाथरस की पीड़िता के घर जा सकी थीं। 

आपको यह भी दृश्य याद होगा जब तृणमूल कांग्रेस के सांसद हाथरस जाना चाहते थे तो उनके साथ किस तरह की धक्का मुक्की की गई थी। Dr Kakoli Ghosh Dastidar, Pratima Mondal और Mamata Thakur को भी हाथरस की पीड़िता के परिवार से मिलने से रोका गया था। 

इसी घटना को कवर करने केरल के मलयालम समाचार पोर्टल अझीमुखम के संवाददाता और केरला यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स की दिल्ली इकाई के सचिव सिद्दिक कप्पन कवर करने के लिए हाथरस रवाना होते हैं और तीन साथियों के साथ गिरफ्तार कर लिए जाते हैं। उन पर आरोप लगा कि कानून-व्यवस्था खराब करने के लिए हाथरस जा रहे थे। दो साल से सिद्दिक कप्पन जेल में हैं। कप्पन की कहानी ज़मानत मिलने की कहानी नहीं है बल्कि उन यातनाओं की कहानी है जिससे कप्पन परिवार दो साल से गुज़र रहा है। बिना उसे जाने आप इस ज़मानत के आदेश के महत्व को नहीं समझ सकते हैं। 

इस दौरान पिछले साल 18 जून को कप्पन की मां खादिजा कुट्टी चल बसीं। वे लंबे समय से बीमार थीं और बेटे के घर आने की राह देखती रहीं। फरवरी 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने कप्पन को पांच दिनों की ज़मानत दी ताकि वे अपनी बीमार मां से मिल सकें। उसके पहले जनवरी 2021 में वीडियो काल से मां को देखने की अनुमति मिली थी तब वे बिस्तर पर बीमार पड़ी थीं। मीडिया रिपोर्ट मे छपा है कि बीमार मां अपने बेटे की आवाज़ को न सुन सकीं और न स्क्रीन की तरफ देख सकीं, इतनी बीमार थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट ने मानवीय आधार पर कप्पन को मां से मिलने की अनुमति दी मगर मीडिया, सोशल मीडिया या पब्लिक से बात करने पर पाबंदी रही।कप्पन को यूपी पुलिस के अफ़सरों के साथ केरला भेजा गया था। अफ़सरों को घर के बाहर पहरा करने की अनुमति थी मगर कप्पन जब माँ से मिलने भीतर जाएँ तब साथ में जाने की मनाही थी। यूपी सरकार की तरफ़ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि कप्पन इस मौक़े का फ़ायदा उठाकर अपने लिए सहानुभूति इकट्ठी करने की कोशिश करेंगे, इसलिए कोर्ट ने पाबंदियाँ लगाई थीं। सिब्बल ने कोर्ट में कहा था कि डॉक्टरों के मुताबिक़ कप्पन की माँ दो या तीन दिन से ज़्यादा शायद ना जी पाएँ। मेहता ने उस समय कहा था कि कप्पन की माँ फ़ोन पर अपने बेटे को पहचान नहीं पाती हैं, और इमर्जन्सी का माहौल बनाया जा रहा है। जस्टिस बोबड़े ने जवाब में कहा था कि ये unfair है, हम एक माँ की बात कर रहे हैं। हमें नहीं लगता की कोई आदमी - चाहे वो कोई भी हो, अपने माँ की हालत के बारे में झूठ बोलेगा। 18 जून 2021 को कप्पन की माँ का देहांत हो गया।

सिद्दिक कप्पन अपने आवेदनों में कहते रहे कि मैं पत्रकार हूं। मैंने भारतीय प्रेस परिषद के परिभाषित दायरे से बाहर जाकर कुछ भी ग़लत नहीं किया है। मैं निर्दोष हूं। उनके साथ  अतीक-उर-रहमान, मसूद अहमद, और  आलम भी जेल में बंद हैं। इस साल 15 अगस्त को उनकी बेटी मेहनाज़ कप्पन का वीडियो सामने आया था, जिसमें 9 साल की महनाज़ कह रही हैं कि वे एक पत्रकार की बेटी हैं जिन्हें जेल में डाल दिया गया है। 

उम्मीद है मेहनाज़ कप्पन जल्दी अपने पत्रकार पिता से मिल सकेगी। हाउसिंग सोसायटी के लोग इस खबर पर भी चर्चा नहीं करेंगे और व्हाट्स ग्रुप में कर्तव्य पथ की तस्वीरें साझा हो रही होंगी जैसे कभी सड़क न देखी हो।सिद्दिक कप्पन अतीक-उर-रहमान, मसूद अहमद, और आलम पर शांति भंग करने का आरोप मथुरा की अदालत में खारिज हो गया था।16 जून 2021 को मथुरा कोर्ट ने उन पर शांति भंग करने के आरोप रद्द कर दिए। 

कोर्ट ने कहा कि पुलिस छह महीने में जांच पूरी करने में असफल रही। यूपी पुलिस ने अप्रैल 2021 में 5000 पन्नों की चार्जशीट दायर की थी। कप्पन को कोविड भी हुआ था तब केरल के मुख्यमंत्री ने यूपी के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था कि अच्छे अस्पताल में इलाज हो। केरल के सांसदों ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा था कि उसके इलाज के लिए तुरंत सुनवाई हो। कप्पन की पत्नी रेहाना कप्पन ने भी सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखा था कि कप्पन को बिस्तर से बांध दिया गया है। वह शौच के लिए नहीं जा सकता और खाना नहीं खा सकता। उसे कई तरह की बीमारियां हैं। फिर उसे एम्स लाया गया लेकिन वहां से जल्दी ही यूपी ले जाया गया। परिवार वालों को अस्पताल में मिलने नहीं दिया गया और इलाज पूरा भी नहीं हुआ था कि वापस ले जाया गया। यह परिवारजनों का आरोप था। 

दो साल में भी यह केस अपने अंजाम पर नहीं पहुंचा, कोविड के दौरान कप्पन की पत्नी रेहाना कप्पन ने जिस तरह के आरोप लगाए, वे इतने साधारण नहीं थे, वर्ना रैहनत कप्पन सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र नहीं लिखतीं। केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और कहा कि 28 अप्रैल 2021 को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश दिया था कि कप्पन को ठीक होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दी जाएगी लेकिन कोविड पोज़िटिव होने के बाद भी उन्हें अस्तपाल से निकाल कर जेल भेज दिया गया। 6 मई 2021 की आधी  रात को अस्तपताल से छुट्टी देकर कप्पन को एम्स से मथुरा जेल भेजा गया। कप्पन की लड़ाई उनकी पत्नी और केरला के सैंकड़ों पत्रकारों ने एकजुट होकर लड़ी है। 

रेहाना कप्पन को अपने पति सिद्दिक कप्पन के काम पर इतना भरोसा था और उसके प्रति सम्मान था कि सिद्दीक का मुकदमा लड़ते लड़ते पत्रकार बन गईं। दो दिन पहले न्यूज़ मिनट में उनका इंटरव्यू छपा है कि सिद्दीक का केस लड़ने के लिए उनके पास वकील और पत्रकार बनने के अलावा कोई चारा नहीं था। केस क्या होता है, मुकदमे की सुनवाई की प्रक्रियाएं क्या होती हैं रैहनत ये सब समझने लगीं। एडिटर्स गिल्ड ने भी कप्पन के साथ अस्पताल में हुई नाइंसाफी को लेकर बयान जारी किया था।साथ बहुतों ने दिया मगर केरला यूनियन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट शुरू से ही अपने पत्रकार साथी के साथ खड़ा रहा। कप्पन इसी यूनियन के दिल्ली ईकाई के सचिव हैं। केरला के सौ से अधिक पत्रकार, फोटोग्रार मिलकर संघर्ष करने लगे। गिरफ्तारी के दिन ही पत्रकारों ने वकील कपिल सिब्बल से संपर्क साधा था। सिब्बल और वकील हरीश बीरन की मदद से मुकदमा लड़ना शुरू किया। इनकी पहल पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस को नोटिस दिया कि कप्पन सुरक्षित रहे।डायबिटीज़ के रोगी कप्पन के इलाज के लिए भी आदेश जारी हुआ। इस केस का ट्रायल लखनऊ की विशेष अदालत में चलेगा।

हम समझते हैं कि आज कप्पन बरी नहीं हुए हैं, सशर्त ज़मानत मिली है लेकिन यह केस इतना साधारण नहीं है, इस तरह की गिरफ्तारियों को लेकर तमाम उदाहरण आपके सामने हैं, कि कैसे फर्ज़ी तरीके से NSA लगाकर डा कफील खान को महीनों जेल में रखा गया। UAPA, NSA और राजद्रोह की धारा 124A लगाकर आवाज़ उठाने वालों को यातनाएं दी गई हैं। आप कप्पन, कफील खान, अखिल गोगोई, दिशा रवि इन सब मामलों को एक दूसरे से अलग नहीं कर सकते हैं। अखिल गोगोई को 12 दिसंबर 2019 को गिरफ्तार किया था। 

उन पर 2009 के मामले में NSA लगा दिया गया। डेढ़ साल से अधिक समय तक जेल में रहने के बाद जून 2021 में अखिल गोगोई को NIA कोर्ट ने रिहा कर दिया। NIA कोर्ट के जज प्रांजल दास ने अपने फैसले में कहा है कि रिकार्ड पर जो दस्तावेज़ पेश किए गए हैं और जिन पर चर्चा हुई है, मैं सोच-विचार कर इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि इन सभी साक्ष्यों के आधार पर नहीं कहा जा सकता कि भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता को ख़तरा पहुंचाने के इरादे से आतंकी कार्रवाई की गई या लोगों को आतंकित करने के इरादे से आतंकी कार्रवाई की गई। इसलिए अखिल गोगोई के खिलाफ आरोप तय करने का कोई मामला नहीं बनता है। अखिल गोगोई के अलावा जगजीत गोहेन और भूपेन गोगोई भी बरी कर दिए गए।

सब आपके सामने है। फर्ज़ी आधार पर ऐसी धाराएं लगाई जाती हैं कि लोगों को दो दो साल जेल में डाल दिया जाए। और इसकी जानकारी आप तक न पहुंचे, चर्चा न हो, इसके लिए सौ इंतज़ाम किए जाते हैं। इसलिए सिद्दीक कप्पन की सशर्त ज़मानत का आदेश केवल एक केस का आदेश नहीं है मगर यह भी कहना ज़रूरी है तमाम केस में ज़मानत मिलती जा रही थी लेकिन उन सबके बाद भी कप्पन की तरफ चर्चा करने वालों का ध्यान नहीं जा रहा था। कप्पन का अंधेरा किसी को नहीं दिख रहा था

क्योंकि हर शाम गोदी मीडिया के ज़रिए देश को शाम साढ़े सात बजे का ऐसा कृत्रिम उजाला दिखाया जाता है, यह कर्तव्य पथ है।ढिंढोरा पीटा गया कि नाम बदल देने भर से औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति मिली है। एक निम्न मध्यमवर्गीय देश शाम के वक्त भव्य सजावट करता है ताकि औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति का सीधा प्रसारण हो सके। भाषण हो सके। अगर यह औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति है तब फिर सवाल करने, प्रदर्शनों में हिस्सा लेने, पत्रकारिता करने पर देशद्रोह से लेकर आतंक की धाराओं में जेल में सड़ा देने की मानसिकता क्या अंग्रेज़ी हुकूमत की मानसिकता नहीं है? डराने धमकाने की सत्ता की यह मानसिकता आज भी है और जनता को सड़क का नाम बदल कर भरोसा दिया जाता है कि औपनिवेशिक मानसिकता से आज़ादी के दिन है। इस मानसिकता से तभी आज़ादी मिल गई थी जब लाखों भारतीय ने अंग्रेज़ी कपड़ों को होली जला दी थी और खादी का धारण कर लिया था। आपको तय करना है सड़क का नाम बदल देने से औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति मिलती है या उन धाराओं को खत्म कर देने से जिसे अंग्रेज़ इसलिए लाए थे कि कोई भारतीय भारत माता की जय तक न बोल सके। तरह तरह से सूचनाओं के सिपाहियों को जेल में डाल कर आप नागरिकों के लिए एक अंधेरा पथ बनाया जा रहा है, वह दिखाई न दे इसलिए इस तरह से कर्तव्य पथ सजाया जा रहा है। यहां आएं तो सेल्फी ज़रूर लें।  

सिद्दीक कप्पन की ज़मानत की खबर बताती है कि सत्ता की औपनिवेशिक मानसिकता आज भी बरकरार है और आज भी पत्रकार से लेकर सामाजिक कार्यकर्ता इस मानसिकता के शिकार हो रहे हैं। वर्ना कर्तव्य पथ को आज़ादी का प्रतीक बताने से पहले देशद्रोह की धारा खत्म कर दी जाती।सरकार अगर इस मानसिकता से मुक्ति के प्रति ईमानदार होती तो फर्ज़ी तरीके से NSA लगाने की बात पर  अफसोस प्रकट करती। इसी 4 अगस्त को जब हमने प्राइम टाइम में कप्पन के केस को कवर किया था तब कोई उम्मीद नहीं थी कि ज़मानत भी मिलेगी,अभी भी कप्पन के साथ गिरफ्तार हुए अतीक उर रहमान और बाकी साथियों की ज़मानत बाकी है। आज की सुनवाई में यूपी सरकार की तरफ से महेश जेठमलानी ज़मानत का विरोध कर रहे थे। अपने हलफनामे में यूपी सरकार ने कहा कि कप्पन के चरमपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ( PFI) के साथ घनिष्ठ संबंध हैं. जिसका एक राष्ट्र विरोधी एजेंडा है. सिद्दीकी कप्पन देश में धार्मिक कलह और आतंक फैलाने की बड़ी साजिश का हिस्सा है. कप्पन CAA - NRC और बाबरी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले व हाथरस की घटना को लेकर धार्मिक उन्माद फैलाने की साजिश का बड़ा हिस्सा है. वो SFI  के वित्तीय शोधनकर्ता, रऊफ शरीफ के साथ साजिश रच रहा था. 2010 में PFI कैडर ने ने बेरहमी से न्यूमैन कॉलेज के क्रिश्चियन लेक्चरर टीजे थॉमस के हाथ काट दिए थे . 2013 में जब PFI समर्थित हथियार प्रशिक्षण आतंकवादी शिविर पर केरल पुलिस ने नारथ में छापा मारा था. जिसकी NIA ने जांच शुरू की थी. 3 अगस्त को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने पत्रकार सिद्दीक कप्पन को राहत नहीं दी थी तब केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका लेकर पहुंचे। कप्पन की तरफ से बहस करते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि सिर्फ 45 हजार रुपये बैंक के जमा कराने का आरोप है . PFI कोई बैन या आतंकी संगठन नहीं बनाया गया है. वो अक्टूबर 2020 से जेल में है. वो पत्रकार है और हाथरस की घटना की कवेरज़ के लिए जा रहा था.

चीफ जस्टिस ने यूपी सरकार से पूछा कि क्या कप्पन के पास से कोई विस्फोट पदार्थ मिला है? कोई ऐसी सामग्री मिली जिससे लगता हो कि वो साजिश रच रहा था, तब यूपी सरकार के वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि कप्पन के पास से कोई विस्फोटक नहीं मिला। उसकी कार से कुछ साहित्य मिला है। इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि साहित्य ये था कि हाथरस की पीड़िता को इंसाफ दिलाना है। चीफ जस्टिस ने कहा कि कप्पन दो साल से जेल में है। लग रहा है कि अभी मामला आरोप तय करने के चरण में भी नहीं पहुंचा है। तब कोर्ट ने कहा कि हम कप्पन को ज़मानत दे देंगे। हम कुछ शर्तें लगाएंगे कि कप्पन स्थानीय पुलिस के क्षेत्र में ही रहेंगे. सिब्बल ने कहा कि वो केरल के हैं .दिल्ली में काम करते हैं. चीफ जस्टिस ने कहा कि कप्पन दिल्ली में 6 महीने रहेंगे और बाद में केरल जा सकेंगे। पासपोर्ट सरेंडर करेंगे और हर ट्रायल पर खुद या वकील के ज़रिए पेश होंगे
कप्पन को दिल्ली के जंगपुरा पुलिस स्टेशन के इलाके में रहना होगा। हर सोमवार को थाने में हाज़िरी देनी होगी और छह महीने के बाद केरल जा सकेंगे लेकिन वहां भी हर सोमवार थाने में हाज़िरी देंगे। कप्पन इस समय लखनऊ जेल में बंद हैं। चीफ जस्टिस ने जब पूछा कि हर किसी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हासिल है, , कप्पन दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि हाथरस की पीड़िता को इंसाफ मिलना चाहिए और उनकी आवाज़ उठाना चाहते हैं। क्या ये कानून की निगाह में अपराध है? द वायर ने लिखा है कि इस सवाल पर यूपी सरकार के पास कोई जवाब नहीं था.
यह वो केस है, जिसमें किसी को ज़मानत मिली है तो ऐसे ही न जाने कितने केस में ज़मानत का इंतज़ार है और न जाने कितने ऐसे लोग इस तरह से जेल में डाले जाने वाले हैं। 27 अगस्त की इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर है। एक पत्रकार ने खबर लिखी कि गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल हटाए जा सकते हैं तो उन पर केस हो गया.

पत्रकार अनिरुद्ध निकुम के खिलाफ राजकोट में FIR कर दी गई। अनिरुद्ध असल काठियावाड़ी अखबार के लिए लिखते हैं। राजनीति की खबरों में ऐसी खबरें मामूली मानी जाती हैं कि कौन हटेगा और कौन बनेगा लेकिन इतने भर से एक पत्रकार के खिलाफ FIR हो गई। अफवाह फैलाकर जनता को भयभीत करने के मामले की धारा लगा दी गई। किसी राज्य का मुख्यमंत्री बदला जा सकता है इसमें भयभीत होने वाली क्या बात है लेकिन FIR दर्ज हुई।एक्सप्रेस के अनुसार लिखा गया है कि भारतीय जनता में कथित रुप से बेचैनी पैदा करने के इरादे से खबर छापी गई। हमने आपको 20 सितंबर 2021 के प्राइम टाइम में यह खबर दिखाई थी।

31 साल के धवल पटेल ने पिछले साल मई में जब सूत्रों के हवाले से खबर लिखी कि विजय रुपाणी को मुख्यमंत्री पद से हटाया जा सकता है तब पुलिस ने उन पर राजद्रोह का मुकदमा कर दिया। उनकी खबर को वेबसाइट से हटा लिया गया और धवल पटेल गिरफ्तार कर लिए गए। बाद में धवल पटेल ने भारत ही छोड़ दिया। धवल पटेल की बात सही साबित हुई और रुपाणी हटा दिए गए थे। सिद्दीक कप्पन की ज़मानत की खबर राहत की खबर नहीं है। उदास करने वाली खबर है।

बिल्किस बानों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से कहा है कि 11 दोषियों को रिहा करने के मामले में आदेश और दस्तावेज़ पेश किए जाएंगे। इसके लिए दो हफ्ते का समय दिया गया गया है। दोषियों को भी दो हप्ते में जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है। केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस भेजा है कि  प्रधानमंत्री की फ्लैगशिप योजना पोषण अभियान में बड़ी लापरवाही हो रही है। यह काम महिला बाल विकास विभाग का है। अब केंद्र सरकार ही इस विभाग के काम पर सवाल उठा रही है। इसी विभाग की आडिट रिपोर्ट को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि कैसे पोषण आहार योजना में कथित तौर पर भ्रष्टाचार हुआ। केवल यही मामला नहीं है।बाल गृह में अंडा और चिकन की सप्लाई के आदेश जारी हो जाने के बाद भी गृहमंत्री ने कह दिया अंडे का फंडा नहीं चलेगा 

कभी कंटेनर को शाही बता कर तो कभी राहुल गांधी के टी शर्ट के दाम बताकर कांग्रेस की भारत जोड़ों यात्रा की चर्चा होने लगी है। जब कई लाख का सूट पहनने पर प्रधानमंत्री मोदी निशाने पर आ सकते हैं तो टी शर्ट के दाम पर भी चर्चा हो सकती है। प्रधानमंत्री के सूट के धागे में उनका नाम लिखा था। यह सूट खास तौर से उनके लिए बनवाया गया होगा यह इसलिए बता रहा हूं ताकि आप अपने नाम के धागे वाला सूट खरीदने न पहुंच जाएं। जब राहुल ने उनके सूट को लेकर सूट बूट की सरकार का नारा दिया तब वह सूट नीलाम कर दिया गया था। अब बारी राहुल की थी, टी-शर्ट के दाम वायरल कराए जा रहे हैं।  आज कांग्रेस पार्टी ने यात्रा में इस्तेमाल किए जा रहे कंटेनर के भीतर का हाल बताया कर खंडन करने का प्रयास किया कि सोशल मीडिया में जिस तरह शाही बताया जा रहा है, ये कंटेनर शाही नहीं हैं। 

उत्तर प्रदेश और बिहार के बड़े इलाके मानसून की भारी किल्लत से जूझ रहे हैं. इस वजह से कृषि मंत्रालय के मुताबिक इस साल चावल के फसल की बुआई करीब 38 लाख हेक्टेयर तक घटने का अनुमान है. इसकी वजह से चावल का उत्पादन इस साल 100 लाख टन से 120 लाख तक घटने की आशंका है. इसे देखते हुए नए सीजन में चावल की कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए गुरुवार रात सरकार ने गैर-बासमती चावल की कुछ किस्मों के निर्यात पर 20% तक निर्यात शुल्क लगा दिया गया है। और टूटे चावलों के निर्यात पर प्रतिबन्ध लगा दिया।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com