नई दिल्ली : राष्ट्रपति भवन में 'एट होम' का समारोह साल में दो बार होता है 26 जनवरी और 15 अगस्त को। हर बार प्रधानमंत्री, कैबिनेट मंत्री, राजदूतों अन्य गणमान्य लोगों के अलावा पत्रकारों को भी बुलाया जाता है। इस बार अमेरिकी प्रशासन से यह दबाब था कि बुलाए गए लोगों की लिस्ट छोटी कर दी जाए। हमें डर था कि यदि लिस्ट छोटी हुई तो पत्रकारों पर ही गाज गिरेगी, मगर ऐसा हुआ नहीं। राष्ट्रपति भवन ने अमेरिकी प्रशासन को बताया कि मेहमानों की सूची जो राष्ट्रपति भवन चाहेगा वही होगी।
एनडीटीवी इंडिया से मैं और हिमांशु 'एट होम' के फंक्शन में जाते रहे हैं और इस बार ठीक 3 बजे मुगल गार्डन के उस शानदार लॉन में जाने के लिए लाइन में खड़े हो गए। सेक्युरिटी टाइट थी तो थोड़ा नर्वस हुआ, थोड़ी देरी के बाद हमें अंदर जाने दिया गया। अंदर इंतजाम काफी बढ़िया था। लाइनें बनी हुई थीं और उसके पास लाल कारपेट लगा हुआ था। हम सबने सोचा कि हमारे राष्ट्रपति और अमेरिकी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री यही से आकर लोगों का अभिवादन स्वीकार करेंगे। हमने और हिमांशु ने एक अच्छी पोजिशन पकड़ ली और खड़े हो गए।
करीब सवा घंटे तक सावधान की मुद्रा में खड़े रहे। एक-एक कर लोग आ रहे थे। मंत्रियों का आना सबसे पहले हुआ, सेना के तीनें प्रमुख भी थे, सेना के कई अधिकारी भी। कई देशों के राजदूत भी, पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा की पत्नी भी दिखीं, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पत्नी पहले अकेले आईं। मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी के साथ आए, फिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा थोड़े से अंतराल पर आए।
बराक ओबामा और उनकी पत्नी ने वहां मौजूद सभी मंत्रियों, लालकृष्ण आडवाणी और अमित शाह से हाथ मिलाया। साथ में सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह से भी मिले। दो बड़ी कुर्सी लगी थी जो भारतीय राष्ट्रपति और फर्स्ट लेडी के लिया थी। उनके बाईं तरफ की कुर्सी पर बराक ओरामा और उनके बगल में प्रधानमंत्री मोदी बैठे और उनके बगल में उपराष्ट्रपति की पत्नी बैठी थीं। वहीं भारतीय राष्ट्रपति की दाईं तरफ फर्स्ट लेडी की बगल में अमेरिकी फर्स्ट लेडी थी और उनके बगल में उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी बैठे थे।
थोड़ी बहुत बातचीत के बाद राष्ट्रपति प्रणव दा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अन्य लोगों से मिलने निकल पड़े। मोदी हमारी तरफ तो नहीं आए मगर प्रणब दा जरूर मिलने पहुंचे। हमने और हिमांशु ने प्रणब दा से हाथ मिलाया। मैंने उनसे पूछा कि आपकी तबियत कैसी है, दादा ने कहा ठीक हूं।
आपको बता दूं कि दादा अधिकतर पत्रकारों को नाम से जानते हैं और हमें भी बंगाली स्टाईल में मनोड़ंजन करके पुकारते हैं। एक बंगाली पत्रकार ने पीछे से बोला कि दादा अमेरिकी राष्ट्रपति को भी हमारी तरफ भेज दीजिए। दादा ने इस बात को अनसुना कर दिया। ओबामा भी आए, मगर हमारे पांच फीट की दूरी से नमस्ते करके हाथ जोड़कर वापिस चले गए और प्रधानमंत्री से बात करने लगे।
जन गण मन के साथ 'एट होम' का फंक्शन समाप्त हो गया। हमने भी नींबू की चाय के साथ थोड़ा नाश्ता किया और दफ्तर का रुख किया।